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Tulsidas Jayanti 2022 Dohe For Success: चाणक्य नीति ही नहीं, गोस्वामी तुलसीदास के ये दोहे भी हैं बेहद कारगर... ले जाते हैं सफलता की ओर

Tulsidas Jayanti 2022 Dohe For Success: तुलसीदास जी ने अपने जीवनकाल में कई रचनाएं की हैं. उनके दोहे भी जन-जन की जुबां पर आज भी हैं. उनके दोहों ने व्यक्ति एवं समाज को अच्छे संदेश दिए हैं. उनके दोहों से अच्छी सीख मिलती हैं.

Updated on: 04 Aug 2022, 10:02 AM

नई दिल्ली :

Tulsidas Jayanti 2022 Dohe For Success: प्रत्येक वर्ष सावन माह में शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को तुलसीदास जयंती मनाई जाती है. इस साल तुलसीदास जयंती 04 अगस्त 2022, दिन गुरुवार यानी की आज मनाई जा रही है. तुलसीदास जी हिंदी साहित्य के एक महान कवि थे. रामचरित मानस जैसे महाकाव्य की रचना गोस्वामी तुलसीदास ने ही की थी. तुलसीदास की इस रचना ने उन्हें अमर कर दिया. रामचरित मानस में तुलसीदास जी ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जीवन का काव्य रूप में वर्णन किया है. कहा जाता है कि गोस्वामी तुलसीदास को प्रभु श्रीराम के साक्षात दर्शन हुए थे. तुलसीदास जी ने कवितावली, दोहावली, हनुमान बाहुक, पार्वती मंगल, रामलला नहछू आदि कई रचनाएं कीं. उनके दोहे भी जन-जन की जुबां पर आज भी हैं. उनके दोहों ने व्यक्ति एवं समाज को अच्छे संदेश दिए हैं. उनके दोहों से अच्छी सीख मिलती हैं. यहां तुलसीदास के कुछ प्रेरणादायक दोहे और उनके अर्थ दिए जा रहे हैं.

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तुलसी साथी विपत्ति के विद्या विनय विवेक ।
साहस सुकृति सुसत्यव्रत राम भरोसे एक ।
गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं, विपत्ति के समय में आपको घबराकर हार नहीं माननी चाहिए. ऐसी स्थिति में आपको अपने अच्छे कर्म, सही विवेक और बुद्धि से काम लेना चाहिए. मुश्किल समय में साहस और अच्छे कर्म ही आपका साथ देते हैं.

राम नाम  मनिदीप धरु जीह देहरीं द्वार।
तुलसी भीतर बाहेरहुँ जौं चाहसि उजिआर। 
तुलसीदास जी कहते है अगर आप अपने चारों तरफ खुशहाली चाहते हैं तो अपने वाणी पर काबू रखें. गलत शब्द बोलने की जगह राम नाम जपते रहिए इससे आप भी खुश रहेंगे और आपके घरवाले भी खुश रहेंगे.

नामु राम को कलपतरु कलि कल्यान निवासु। 
जो सिमरत भयो भाँग ते तुलसी तुलसीदास। 
राम का नाम लेने से आपका मन साफ रहता है. किसी भी काम को करने से पहले राम का नाम लीजिए. तुलसीदास जी भी राम का नाम लेते-लेते अपने आप को तुलसी के पौधे जैसा पवित्र मानने लगे थे.

तुलसी देखि सुबेषु भूलहिं मूढ़ न चतुर नर।
सुंदर केकिहि पेखु बचन सुधा सम असन अहि। 
तुलसी दास जी कहते हैं सुंदर रूप देखकर न सिर्फ मूर्ख बल्कि चतुर इंसान भी धोखा खा जाते हैं. जैसे मोर दिखने में बहुत सुंदर लगते हैं लेकिन उनका भोजन सांप है.