Mata Lakshmi Puja: सुख-समृद्धि, ऐश्वर्य के लिए आरती के बाद पढ़ें ये मंत्र, कभी नहीं होगी धन की कमी
अगर आप आरती के बाद इस महामंत्र का जाप करते हैं या इसे पढ़ते हैं तो देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने में समय नहीं लगता और जल्द उनकी कृपा से आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो जाती है.
नई दिल्ली:
Mata Lakshmi Puja: माता लक्ष्मी हिन्दू धर्म की एक प्रमुख देवी हैं और वह धन, समृद्धि, सौभाग्य, ऐश्वर्य, और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं. अगर नियमपूर्वक उनकी पूजा की जाए और सही मंत्रों का जाप करें तो जीवन में धन समृद्धि और ऐश्वर्य की कभी कमी नहीं होती. माता लक्ष्मी का एक महामंत्र सभी को पता होना चाहिए. अगर आप आरती के बाद इस महामंत्र का जाप करते हैं या इसे पढ़ते हैं तो देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने में समय नहीं लगता और जल्द उनकी कृपा से आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो जाती है. विष्णु पुराण और महाभारत में वर्णित हैं और देवी श्री, श्रीदेवी, अथवा भूलक्ष्मी के नामों से भी पुकारी जाती हैं.
लक्ष्मी देवी का स्वरूप सुंदर और प्रशन्न मुख वाली होती हैं, और वह चार हाथों में पुष्पक (कमल), अमृत कलश, धनुष और धन पुस्तक लेकर दिखाई देती हैं. विशेषकर दिवाली पूजा के समय, लक्ष्मी पूजन किया जाता है और भक्तगण धन और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इनका आराधना करते हैं. विशेष रूप से, व्यापारिक और आर्थिक दृष्टि से, माता लक्ष्मी की पूजा को उद्दीपन की भावना के साथ किया जाता है. भगवान विष्णु की पत्नी के रूप में लक्ष्मी देवी का समर्पण करने से भक्ति, आनंद, और आराधना में वृद्धि होती है. माता लक्ष्मी को सतत पूजने से व्यक्ति को संपत्ति, समृद्धि, और धन की प्राप्ति होती है, जो उनकी कृपा से सम्भव होता है.
माता लक्ष्मी का महामंत्र
"ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः"
यह मंत्र लक्ष्मी माता की कृपा, समृद्धि, धन, सौभाग्य, और समृद्धि को आकर्षित करने में मदद करने के लिए जाना जाता है. मान्यता है कि इस मंत्र का नियमित जप धन और आर्थिक स्थिति में सुधार करने में सहायक होता है और भक्त को माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है. मंत्र का उच्चारण ध्यानपूर्वक एवं भक्ति भाव से किया जाता है ताकि व्यक्ति इस मंत्र के माध्यम से माता लक्ष्मी की आशीर्वाद प्राप्त कर सके.
माता लक्ष्मी का आरती के नियम
शुद्धि:
पहले आरती करने से पहले अपने शरीर को धोकर शुद्धि बनाएं.
पूजा स्थल:
आरती का पाठ करने के लिए एक शुद्ध और शांत पूजा स्थल का चयन करें.
समय:
आरती का समय विशेषकर भोर और सायंकाल में होता है, लेकिन आप इसे किसी भी समय कर सकते हैं.
दृढ़ संकल्प:
पूर्व से निश्चित करें कि आप आरती का पाठ भक्ति भाव से कर रहे हैं.
आरती का सामग्री:
आरती के लिए धूप, दीप, फूल, अक्षत, नैवेद्य, और पुष्पांजलि की तैयारी करें.
स्थिति:
स्थिर पोजीशन में बैठकर या खड़े होकर आरती का पाठ करें.
भक्ति भाव:
आरती का पाठ करते समय भक्ति और श्रद्धा के साथ करें, और माता लक्ष्मी के प्रति अपने भावनात्मक ज्ञान को व्यक्त करें.
ध्यान:
माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र को ध्यान से देखें और उनके सामर्थ्य, कृपा, और सौंदर्य को ध्यान में रखें.
मन्त्र:
माता लक्ष्मी का महामंत्र है "ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः" आरती के बाद अगर आप नियमपूर्वक ये मंत्र पढ़ते हैं तो आप पर माता की कृपा सदैव बनीं रहती है.
आरती की पूर्णता:
आरती का पाठ पूर्ण करने के बाद आप दीपों को माता के सामने घूमा सकते हैं और प्रशाद को प्रसाद बनाकर भोग लगा सकते हैं.
आप इन नियमों का अनुसरण करके माता लक्ष्मी की आरती का विधिवत पाठ कर सकते हैं, जिससे आपका मन शांत और आत्मा प्रसन्न होगा.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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