पारस भाई ने बताया, क्यों भद्राकाल में बहनें नहीं बांधती हैं भाइयों की कलाई में राखी
पारस परिवार (Paras Parivaar) के मुखिया पारस भाई जी (Paras Bhai Ji) ने रक्षा बंधन के त्योहार को लेकर कहा कि इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं और भाई अपनी बहन की रक्षा का संकल्प लेता है.
नई दिल्ली:
Raksha Bandhan 2021 : सावन की पूर्णिमा को भाई-बहन के बीच प्रेम और अटूट संबंध का त्योहार रक्षाबंधन मनाया जाता है. इस वर्ष रक्षा बंधन का त्योहार 22 अगस्त यानी रविवार को है. पारस परिवार (Paras Parivaar) के मुखिया पारस भाई जी (Paras Bhai Ji) ने रक्षा बंधन के त्योहार को लेकर कहा कि इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं और भाई अपनी बहन की रक्षा का संकल्प लेता है. उन्होंने कहा कि इस दिन के व्रत और स्नान का भी काफी महत्व है. पारस भाई ने कहा कि बहनों को रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने के समय भद्राकाल और राहुकाल का विशेष ध्यान देना चाहिए. भद्राकाल में राखी बांधना शुभ नहीं होता है, इसलिए रक्षाबंधन के दिन भद्राकाल का विशेष ध्यान दिया जाता है. उन्होंने कहा कि भद्राकाल में किसी भी प्रकार के शुभ कार्य करने पर सफलता नहीं मिलती है.
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पारस भाई गुरुदेव ने कहा कि इस साल रक्षाबंधन में अति अशुभ कही जाने वाली शनिदेव की बहन भद्रा दिनभर नहीं रहेगी, इसलिए शाम 4 बजकर 30 मिनट पर राहुकाल के शुरू होने से पहले पूरे दिन रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा. इसमें भी दोपहर 12 बजे से 1 बजे का मुहूर्त काफी शुभ रहेगा. अच्छे मुहूर्त अथवा भद्रारहित काल में भाई की कलाई में राखी बांधने से कार्य सिद्धि और विजय प्राप्त होती है. रक्षाबंधन के दिन चंद्रमा मंगल के नक्षत्र और कुंभ राशि में गोचर करेंगे. इस बार भद्राकाल का भय नहीं रहेगा और ये पर्व सभी भाई-बहनों के लिए कल्याणकारी रहेगा.
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पारस भाई जी ने कहा कि भद्राकाल में राखी न बांधने के पीछे एक कथा काफी प्रचलित है. इस कथा के अनुसार, लंका के राजा रावण ने अपनी बहन से भद्रा के समय ही राखी बंधवाई थी. भद्राकाल में राखी बांधने की वजह से ही रावण का सर्वनाश हो गया था, इसलिए जब भी भद्रा लगी रहती है उस समय बहनें अपने भाइयों की कलाई में राखी नहीं बांधती हैं. वहीं, भद्राकाल में भोलेनाथ तांडव नृत्य करते हैं, जिसकी वजह से भी भद्रा में शुभ कार्य नहीं किया जाता है.
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