Poila Baisakh 2024: आज है बंगाली नववर्ष 'पोइला बैसाख', जानिए इस दिन का इतिहास, महत्व और परंपराएं
Poila Baisakh 2024: पोइला बैसाख बंगाली संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा जो समृद्धि और आनंद साथ लाता है. यह त्योहार नए जीवन की शुरुआत को धारण और समृद्धि की कामना करता है.
New Delhi:
Poila Baisakh 2024: पोइला बैसाख, जिसे नबो वर्ष या बंगाली नव वर्ष भी कहा जाता है, बंगाली लोगों द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है. पोइला बैसाख को अन्य नामों में बैसाखी, बैसकी, वैसाखी आदि से भी जाना जाता है. ये एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो हिन्दू, सिख और जैन समुदायों में मनाया जाता है. यह त्योहार हिंदी कैलेंडर के वैशाख मास के पहले दिन मनाया जाता है, जो चैत्र मास के अंत को दर्शाता है. यह त्योहार खेती और किसानी के महत्व को दर्शाता है, और इसे नए जीवन की शुरुआत के रूप में भी मनाया जाता है. बैसाखी का महत्व भी उत्सव, नगार की शोभा, रंग-बिरंगे मेले, नृत्य, संगीत और परम्परागत खेलों के माध्यम से मनाया जाता है.यह हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र मास की पहली तारीख को आता है, जो आमतौर पर अप्रैल या मई के महीने में पड़ता है.
इतिहास पोइला बैसाख की शुरुआत 1556 में सम्राट अकबर द्वारा शुरू किए गए बंगाली संवत् से जुड़ी है. इससे पहले, बंगाली लोग विभिन्न कैलेंडर प्रणालियों का उपयोग करते थे, जिसके कारण व्यापार और कराधान में भ्रम पैदा होता था. सम्राट अकबर ने एक समान कैलेंडर प्रणाली स्थापित करके इस समस्या को हल किया, जिसे बंगाली संवत् कहा जाता है.
महत्व पोइला बैसाख नए साल की शुरुआत का प्रतीक है. यह नए शुरुआत और समृद्धि का समय माना जाता है. लोग इस दिन नए कपड़े पहनते हैं, अपने घरों को साफ करते हैं, और पारंपरिक व्यंजन बनाते हैं. वे भगवान को धन्यवाद देते हैं और आने वाले साल में सुख और समृद्धि की प्रार्थना करते हैं.
उत्सव पोइला बैसाख धूमधाम से मनाया जाता है. बांग्लादेश और पूर्वी भारत के पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, असम और ओडिशा राज्यों में यह एक सार्वजनिक अवकाश है. इस दिन कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें नृत्य, संगीत, नाटक और आतिशबाजी शामिल हैं.
पोइला बैसाख के कुछ प्रमुख रीति-रिवाज और परंपराएं इस प्रकार हैं:
हलखोर इस दिन लोग हलखोर नामक एक विशेष मिठाई बनाते हैं. यह चावल, दूध और चीनी से बना होता है और इसे नए साल की शुरुआत के प्रतीक के रूप में खाया जाता है.
इंद्र पूजा कुछ लोग इंद्र, वर्षा के देवता की पूजा करते हैं. वे मानते हैं कि इंद्र की पूजा करने से आने वाले साल में अच्छी बारिश होगी.
नया लेखा खाता पारंपरिक रूप से, व्यवसायी इस दिन नए लेखा खातों की शुरुआत करते थे. यह अब भी कुछ व्यवसायों द्वारा किया जाता है.
पोइला बैसाख बंगाली संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह एक ऐसा त्योहार है जो लोगों को एक साथ लाता है और उन्हें जीवन में आशा और खुशी का संदेश देता है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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