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Dahi Handi 2023: दही हांडी का शुभ मुहूर्त और इसे मनाने का महत्त्व जानिए 

Dahi Handi 2023: आला रे आला गोविंदा आला... दही हांडी के महापर्व पर जगह-जगह इस कार्यक्रम का आयोजन होता है. गोविंदा की टोली आती है और ऊंचाई पर लगी दही हांडी फोड़ती है.

Updated on: 06 Sep 2023, 04:05 PM

नई दिल्ली:

Dahi Handi 2023: भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी मनायी जाती है. इस त्योहार के अगले दिन भारत के कई अलग-अलग हिस्सों में दही हांडी का पर्व भी मनाते हैं जिसमें ह्यूमन पिरामिड बनाकर दही हांडी फोड़ी जाती है. जगह-जगह पर प्रतियोगिताओं का आयोजन भी होता है जिसमें विजेता टीम को इनाम राशि मिलती है. कृष्ण भगवान को माखनचोर के नाम से भी जाना जाता है. इस साल जन्माष्टमी की तिथि 2 दिन की है. गृहस्थ जीवन के लोग इसे आज मना रहे हैं जबकि वैष्णव संप्रदाय, साधु और संत इस त्योहार को कल मनाएंगे. ऐसे में दही हांडी का पर्व कब मनाया जाएगा इसे लेकर भी कन्फ्यूज़न बना हुआ है. 

कब मनाया जाएगा दही हांडी का पर्व (Dahi Handi 2023 Shubh Muhurat)

इस साल 7 सितंबर 2023 को दही हांडी का त्योहार सेलिब्रेट किया जाएगा. जहां पर भी लोग दही हांडी का आयोजन करते हैं वहां रस्सी से ऊंचाई पर मिट्टी की हांडी में दही डालकर लटका दी जाती है. 

क्यों मनाया जाता है दही हांडी पर्व (Dahi Handi history)

पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान कृष्ण को माखन और दही बेहद पसंद थे. हालांकि उनके घर में किसी चीज़ की कोई कमी नहीं थी लेकिन उन्हें अपने मित्र मंडली के साथ मिलकर दही हांडी फोड़ने में बहुत मज़ा आता है. जन्माष्टमी के खास मौके पर उनकी इस लीला को याद करते हुए दही हांडी का त्योहार धूमधाम से मनाते हैं. श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं को इस दिन याद करते हैं. जिस तरह से वो नटखट थे और गोपियों की मटकियां फोड़ते थे और अपने सखाओं के साथ मिलकर इसे खाते थे उसी तरह से आज भी उनकी याद में उनके भक्त ये दिन मनाते हैं. कथाओं में पढ़ने को मिलता है कि कान्हा से बचाने के लिए गोकुल में लोग दही हांडी को ऊंचाई पर बांधते थे ताकि उनकी हांडि कन्हैया के हाथ ना लगे. लेकिन नटखट कान्हा को भला कौन रोक पाया है वो अपने सखाओं संग मिलकर हांडी फोड़कर दही खाते थे. 

कैसे मनाते हैं दही हांडी (Dahi Handi 2023)

नटखट कान्हा बचपन में अपने बाल सखाओं के साथ हांडी फोड़कर माखन खाते थे. इसी को याद करते हुए ऊचांई पर लटकाते हैं. इसके बाद गोविंदा की टोली इस हांडी को पिरामिड बनाकर फोड़ती है. कई जगहों पर इसके लिए प्रतियोगिता आयोजित की जाती है और जितने वाले को इनाम मिलता है. गोविंदा की टोलियां इस दिन के लिए खास तैयारियां करती हैं. कई लोग को प्रोफेशनली भी ये काम करते हैं. 

तो इस साल आप भी कान्हा के रंग में रंग जाएं और उनके जन्म का आनंद लें. कान्हा को झूला झुलाएं और अगले दिन दही हांडी का पर्व ज़ोर शोर से मनाएं. 

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