International Womans Day 2024: सरोजनी नायडू कौन थीं, उन्हें भारत कोकिला क्यों कहा जाता है
International Womans Day 2024: सरोजनी नायडू कौन थीं, उन्ह: सरोजिनी नायडू महात्मा गांधी के साथ मिलकर स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुईं और कई महत्वपूर्ण आंदोलनों में भाग लिया. सरोजिनी नायडू को
नई दिल्ली :
International Womans Day 2024: सरोजनी नायडू कौन थीं, उन्हें भारत कोकिला क्यों कहा जाता है सरोजिनी नायडू, जिन्हें "भारत कोकिला" के नाम से भी जाना जाता है, भारत की स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण नेता रही थीं. उनका जन्म 13 फरवरी 1879 को हैदराबाद में हुआ था. सरोजिनी नायडू ने अपने प्रारंभिक शिक्षा को हैदराबाद में पूरी की और उसके बाद इंग्लैंड में शिक्षा प्राप्त की. वे महात्मा गांधी के साथ मिलकर स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुईं और कई महत्वपूर्ण आंदोलनों में भाग लिया. सरोजिनी नायडू को "भारत कोकिला" कहा जाता था क्योंकि उनकी आवाज बहुत मधुर थी. उनकी कविताओं में देशभक्ति, प्रकृति, और प्रेम के विषयों पर विचार किया गया था. उनका योगदान आज भी हमारे समाज में महत्वपूर्ण है और उन्हें "भारतीय नारी की शक्ति" के रूप में याद किया जाता है.
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:
सरोजिनी नायडू का जन्म एक बंगाली परिवार में हुआ था. उनके पिता अघोरनाथ चट्टोपाध्याय एक विद्वान और शिक्षाविद् थे, और उनकी माँ वरदासुंदरी देवी एक कवयित्री थीं.
उन्होंने हैदराबाद में निज़ाम कॉलेज और मद्रास विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की.
1895 में, वे उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड गईं.
उन्होंने किंग्स कॉलेज लंदन और गिरटन कॉलेज, कैम्ब्रिज में अध्ययन किया.
राजनीतिक जीवन:
1902 में, सरोजिनी नायडू गोविंदराजुलु नायडू से विवाह कर भारत लौट आईं.
1914 में, वे महात्मा गांधी से मिलीं और स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गईं.
वे एक कुशल वक्ता और संगठनकर्ता थीं.
उन्होंने कई महत्वपूर्ण आंदोलनों में भाग लिया, जिसमें असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन शामिल हैं.
1925 में, वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष बनीं, जो इस पद पर आसीन होने वाली पहली महिला थीं.
स्वतंत्रता के बाद, वे भारत की पहली महिला राज्यपाल बनीं.
साहित्यिक जीवन:
सरोजिनी नायडू एक प्रसिद्ध कवयित्री भी थीं.
उनकी कविताओं में देशभक्ति, प्रकृति और प्रेम जैसे विषयों का वर्णन है.
उनकी कुछ प्रसिद्ध कविताओं में "इन द बाज़ार", "द बर्ड ऑफ टाइम" और "द गोल्डन थ्रेशोल्ड" शामिल हैं.
मृत्यु:
सरोजिनी नायडू का 2 मार्च 1949 को लखनऊ में निधन हो गया.
उनकी विरासत:
सरोजिनी नायडू को भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता के रूप में याद किया जाता है.
वे एक प्रेरणादायक नेता, वक्ता और कवयित्री थीं.
उनकी विरासत आज भी भारत में प्रासंगिक है.
उनके बारे में कुछ रोचक तथ्य:
- सरोजिनी नायडू को "भारत कोकिला" का नाम दिया गया था क्योंकि उनकी आवाज बहुत मधुर थी.
- वे चार भाषाओं में धाराप्रवाह थीं - अंग्रेजी, हिंदी, बंगाली और तेलुगु.
- वे एक कुशल वाद-विवादकर्ता भी थीं.
- वे महिलाओं के अधिकारों के लिए एक प्रबल समर्थक थीं.
आज भी, सरोजिनी नायडू भारत में एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व हैं. उनकी वीरता, देशभक्ति और साहित्यिक योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने रहेंगे.
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