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Punjab Phulkari: पंजाब की फुलकारी कढ़ाई का इतिहास, जानें ये कितनी तरह की होती हैं

Punjab Designs Phulkari: पंजाब की फुलकारी एक प्रसिद्ध और प्रेमिका कढ़ाई कला है जो पंजाब राज्य के सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है.

Updated on: 16 Feb 2024, 02:53 PM

New Delhi:

Punjab Designs Phulkari: पंजाब की फुलकारी एक प्रसिद्ध और प्रेमिका कढ़ाई कला है जो पंजाब राज्य के सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है. इसका नाम "फुल्कारी" संस्कृत शब्द "फुल" और "कारी" से लिया गया है, जो फूलों की खूबसूरत कढ़ाई को दर्शाता है. फुलकारी कला मुख्य रूप से विविध रंगीन धागों का उपयोग करके किया जाता है. इसमें मुख्यतः फूलों, पत्तियों, जालियों, और अन्य जानवरों के आकृतियों को बुनने का काम होता है. यह धागों को समेटकर बुना जाता है ताकि एक सुंदर और विविध डिजाइन बने.  पंजाब की फुलकारी विविधता में भी दिखाई देती है, जैसे कि फाब्रिक, छिला, और मानक फुल्कारी. हर प्रकार की फुलकारी में अपनी खास खोज और महारत होती है. यह कला मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा अपनी सामाजिक समाज के साथ अधिकारित की जाती है और यह उनकी कला और संस्कृति का प्रतीक है. फुलकारी कला में विभिन्न प्रकार की गहनों, वस्त्रों, और घरेलू आवश्यकताओं को सजाने के लिए भी उपयोग किया जाता है. इस रूपरेखा में, पंजाब की फुलकारी एक समृद्ध और रंगीन संस्कृति का प्रतीक है जो उसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाता है.

फुलकारी कढ़ाई कितनी तरह की होती है? 

पाक फुल्कारी: यह फुलकारी कढ़ाई की सबसे प्रसिद्ध शैली है, जिसमें साथ में सजावटी धागे का उपयोग किया जाता है और बीच में उनको नापसंद या काट दिया जाता है. इसमें, धागों को बुनने के लिए अलग-अलग रंगों और उनके आकारों का उपयोग किया जाता है ताकि एक सुंदर और विविध डिज़ाइन बनाया जा सके. पाक फुलकारी में, प्रायः बीच में छोटे-छोटे दानों को काटा जाता है, जिससे उन्हें एक संतुलित और सुंदर रूप मिलता है. इस प्रकार की कढ़ाई में धागों को अलग-अलग रंगों की पल्लेट से चुनकर बुना जाता है, जो फूलों की आकृति या गुच्छों को बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है. पाक फुलकारी कढ़ाई की शैली उत्तरी भारतीय महिलाओं के बीच पसंद की जाती है, और इसे विशेषतः विवाह, उत्सव, और सामाजिक अवसरों पर पहना जाता है. यह न केवल एक रंगीन और सुंदर फैशन स्टेटमेंट होता है, बल्कि इसका महत्वपूर्ण स्थान सांस्कृतिक और परंपरागत दृष्टिकोन से भी है.

छम्मास फुल्कारी: छम्मास फुलकारी एक प्रसिद्ध फुलकारी कढ़ाई की एक विशेष शैली है जो पंजाब के संदर्भ में लोकप्रिय है. इस शैली में, धागों को छोटे-छोटे सिलाई के स्टिचों से बुना जाता है जो एक ही रंग का होता है. यह धागा चमकीला होता है और इसमें चांदी या सोने की धागा का उपयोग किया जाता है. छम्मास फुलकारी में, छोटे सिलाई के स्टिच फूलों, पत्तियों, और अन्य आकृतियों को बनाने के लिए इस्तेमाल होते हैं. धागों की चमक और उनके संरेखण का इस्तेमाल किया जाता है ताकि फूलों और पत्तियों की आकृति को बेहतर ढंग से दिखाया जा सके. छम्मास फुलकारी का उपयोग प्राचीन समय से ही उत्तरी भारत में साड़ियों, दुपट्टे, और अन्य परिधानों को सजाने के लिए किया जाता है. यह शैली बहुत ही सुंदर और आकर्षक होती है और इसे पंजाबी स्टाइल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है.

घुंघट बाग फुल्कारी: ये एक विशेष प्रकार की फुलकारी कढ़ाई है जो पंजाबी महिलाओं के बीच प्रसिद्ध है. इस शैली में, धागों को उचित अंतरालों पर बुनकर एक सुंदर फूलों और पत्तियों की आकृति बनाई जाती है. इसका नाम "घुंघट बाग" इसलिए है क्योंकि इसमें फूलों और पत्तियों की आकृति घुंघट के रूप में बुनी जाती है. घुंघट बाग फुलकारी में, धागों को संयोजित करने के लिए विभिन्न रंगों का उपयोग किया जाता है जो फूलों और पत्तियों को जीवंत और आकर्षक बनाता है. इस शैली में फूलों और पत्तियों की आकृति को धागों के संरेखण से बनाया जाता है, जिससे वे अधिक व्यावसायिक और उत्कृष्ट दिखते हैं. घुंघट बाग फुलकारी को प्राचीन समय से ही पंजाब के महिलाओं द्वारा खासतौर पर धारण किया जाता है. यह फुलकारी की एक विशेषता है और इसे विभिन्न समाजिक और सांस्कृतिक अवसरों पर पहना जाता है. घुंघट बाग फुलकारी की शैली महिलाओं के परिधान को सजाने के लिए प्रिय है और इसे एक आकर्षक फैशन स्टेटमेंट के रूप में भी माना जाता है.

सैंची फुल्कारी: ये एक प्रमुख फुलकारी कढ़ाई की प्रकार है जो मध्य प्रदेश के सैंची नामक स्थान से जुड़ी हुई है. यह प्राचीन कला और सौंदर्य की एक अद्वितीय रूपरेखा है जो परंपरागत रंग, आकार, और डिज़ाइन का समृद्ध उपयोग करती है. सैंची फुलकारी में, धागों को सुंदर रंगीन डिज़ाइन बनाने के लिए उपयोग किया जाता है. इसमें प्राचीन रंगों का जादू, जैसे कि लाल, हरा, नीला, पीला, और सफेद, का उपयोग किया जाता है ताकि एक सुंदर और विविध डिज़ाइन बना सके. सैंची फुलकारी की विशेषता उसके विभिन्न आकारों और डिज़ाइन में है, जो इसे अन्य फुलकारी कढ़ाई की शैलियों से अलग बनाता है. इसमें गुलाब, कमल, पत्तियाँ, और अन्य प्राचीन संगीतमय आकारों को बनाने के लिए धागों को उपयोग किया जाता है. सैंची फुलकारी का परिधानों, टेबल कवर, और गहनों में व्यापक उपयोग किया जाता है और इसे उत्कृष्टता और संवेदनशीलता का प्रतीक माना जाता है. यह प्राचीन कला और शैली का विशेष रूप है जो भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है. 

चोपे फुल्कारी: ये एक प्रसिद्ध फुलकारी कढ़ाई की विशेष शैली है जो पंजाब के संदर्भ में लोकप्रिय है. इस शैली में, धागों को छोटे-छोटे अंतरालों पर बुनकर एक सुंदर फूलों और पत्तियों की आकृति बनाई जाती है. इसका नाम "चोपे" इसलिए है क्योंकि इसमें फूलों और पत्तियों की आकृति को छोटे-छोटे अंतरालों पर बुना जाता है. चोपे फुलकारी में, धागों को संयोजित करने के लिए विभिन्न रंगों का उपयोग किया जाता है जो फूलों और पत्तियों को जीवंत और आकर्षक बनाता है. इस शैली में फूलों और पत्तियों की आकृति को धागों के संरेखण से बनाया जाता है, जिससे वे अधिक व्यावसायिक और उत्कृष्ट दिखते हैं. चोपे फुलकारी का उपयोग प्राचीन समय से ही पंजाब के महिलाओं द्वारा खासतौर पर धारण किया जाता है. यह फुलकारी की एक विशेषता है और इसे विभिन्न समाजिक और सांस्कृतिक अवसरों पर पहना जाता है. चोपे फुलकारी की शैली महिलाओं के परिधान को सजाने के लिए प्रिय है और इसे एक आकर्षक फैशन स्टेटमेंट के रूप में भी माना जाता है.