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चंद्रयान-3 की सफलता से कहां पहुंचेगा देश, जानें भारत को क्या होगा फायदा

सब कुछ ठीक रहा तो 23 अगस्त को चंद्रयान-3 चांद पर लैंड करेगा.  अब सवाल उठता है कि इस लॉचिंग से भारत को किस स्तर की सफलता मिलने वाली है.

Updated on: 14 Jul 2023, 04:25 PM

नई दिल्ली:

Chandrayaan-3 launch: इसरो का मिशन मून यानी चंद्रयान-3 लॉन्च हो गया. भारत ने इसके साथ ही अंतरिक्ष में एक नया अध्याय लिख दिया. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) 14 जुलाई को दोपहर 2:35 बजे प्रक्षेपण कर दिया. यह मिशन दो महीने की लंबी यात्रा पर रहने वाला है.  सब कुछ ठीक रहा तो 23 अगस्त को चंद्रयान-3 चांद पर लैंड करेगा.  अब सवाल उठता है कि इस लॉचिंग से भारत को किस स्तर की सफलता मिलने वाली है. इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायण का कहना है कि सफल लैंडिंग से भारत बड़ी उप​लब्धि हासिल करने वाला है. भारत इस सफलता को पाने वाला चौथा देश होगा. इससे पहले रूस, अमेरिका, चीन यह सफलता हासिल कर चुके हैं. इससे देश को अंतरिक्ष विज्ञान में विकास की क्षमता हासिल होगी. इसके साथ वैश्विक अंतरिक्ष उद्योग में अपनी भागीदारी बढ़ाने में मदद मिलेगी. इस समय 600 अरब डॉलर के कारोबार में भारत की भागीदारी महज दो फीसदी ही है. 

 

स्वदेशी रूप से विकसित होगी टेक्नोलॉजी  

चंद्रयान-3 अगर सफल हो जाता है तो नई टेक्नोलॉजी तैयार की जाएगी. देश के विकास के लिए स्वदेशी रूप से विकसित प्रौद्योगिकी जरूरी है. दरअसल, इसरो कम बजट में अपने महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशनों को पूरा करने के लिए जाना जाता है. अन्य देशों के मुकाबले इन अभियानों पर हमारा खर्चा बहुत कम है.   हमें मिशन की सफलता को लेकर 23 या 24 अगस्त के दिन का इंतजार करना होगा. चंद्रमा पर लैंडिंग इन्हीं तारीखों पर होनी है.

देश में नए स्टार्टअप शुरू होंगे 

 चूंकि भारत अब प्रौद्योगिकी विकास में निजी भागीदारी को बढ़ावा दे रहा है. ऐसे में इस क्षेत्र में प्रवेश करने के लिए अधिक स्टार्टअप की गुंजाइश होगी. उन्होंने कहा कि देश में कई नए स्टार्टअप स्थापित होंगे. इसके साथ हमारे पास जो स्टार्टअप हैं, उन्हें बेहतर फंडिंग ​मिलेगी. कई देश यहां पर मौजूद स्टार्टअप से कनेक्ट हो सकते हैं. 

अर्थव्यवस्था को बड़ा उछाल मिलेगा

 चंद्रयान-3 मिशन की सफलता से अंतिरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था को बड़ा प्रोत्साहन मिलने वाला है. गौरतलब है कि चंद्रयान-2 चंद्रमा पर उतरने में सफल रहा था, मगर कुछ समस्या की वजह से सॉफ्ट लैंडिंग नहीं हो पाई थी.  इसरो के पूर्व वैज्ञानिक के अनुसार, इन चार सालों हर पहलू पर काम किया गया है. इस बार सॉफ्ट लैंडिंग की उम्मीद की जा रही है.