logo-image

फ्रांस में लीगल हुआ अबॉर्शन कराना...भारत में क्या है गर्भपात को लेकर कानून?

आसान भाषा में समझें कि अब फ्रांस में गर्भपात कराना अपराध नहीं होगा. यहां की महिलाएं अब गर्भपात करा सकेंगी. इस ऐतिहासिक फैसले के बाद पूरे फ्रांस में महिलाओं में खुशी देखी जा रही है.

Updated on: 06 Mar 2024, 11:26 AM

नई दिल्ली:

फ्रांस में सोमवार को संसद में एक ऐसा कानून पेश किया गया, जिसका फ्रांस की महिलाएं लंबे समय से इंतजार कर रही थीं. सदन में गर्भपात को लेकर बिल पेश हुआ. जिसके बाद गर्भपात को संवैधानिक अधिकार देने वाला फ्रांस दुनिया का पहला देश बन गया है. यानी आसान भाषा में समझें कि अब फ्रांस में गर्भपात कराना अपराध नहीं होगा. यहां की महिलाएं अब गर्भपात करा सकेंगी. इस ऐतिहासिक फैसले के बाद पूरे फ्रांस में महिलाओं में खुशी देखी जा रही है.

फ्रांस की सड़कों पर महिलाएं उतरकर अपनी खुशी का इजहार कर रही हैं. साथ ही एफिल टावर पर एक अलग ही चमक देखने को मिलती है. हालांकि इन सबके बीच कई हिस्सों में इसका विरोध भी देखने को मिल रहा है, कई लोग इस कानून का विरोध कर रहे हैं. आज हम इसी संबंध में जानेंगे कि भारत में गर्भपात को लेकर क्या कानून है?

भारत में गर्भपात को लेकर क्या है कानून?

आपको बता दें कि पिछले साल यानी 2023 में गर्भपात को लेकर देश में काफी बवाल हुआ था. 26 हफ्ते की गर्भवती महिला ने गर्भपात को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. हालांकि महिला की मांग खारिज कर दी गई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह 26 हफ्ते 5 दिन की गर्भवती है, इसलिए गर्भपात कराना कानून का उल्लंघन होगा. अब सवाल यह है कि गर्भपात कानून क्या कहता है? आइए एकदम आसान भाषा में जानते हैं. देश में गर्भपात पर नियंत्रण के लिए मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1971 है, जिसके जरिए गर्भपात को लेकर एक विशेष कानून बनाया गया है, जिसमें बताया गया है कि किन मामलों में गर्भपात कराया जा सकता है.

  • अगर किसी महिला को लगता है कि गर्भधारण के कारण उसके मानसिक या शारीरिक स्वास्थ्य को खतरा है तो वह रजिस्टर्ड डॉक्टर से गर्भपात करा सकती है. 
  • अगर किसी महिला को लगता है कि गर्भ में पल रहे भ्रूण को गंभीर मानसिक बीमारी होने की आशंका है तो वह गर्भपात करा सकती है.
  • अगर डॉक्टर को लगता है कि डिलीवरी के दौरान महिला में शारीरिक असामान्यताएं होंगी तो डॉक्टर को बच्चे का गर्भपात कराने का अधिकार है.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

कई मामलों में ऐसा सुनने को मिलता है कि गर्भनिरोधक लेने के बावजूद भी महिला गर्भवती हो जाती है. इस स्थिति में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1971 कहता है कि इसे गर्भनिरोधक विफलता का परिणाम माना जाएगा और गर्भपात की अनुमति दी जाएगी. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अविवाहित महिलाओं को भी 24 हफ्ते तक गर्भपात कराने की इजाजत दी जानी चाहिए. बलात्कार के मामले में भारतीय कानून कहता है कि 24 सप्ताह तक गर्भपात कराया जा सकता है.