Inflation: क्या है महंगाई का मौसम से कनेक्शन? जानें कौन से कारण डालते हैं असर
आपके जेहन में यह सवाल उठते होंगे कि महंगाई का मौसम से कनेक्शन क्या है? लगातार खाद्य महंगाई क्या और बढ़ेगी? महंगाई को रोकने के लिए क्या कदम उठा रही है सरकार? आइए जानने की कोशिश करते हैं इसकी क्या है प्रक्रिया.
नई दिल्ली:
अकसर लोग महंगाई को लेकर सरकार को कोसते हैं. इसमें कई बार अन्य कारण भी होते हैं. आइए जानते हैं महंगाई बढ़ने की क्या है प्रक्रिया. सबसे पहले आप मांग और सप्लाई के बारे में समझ लीजिए. मांग ज्यादा हो और सप्लाई कम हो तो महंगाई बढ़ती है. लेकिन अगर सप्लाई ज्यादा हो और मांग कम हो तो कीमतें गिर जाती हैं. महंगाई के पीछे मांग और सप्लाई का ही गणित काम करता है. ये गणित समझना इसलिए जरूरी है क्योंकि यही गणित आपकी और हमारी जेबों पर असर डालता है. ऐसे समझिए कि मौसम खराब तो फसलें खराब, फसलें खराब तो सप्लाई कम, और सप्लाई कम तो महंगाई ज्यादा. यानी सीधे आपकी जेब पर असर. तो अगर आप अपनी जेब पर महंगाई के असर को महसूस करने लगे हैं तो ये जान लीजिए कि ये असर अभी और भी बढ़ सकता है. क्योंकि मौसम का हाल बुरा है.
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100 सालों में सबसे सूखा अगस्त
इस साल अगस्त में बारिश बहुत कम रही. इतनी कम कि ये अगस्त पिछले करीब 122 सालों का सबसे सूखा अगस्त रहा. आंकडे कहते हैं कि इस अगस्त 198.20 मिलीमीटर बारिश हुई है. लेकिन सामान्य तौर पर 235 मिलीमीटर बारिश होती है. यानी इस बार बारिश करीब 16 फीसद कम रही है. इससे पहले साल 1901 में इतनी कम बारिश हुई थी. लेकिन ऐसा क्यों हो रहा है? आखिर बारिश क्यों नहीं हो रही है? आप भी अगर यही सोच रहे हैं तो इन सवालों का जवाब है- अलनीनो के कारण.
अलनीनो का खतरा कितना बड़ा?
अलनीनो की स्थितियां तब बनती हैं जब प्रशांत महासागर के मध्य और पूर्वी इलाकों में तापमान सामान्य से अधिक हो जाता है. इसके कारण भारत में मानसून की स्थिति कम रहती है. बारिश कम होती है. विश्व मौसम विज्ञान संगठन का ये मानना है कि इस साल अलनीनो मध्यम शक्ति का हो सकता है. ये माना जा रहा है कि अलनीनो की स्थितियां साल 2029 तक बनी रह सकती हैं और अगर ऐसा होता है तो दुनिया की अर्थव्यवस्था को करीब 250 लाख करोड़ का नुकसान हो सकता है. लेकिन ऐसा नहीं है कि भारत सरकार को अलनीनो के बारे में जानकारी नहीं है.
क्या तैयारियां कर रही भारत सरकार?
चलिए अब आपको ये बताते हैं कि भारत सरकार अलनीनो से निपटने के लिए क्या तैयारी कर रही है. भारत ने 2022 में गेहूं, आटा, मैदा और सूजी के निर्यात पर बैन लगा दिया था. इसके बाद गैर बासमती सफेद चावल का निर्यात रोका था. हाल ही में बासमती चावल के निर्यात को भी रोक दिया गया. प्याज के निर्यात पर शुल्क लगा दिया गया. ये तमाम कवायद दिखाती है कि सरकार पहले घरेलू जरूरतों पर ध्यान दे रही है. लेकिन इसकी वजह से दुनिया पर संकट की स्थिति बन सकती है.
क्या हो सकता है दुनिया पर असर?
भारत, दुनिया के कई देशों के लिए पालनहार के जैसा है. अफ्रीका के कई देशों में भारत का अनाज जाता है. भारत के चावल दुनिया के कई देशों में निर्यात होते हैं. लेकिन अब भारत ने निर्यात पर कुछ लगाम लगाने का फैसला किया है. दूसरी ओर चीन में भी मौसम के कारण हालात खराब हैं. इस साल चीन से भी अनाज का निर्यात घट जाएगा. उधर रूस ने ब्लैक सी ग्रेन डील से अपने पांव पीछे खींच लिए थे. इसके कारण यूक्रेन से आने वाले अनाज की सप्लाई भी रुक गई है.
यानी कुल मिलाकर दुनिया के सामने जो हालात हैं वो अलनीनो के कारण हैं. लेकिन मौसम की इस रुसवाई का असर आपकी जेब पर होना तय है. अब देखना ये होगा कि सितंबर में मौसम के हाल क्या रहने वाले हैं.
(रिपोर्ट: वरुण शर्मा)
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