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SC में सरकार की दलील-वोटर को राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाले चंदे को जानने का हक़ नहीं

राजनीतिक दलों के चंदे के लिए इलेक्टोरल बांड की व्यवस्था को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया.

Updated on: 11 Apr 2019, 07:04 PM

नई दिल्‍ली:

राजनीतिक दलों के चंदे के लिए इलेक्टोरल बांड की व्यवस्था को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया. कोर्ट कल आदेश सुनायेगा. आज हुई सुनवाई में सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कुछ विवादस्पद दलील रखी.

अटॉनी जनरल की दलील

याचिकाकर्ताओं की ओर से रखी गई वोटर के जानने के अधिकार की दलील का जवाब देते हुए अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा- "उनकी (याचिकाकर्ताओं की) दलील है कि वोटर को जानने का हक़ है, लेकिन सवाल ये है कि वोटर को क्या जानने की ज़रूरत है? वोटर को ये जानने का हक़ तो नहीं है कि राजनैतिक पार्टियों को चंदा कहां से मिल रहा है. फिर सुप्रीम कोर्ट का निजता के अधिकार को लेकर दिया गया फैसला भी तो है"

"ब्लैकमनी को ख़त्म करेगा इलेक्टरोल बांड"

अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने एक बार फिर दोहराया कि इलेक्टरोल बांड का मकसद ब्लैक मनी को खत्म करना है. ये सरकार का नीतिगत फैसला है, जिस पर सवाल नहीं उठाया जा सकता. कोई भी राजनीतिक पार्टी बांड के लिए एक ही खाता खोल सकती है और सरकार ये सुनिश्चित करती है कि बांड खरीदने वाले की पहचान का खुलासा न हो. अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट से आग्रह किया कि कम से कम इस लोकसभा चुनाव तक इलेक्टरोल बांड पर रोक न लगाई जाए. मतगणना के बाद जो सरकार आएगी, वो उस पर फैसला ले लेगी.

सुप्रीम कोर्ट के तीखे सवाल

अटॉनी जनरल के के वेणुगोपाल कोर्ट में दोहराते रहे कि ब्लैक मनी को रोकने के लिए सरकार ने ये कदम उठाया है. हालांकि कोर्ट ने कई सवाल भी पूछे, आशंका भी जाहिर की. मसलन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने अटॉनी जनरल से पूछा कि अगर बैंक किसी एक्स, वाई , जेड को इलेक्टरोल बांड देते है तो क्या बैकों के पास इस बात का रिकॉर्ड होता है कि कौन सा बांड एक्स को दिया गया है और कौन सा वाई को. अटॉनी जनरल ने जब इससे इंकार किया तो चीफ जस्टिस ने कहा कि इसका मतलब तो ब्लैकमनी को रोकने के लिए आपकी कवायद ही बेकार हो गई.

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बेंच के एक दूसरे सदस्य जस्टिस संजीव खन्ना ने भी सवाल किया कि अटॉनी जनरल ,आपने केवाईसी का ज़िक्र किया है. लेकिन केवाईसी तो सिर्फ बांड खरीदने वाले की पहचान को मेंशन करता है, लेकिन रकम सफेद है या काला धन, इसका केवाईसी से खुलासा नहीं होता. जस्टिस खन्ना ने ये भी आशंका जताई कि शैल कम्पनियों के जरिये काले धन को सफेद किया जा सकता है, और ऐसे में केवाईसी से कोई मकसद हल नहीं निकलेगा.

इस पर अटॉनी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि इलेक्टरोल बांड सरकार ने एक प्रयोग के तौर पर शुरू किया है और ये मौजूदा व्यवस्था से बुरी व्यवस्था नहीं है. इसलिए इस व्यवस्था को अभी जारी रखने की इजाजत होनी चाहिए