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यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को दिया हलफनामा बताई अलीगढ़ में हालात बिगड़ने की वजह

कई बार AMU के छात्र इकट्ठा हुए, सड़क जाम की, परिसर के अंदर पीएम, सीएम के पुतले फूंके गए.नफ़रत भरे नारेबाजी की, जिसके चलते साम्प्रदायिक तनाव फैला.

Updated on: 21 Jun 2020, 07:00 PM

नई दिल्ली:

यूपी सरकार ने असम को भारत से काटने का बयान देने वाले जेएनयू के छात्र शर्जील इमाम पर 5 राज्यों में चल रहे केस की एक साथ दिल्ली में जांच की उसकी मांग का विरोध किया है. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में यूपी सरकार ने कहा है कि शर्जील ने अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में सोची समझी साजिश के तहत स्पीच दी. उसकी स्पीच वायरल होने के बाद दो महीने तक अलीगढ़ जिले में दंगा- फसाद , आगजनी, पत्थरबाजी होती रहे रहा. कई बार AMU के छात्र इकट्ठा हुए, सड़क जाम की, परिसर के अंदर पीएम, सीएम के पुतले फूंके गए.नफ़रत भरे नारेबाजी की, जिसके चलते साम्प्रदायिक तनाव फैला.

इसके बाद 23 फरवरी को 500-600 अज्ञात लोगों ने पत्थरबाजी की, मंदिरों के अंदर पुजारियो के साथ हाथापाई की, दानपेटियां लूटी गई. ऐसे कई घटनाओं का जिक्र करते हुए यूपी सरकार ने कहा कि ये सारी घटनाएं अलीगढ़ में हुई. इनके सबूत और गवाह सब यही पर है. लिहाजा जांच और केस का ट्रायल अलीगढ़ में ही चल सकता है. शर्जील के खिलाफ अलीगढ़ में दर्ज FIR को बाकी राज्यो में दर्ज FIR के साथ नहीं जोड़ा जा सकता.

शर्जील ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अर्जी में,दिल्ली,यूपी,असम,अरुणाचल,मणिपुर में दर्ज FIR की एक साथ दिल्ली में जांच की मांग की है. भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए के तहत तीन वर्ष से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है. अदालत ने गत छह फरवरी को जेएनयू से पीएचडी कर रहे इमाम को न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. इमाम को यहां जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय और अलीगढ़ में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने के लिए गत 28 जनवरी को बिहार के जहानाबाद से गिरफ्तार किया गया था. इमाम को अगले दिन दिल्ली लाया गया था. 

क्राइम ब्रांच के मुताबिक शरजील ने कई भड़काऊ भाषण दिए थे. जांच में पता चला है कि शरजील ने जामिया नगर में दो बार भड़काऊ भाषण दिया था. पुलिस को शरजील के मोबाइल से भी भड़काऊ भाषण वाले चार वीडियो मिले हैं. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो शरजील इमाम के वाट्सएप ग्रुप पर पीएफआइ के सदस्य जुड़े हुए हैं, लिहाजा पुलिस को शक है कि उसका संबंध किसी आतंकी संगठन से भी हो सकता है.