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किसान आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी, हाईवे को अनिश्चित काल के लिए नहीं कर सकते बंद

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पिछले साल पारित तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमा पर सड़क जाम कर प्रदर्शन कर रहे किसानों के बारे में जिक्र किया और आश्चर्य जताया कि कैसे हाईवे को अनिश्चित काल के लिए बंद किया जा सकता है.

Updated on: 30 Sep 2021, 04:08 PM

highlights

  • रास्ता ब्लॉक को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
  • कहा-नियमों का पालन करवाना अधिकारियों का कर्तव्य
  • मोनिका अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी कोर्ट

 

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पिछले साल पारित तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमा पर सड़क जाम कर प्रदर्शन कर रहे किसानों के बारे में जिक्र किया और आश्चर्य जताया कि कैसे हाईवे को अनिश्चित काल के लिए बंद किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि कोर्ट द्वारा निर्धारित नियमों का पालन करवाना अधिकारियों का कर्तव्य है. शीर्ष अदालत ने यूपी गेट के पास दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर सड़क खुलवाने की मांग वाली याचिका पर किसान संघों को पक्षकार बनाने के लिए केंद्र को औपचारिक आवेदन दाखिल करने की अनुमति दी. जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एम एम सुंदरेश की बेंच ने कहा, समस्याओं का समाधान न्यायिक, मंच, आंदोलन या संसदीय बहस के माध्यम से हो सकता है, लेकिन कैसे हाईवे को बंद किया जा सकता है और ऐसा हमेशा के लिए हो रहा है. यह कहां समाप्त हो रहा है.

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शीर्ष अदालत नाकाबंदी हटाने की मांग करने वाली नोएडा निवासी मोनिका अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. मोनिका अग्रवाल ने कहा था कि जहां उसे दिल्ली पहुंचने में 20 मिनट लगते थे और अब इसमें दो घंटे से अधिक समय लग रहा है जबकि यहां के आसपास के लोगों को भी काफी समस्या का सामना कर रहे हैं.


केंद्र को आवेदन दायर करने की मिली अनुमति

शीर्ष कोर्ट के जवाब में मेहता ने कहा कि बहुत ही उच्च स्तर पर एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है. हमने उन्हें (आंदोलनकारी किसानों को) बैठक में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया, लेकिन वे बैठक में शामिल नहीं हुए, मेहता ने मोनिका अग्रवाल द्वारा दिल्ली व नोएडा के बीच आवाजाही में हो रही परेशानी को लेकर दायर याचिका में आंदोलनकारी किसान समूहों को पक्षकार बनाने के लिए अदालत की अनुमति मांगी. शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को इस संबंध में एक आवेदन दायर करने की अनुमति दे दी और मामले को सोमवार को विचार के लिए रखा दिया है. पिछले हफ्ते हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा था कि वह दिल्ली से सटे राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों पर सड़कों पर जमे बैठे किसानों को सड़कों से हटने के लिए मनाने के अपने प्रयास जारी रखेगी भले ही किसान इस मुद्दे को हल करने के लिए गठित पैनल से मिलने के लिए आगे नहीं आए.