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जमानत का आधार कोरोना वायरस नहीं हो सकता : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी कैदी को इस आशंका के आधार पर कि जेल में रहने पर कोरोना हो सकता है, किसी को ज़मानत नहीं दी जा सकती. कोर्ट को हर केस में उसकी मेरिट पर विचार करना होगा.

Updated on: 25 May 2021, 05:14 PM

highlights

  • पूरे देश में कोरोना वायरस का संक्रमण फैला हुआ है
  • इसकी चपेट में आकर कई लोगों ने अपनी जान गवाई है
  • कोरोना से मौत के डर से नहीं मिल सकती अग्रिम जमानत

नई दिल्ली:

पूरे देश में कोरोना वायरस का संक्रमण फैला हुआ है. इसकी चपेट में आकर कई लोगों ने अपनी जान गवाई है. रोजाना करीब तीन लाख कोरोना सक्रमण के केस सामने आ रहे हैं. इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम बयान दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी कैदी को इस आशंका के आधार पर कि जेल में रहने पर कोरोना हो सकता है, किसी को ज़मानत नहीं दी जा सकती. कोर्ट को हर केस में उसकी मेरिट पर विचार करना होगा. दरअसल, यूपी सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के इसी आशंका के आधार पर एक आरोपी को अग्रिम जमानत देने के फैसले को चुनौती दी थी. यूपी सरकार का कहना था कि जिसे ज़मानत मिली, वह एक ठग है. 130 मामले उसके खिलाफ पेंडिंग है. बहरहाल कोर्ट ने यूपी सरकार की अर्जी पर नोटिस जारी किया. जुलाई के पहले हफ्ते के लिए मामला सुनवाई  के लिए लगाया. मीनाक्षी लेखी को एमिकस क्युरी नियुक्त किया है.

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कोरोना से मौत के डर से नहीं मिल सकती अग्रिम जमानत
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया है. शीर्ष अदालत ने कहा कि अग्रिम जमानत पर फैसला केस की मेरिट के आधार पर किया जाना चाहिए. कोरोना संक्रम्ण होने से मौत के डर के चलते ऐसा नहीं किया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि हाई कोर्ट ने ठगी के आरोपी को अग्रिम जमानत दी है और ये जमानत कोविड के कारण दी गई है. हाल के फैसले में हाई कोर्ट ने कहा था कि राज्य के पास तैयारियों की कमी है, ऐसे में जो भी शख्स गिरफ्तार होता है उसे कोरोना होने का डर है. कोरोना का जो डर है वह अग्रिम जमानत का ग्राउंड बनेगा.

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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने क्या कहा था?

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा था कि अगर आरोपी को आशंका है कि कोरोना फैल सकता है. अगर वह कोरोना की चपेट में आ सकता है और गिरफ्तारी के बाद या पहले भी इस बात की आशंका है कि कोरोना वायरस फैल सकता है और पुलिस के कॉन्टैक्ट में आने के बाद ये फैल सकता है या फिर जेल कर्मियों के संपर्क में आने से फैल सकता है या आशंका इसके उलट हो तो ये अग्रिम जमानत का वैलिड ग्राउंड हो सकता है. हाई कोर्ट ने कहा था कि अति विशेष परिस्थितियों में अति विशेष उपचार की जरूरत पड़ती है. कानून को उसी तरह से व्याख्या करने की जरूरत है. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के उक्त आदेश पर रोक लगा दी है.