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जम्मू-कश्मीर पर अब पीएम मोदी और अमित शाह का Plan B तैयार, होगा कायाकल्प

प्लान बी की पहली कड़ी में सरकार अक्टूबर में इनवेस्टमेंट समिट आयोजित करने की तैयारी कर रही है ताकि निवेश के जरिये जम्मू-कश्मीर के औद्योगिक परिदृश्य को बदला जा सके.

Updated on: 06 Aug 2019, 02:17 PM

highlights

  • अक्टूबर में श्रीनगर में इनवेस्टमेंट समिट आयोजित करने की योजना.
  • निजी निवेशकों के आने से राज्य के आर्थिक हालात सुधरेंगे.
  • इससे हर क्षेत्र में बदलाव आएगा. स्थानीय लोगों का जीवन स्तर सुधरेगा.

नई दिल्ली.:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर को लेकर अब प्लान बी पर काम शुरू कर दिया है. इसके तहत केंद्र शासित प्रदेश को विकास की राह पर सरपट भगाने की योजना है. इसमें वह योजनाएं भी शामिल हैं, जिससे नागरिकों को विश्वास दिलाना आसान होगा कि धारा 370 वास्तव में राज्य की आर्थिक खुशहाली की राह में रोड़ा थी. साथ ही इसके कारण ही स्थानीय लोगों के जीवन स्तर में सुधार नहीं आ सका. प्लान बी की पहली कड़ी में सरकार अक्टूबर में इनवेस्टमेंट समिट आयोजित करने की तैयारी कर रही है ताकि निवेश के जरिये जम्मू-कश्मीर के औद्योगिक परिदृश्य को बदला जा सके.

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निजी निवेशकों के लिए इनवेस्टमेंट समिट अक्टूबर में
सरकार का मानना है कि जम्मू-कश्मीर के दर्जे में बदलाव से निवेशकों का झुकाव केंद्र शासित प्रदेश होने के नाते राज्य की तरफ बढ़ेगा. अब तक धारा 370 और 35-ए के प्रावधान औद्योगिक घरानों को इस राज्य में निवेश करने, जमीन खरीदने और दक्ष कामगारों की सेवाएं लेने से रोकते थे. अगर आधिकारिक आंकड़ों की बात करें तो 2000 से 2016 के बीच केंद्रीय योजनाओं का महज 10 फीसदी हिस्सा ही जम्मू-कश्मीर को मिला, लेकिन इस अवधि में राज्य के खास दर्जे और प्रावधानों के चलते निजी निवेश न के बराबर ही हुआ.

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प्रत्येक स्तर पर आएगा सुधार
जम्मू-कश्मीर के खास प्रावधान ही राज्य के बाहर के विशेषज्ञों और प्रोफेशनल्स को जम्मू-कश्मीर में सरकारी नौकरी में आने से रोकते थे. इस वजह से दक्ष शिक्षकों समेत कामगारों की समस्या हमेशा से राज्य में रही. अब इस मामले में छूट मिलने से शिक्षण संस्थानों से लेकर प्रत्येक विभाग में क्षमतावान लोगों की नियुक्ति की जा सकेगी. इससे न सिर्फ राज्य का शिक्षण स्तर सुधरेगा, बल्कि व्यापार-व्यवसाय में भी आसानी होगी. इसका सीधा फायदा स्थानीय लोगों को ही मिलेगा.

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अब राज्य में डूइंग ऑफ बिजनेस आसान
सूत्रों के मुताबिक, कश्मीर में आर्थिक विकास के लिए सरकार का इनवेस्टमेंट समिट का प्लान है. अक्टूबर में श्रीनगर में एक बड़ी इनवेस्टमेंट समिट आयोजित की जाएगी. इसमें देश के जाने-माने कारोबारी शिरकत करेंगे. अब तक जम्मू-कश्मीर में रणबीर दंड संहिता लागू थी, जिसके कारण कोई भी बाहरी कश्मीर में न तो जमीन खरीद सकता था और न ही कारोबार कर सकता था. हालांकि 370 को निष्क्रिय करने के बाद दूसरे राज्य को लोग भी कश्मीर में जमीन खरीद पाएंगे. कारोबारी प्लांट लगा पाएंगे.

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जम्मू-कश्मीर में आर्तिक सुधारों की योजना
सरकार कश्मीर में रेलवे, रोड, हाइवे प्रोजेक्ट भी लाने जा रही है. फूड पार्क बनाने पर भी विचार किया जा रहा है. सूत्रों का कहना है कि सरकार आने वाले कुछ दिनों में कश्मीर में आर्थिक सुधार को लेकर बड़ा ऐलान कर सकती है. दरअसल, भारत में जम्मू-कश्मीर पर्यटन के लिहाज से सबसे बेहतर राज्य है. लेकिन अब तक यहां पर्यटन को उस तरह से बढ़ावा नहीं मिल पाया है, जिस तरह का होना चाहिए. अब जब केंद्र की कोशिश से यहां से निवेश बढ़ेगा तो स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे.

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स्थानीय युवा आ सकेंगे मुख्यधारा में
सूत्रों ने बताया कि भारत के अन्य राज्यों में पढ़ाई व काम कर रहे कश्मीरी युवाओं की बड़ी आबादी को भारत के नागरिक के समान 'शक्ति और आत्मविश्वास' मिलेगा. साथ ही वे किसी विशेष नागरिक के तौर पर श्रेणीबद्ध नहीं किए जाएंगे. कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बनने से निजी और सार्वजनिक निवेश के प्रवाह की राह आसान होगी. ऐसे में अर्थव्यवस्था का ग्राफ बढ़ेगा. उच्च गुणवत्ता वाले संस्थानों का विकास होगा. इन अल्प विकसित क्षेत्रों में पर्यटन के विकास के लिए भारी मात्रा में फंड आएगा.