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दिल्ली डायलॉग में बोले PM-अफगान को नहीं बनने देंगे आतंकवाद का घर

ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव, रियर एडमिरल अली शामखानी ने अपनी टिप्पणियों में अफगानिस्तान में आतंकवाद, गरीबी और मानवीय संकट की चुनौतियों के बारे में बात की.

Updated on: 15 Nov 2021, 08:41 PM

highlights

  • अफगानिस्तान को लेकर भारत की मेजबानी में चल रही दिल्ली क्षेत्रीय सुरक्षा वार्ता
  • पीएम मोदी ने 7 देशों के सुरक्षा परिषदों के एनएसए / सचिवों की अगवानी की
  • अफगान स्थिति से संबंधित क्षेत्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर चर्चा हुई

 

नई दिल्ली:

आठ देशों के शीर्ष सुरक्षा अधिकारी इस समय दिल्ली में है. वे भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के साथ अजीत डोभाल के साथ तालिबान शासित अफगानिस्तान पर चर्चा कर रहे हैं. भारत, रूस, ईरान और पांच मध्य एशियाई देशों के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों की मुख्य चिंता तालिबान नियंत्रित अफगानिस्तान से आतंकवादी गतिविधियों के संभावित प्रसार पर है. शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों ने इस चुनौती से निपटने के लिए सामूहिक दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया. भारत ने इस बैठक में चीन और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों को भी आमंत्रित किया था. लेकिन दोनों देशों ने अपने सुरक्षा अधिकारियों को इसमें नहीं भेजा. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली डायलॉग की सराहना की है. प्रधानमंत्री ने कहा कि अफगानिस्तान को आतंकवादियों के सहारे नहीं छोड़ा जा सकता है.

रूसी दूतावास ने ट्वीट कर कहा कि आज पीएम मोदी ने रूस के सुरक्षा परिषद के सचिव निकोलाई पेत्रुशेव के साथ-साथ भारत, ईरान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उजबेकिस्तान की सुरक्षा परिषदों के एनएसए / सचिवों की अगवानी की. अफगान स्थिति से संबंधित क्षेत्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर चर्चा हुई. 

अफगानिस्तान को लेकर भारत की मेजबानी में चल रही दिल्ली क्षेत्रीय सुरक्षा वार्ता में अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कहा कि उस देश में हालिया घटनाओं का न केवल अफगान लोगों पर बल्कि क्षेत्र पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है.

बैठक की अध्यक्षता करते हुए डोभाल ने कहा कि यह अफगानिस्तान से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए क्षेत्रीय देशों के बीच घनिष्ठ परामर्श, अधिक सहयोग और समन्वय का समय है. उन्होंने कहा कि 'हम सभी उस देश के घटनाक्रम पर गहराई से नजर रख रहे हैं. न केवल अफगानिस्तान के लोगों के लिए बल्कि उसके पड़ोसियों और क्षेत्र के लिए भी इसके महत्वपूर्ण निहितार्थ हैं.'

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उन्होंने कहा कि 'यह क्षेत्रीय देशों के बीच घनिष्ठ परामर्श, अधिक सहयोग और बातचीत और समन्वय का समय है।' वार्ता का उद्देश्य काबुल पर तालिबान के नियंत्रण के बाद आतंकवाद, कट्टरता और मादक पदार्थों की तस्करी के बढ़ते खतरों का सामना करने में व्यावहारिक सहयोग के लिए एक सामान्य दृष्टिकोण को मजबूत करना है.

ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव, रियर एडमिरल अली शामखानी ने अपनी टिप्पणियों में अफगानिस्तान में आतंकवाद, गरीबी और मानवीय संकट की चुनौतियों के बारे में बात की. उन्होंने कहा कि 'समाधान सभी जातीय समूहों की भागीदारी के साथ एक समावेशी सरकार के गठन के माध्यम से ही आता है.' उन्होंने आशा व्यक्त की कि चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक तंत्र का तैयार किया जाएगा.

रूस की सुरक्षा परिषद के सचिव निकोलाई पेत्रुशेव ने अफगान मुद्दे पर मॉस्को प्रारूप और तुर्क काउंसिल सहित विभिन्न संवाद तंत्रों का उल्लेख किया और इस बात पर जोर दिया कि उन्हें एक दूसरे की नकल नहीं करनी चाहिये बल्कि एक दूसरे का पूरक होना चाहिए.
 
पेत्रुशेव ने अफगान संकट से निकलने वाली चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए व्यावहारिक उपायों का भी आह्वान किया, जिसमें कहा गया था कि संवाद के मास्को प्रारूप में अफगानिस्तान मुद्दे को सुलझाने के प्रयासों के समन्वय की महत्वपूर्ण क्षमता है.

उन्होंने कहा, 'मास्को में, हमने तालिबान के साथ बातचीत आगे बढ़ाने के साथ-साथ क्षेत्र के सभी हितधारकों के प्रयासों को व्यावहारिक रूप से समन्वयित करने के संबंध में अपने देशों की स्थिति निर्धारित करने के लिए एक अच्छी नींव रखी.'

उन्होंने कहा कि 'मुझे उम्मीद है कि आज हम राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के लिए साझा उपायों पर विचार-विमर्श करने में एक और कदम आगे बढ़ाने में सक्षम होंगे.'

कजाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति के प्रमुख करीम मासीमोव ने कहा कि अफगानिस्तान के अंदर स्थिति जटिल बनी हुई है. उन्होंने कहा कि 'तालिबान के सत्ता में आने के साथ, देश के अंदर की स्थिति जटिल बनी हुई है। एक प्रभावी सरकारी प्रणाली बनाने में कई बाधाएं हैं.'

उन्होंने कहा कि 'आतंकवादी संगठन अपनी गतिविधियों को तेज कर रहे हैं. हम इससे बहुत चिंतित हैं. अफगानों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति बिगड़ रही है क्योंकि देश मानवीय संकट का सामना कर रहा है.'

ताजिकिस्तान के सुरक्षा परिषद के सचिव नसरुलो रहमतजोन महमूदज़ोदा ने कहा कि अफगानिस्तान की स्थिति ने क्षेत्र के लिए अतिरिक्त जोखिम खड़ा कर दिया. उन्होंने यह भी कहा कि अफगानिस्तान के लोगों को सहायता प्रदान करने की आवश्यकता है क्योंकि देश विशेष रूप से सर्दियों के दौरान मानवीय आपदा का सामना कर सकता है.