निर्भया के गुनहगारों को कल फांसी होगी या नहीं, फैसला सुरक्षित
निर्भया के गुनहगारों (Nirbhaya Convicts) को कल मंगवार को सुबह फांसी हो पाएगी या नहीं, इसे लेकर पटियाला हाउस कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है.
नई दिल्ली:
निर्भया के गुनहगारों (Nirbhaya Convicts) को कल मंगवार को सुबह फांसी हो पाएगी या नहीं, इसे लेकर पटियाला हाउस कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है. इससे पहले सुनवाई प्रारंभ होते ही वकील एपी सिंह ने दलील देते हुए कहा, हमने दया अर्जी दायर की है. कोर्ट को उन्होंने याचिका की कॉपी भी दी. एपी सिंह ने कहा, जस्टिस काटजू का कहना है कि वो राष्ट्रपति से मिलकर फांसी माफ कराने का आग्रह करेंगे. एपी सिंह ने कहा, मुझे जस्टिस काटजू का मेल मिला है. जज ने पूछा - क्या ऐसा कोई तय नियम है कि क्यूरेटिव के बाद भी दया अर्जी दायर होगी. एपी सिंह ने कहा- ऐसा ही है. एपी सिंह ने जेल रूल का हवाला देकर कहा कि डेथ वारंट पर रोक लगनी चाहिए. एपी सिंह ने जेल रूल नंबर 840, 843, 844, 850, 851, 852, 854, 863 का हवाला दिया. दूसरी ओर, सरकारी वकील इरफान अहमद ने कहा की याचिका सुनवाई लायक नहीं है.
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सुनवाई करते हुए पटियाला हाउस कोर्ट के जज ने कहा, आपने हाई कोर्ट द्वारा 7 दिन की समयसीमा का पालन नहीं किया. आप दोषी के वकील होने के नाते ऐसा कर सकते हैं, लेकिन किन प्रावधानों के तहत मैं बतौर ट्रायल कोर्ट जज इस समयसीमा को इग्नोर कर सकता हूं. मैं हाई कोर्ट द्वारा तय की गई समयसीमा से बंधा हूं.
जज (दोषी के वकील से)- क्या आप समझाएंगे कि किस लिहाज से अब कोर्ट के दखल देने का औचित्य बनता है? आपने तय समयसीमा के अंदर दया याचिका दायर नहीं की. जेल रूल से साफ है कि राष्ट्रपति के सामने पेंडिंग रहने की सूरत में कोर्ट दखल नहीं दे सकता. कोर्ट का रोल खारिज होने के बाद आता है. अब आपको राहत सरकार से मिल सकती है, कोर्ट के दखल का अब औचित्य नहीं.
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जज- आपकी बात से लगता है कि आप कोर्ट को उलझाने की कोशिश कर रहे हैं. आप कोर्ट को सहयोग नहीं कर रहे सीधा जवाब नहीं दे रहे. आप बताइये कि 12 से 26 फरवरी के बीच आपने क्या किया?
वकील एपी सिंह : बीच में मैं पवन का एडवोकेट नहीं था.
जज : पांच फरवरी से 17 फरवरी तक आप पवन के वकील रहे. आपने इस दरमियान कुछ नहीं सोचा कि आपको राहत के लिए अथॉरिटी का रुख करना चाहिए.
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कोर्ट के सवाल का सही सही जवाब न सूझने पर वकील एपी सिंह ने सरेंडर की मुद्रा में कहा, मैं कैसे आपको सुझाव दे सकता हूं मी लार्ड. यह आपका विशेषाधिकार है.
जज: याक़ूब मेनन केस में भी तो यही हुआ था कि फांसी की सज़ा पर अमल हो गया था, जबकि दया अर्जी पेंडिंग थी.
निर्भया के माता पिता के वकील जितेंद्र झा ने कहा, यह याचिका सुनवाई लायक नहीं है. दया याचिका पर सरकार को फैसला लेना है. कोर्ट का रोल तो उसके खारिज आने के बाद ही आ सकता है (SC)
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सरकारी वकील इरफान अहमद - यह याचिका ही प्रीमैच्योर है. जेल नियम कहते हैं कि राष्ट्रपति जेल से रिपोर्ट तलब करेंगे और जब तक वो फैसला नहीं लेते. फांसी की सज़ा नहीं होती, लेकिन इसमें कोर्ट का रोल नहीं बनता.
इसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया
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