logo-image

देश में नया नोट लाकर केंद्र सरकार ने दाऊद इब्राहिम के नकली नोट के धंधे पर लगाया फुलस्टॉप

काले धन का एक बड़ा हिस्सा फेक यानी जाली करेंसी होती है।यही फेक करेंसी आतंकवाद और देश विरोधी ताकतों के लिए पैसे के लेनदेन का जरिया भी बनती है

Updated on: 15 Nov 2016, 11:24 AM

नई दिल्ली:

काले धन का एक बड़ा हिस्सा फेक यानी जाली करेंसी होती है।यही फेक करेंसी आतंकवाद और देश विरोधी ताकतों के लिए पैसे के लेनदेन का जरिया भी बनती है।पीएम मोदी ने कहा था कि नए नोट जारी करने के पीछे एक बड़ी वजह फेक करेंसी की रोकथाम करना भी थी कई सालों से पड़ोसी देशों को भारत में जाली करेंसी भेजने का रूट बनाया जाता था।

पाकिस्तान के जरिए नेपाल से भारत पहुंचता है फेक करेंसी

भारत के ये वो दो पड़ोसी देश हैं पाकिस्तान और नेपाल जिनकी सरजमीं को देश के दुश्मन सालों से जाली नोट के काले धंधे के लिए इस्तेमाल करते थे। इस काले धंधे को पैदा किया था पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने बताया जाता है कि पंजाब में आतंकवाद बढ़ने के साथ ही आईएसआई ने नेपाल में अपना नेटवर्क खड़ा करना शुरु कर दिया था और बाद में इसी नेटवर्क का इस्तेमाल भारत में जाली करेंसी भेजने के लिए किया गया।

नेपाल में दाऊद ने बिठा रखे हैं अपने गुर्गे

दाऊद इब्राहिम ने अपने डी कंपनी के गुर्गों को नेपाल में बिठा रखा है और उनके ऊपर आईएसआई ने अपनी सरपरस्ती बना रखी है और नतीजा हुआ कि नेपाल फेक करेंसी के धंधे का गढ़ बनता गया। दरअसल पाकिस्तानी और भारतीय करेंसी एक ही किस्म के कागज पर छपती है और कागज पर इस्तेमाल होने वाली स्याही भी एक ही किस्म की होती है इसी वजह से पाकिस्तान में ये फेक करेंसी आसानी से छापी जाती थी।

2000 करोड़ तक फेक करेंसी भेजता है पाकिस्तान

कुछ आंकड़ों के मुताबिक साल 2010 में तकरीबन 1600 करोड़ रुपए की नकली करेंसी नेपाल और बांग्लादेश के जरिए भारत भेजी गई जबकि साल 2011 में तकरीबन 2000 करोड़ रुपए की नकली करेंसी भारत में भेजी गई। इस फेक करेंसी में तकरीबन 60 फीसदी हिस्सा पाकिस्तान में छापा गया था। साल 2015 में इन रास्तों से तकरीबन 3 करोड़ से ज्यादा की करेंसी पकड़ी गई थी। 

तश्करों को होता है बेहद फायदा

हर नोट को चलाने पर पैसे के साथ ही साथ नोट की तकरीबन 50 फीसदी कीमत नोट चलाने वाले को मिलती थी यानी 500 रुपए का नोट चलाने पर तकरीबन 250 रुपए हासिल हो जाते थे ।दाऊद इब्राहिम का करीबी रविराज जब भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की पकड़ में आया था तब पता चला था कि इस पैसे का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों के लिए भी हो रहा था। अब मोदी सरकार के फैसले ने इस काले धंधे की कमर तोड़ दी है और देश के दुश्मनों के हाथों से एक बड़ा हथियार छीन लिया है।