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SCO बैठक में Pak से रिश्तों पर बोले विदेश मंत्री,अच्छे गेस्ट के लिए अच्छी खातिरदारी

गोवा में SCO समिट में शामिल होने पहुंचे पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो को भारत के विदेश मंत्री ने जमकर लताड़ लगाई. इस दौरान जयशंकर ने आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया.

Updated on: 07 May 2023, 09:05 PM

highlights

  • विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राहुल गांधी पर निशाना साधा
  • कहा कि वे राहुल गांधी से चीन पर क्लास लेना चाहेंगे 
  • पीएम मोदी की चुप्पी से PLA के हौसले बुलंद है: राहुल गांधी

नई दिल्ली:

गोवा में SCO समिट में शामिल होने पहुंचे पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो को भारत के विदेश मंत्री ने जमकर लताड़ लगाई. इस दौरान जयशंकर ने आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया. उन्होंने बिलावल से हाथ मिलाने के बजाय नमस्ते करके अपनी तल्की को साफ दिखाया. बिलावल भुट्टों के साथ तल्खी को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि बिलावल भुट्टो एससीओ में बतौर विदेश मंत्री आए. एक अच्छे गेस्ट के लिए अच्छी खातिरदारी होती है. मैं एक बेहतर मेजबान हूं. गौरतलब है कि एससीओ बैठक के बाद जयशंकर ने एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान पाकिस्तान और बिलावल के साथ बर्ताव को लेकर चर्चा की. उन्होंने कहा वह आतंकी इंडिस्ट्री के प्रवक्ता हैं. पाकिस्तान की किसी बात को लेकर भरोसा नहीं किया जा सकता है.    

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने राहुल गांधी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि वे राहुल गांधी से चीन पर क्लास लेना चाहेंगे , मगर उन्हें पता है कि वह खुद चीनी राजदूत से कक्षाएं ले रहे हैं. ऐसा कहा जा रहा है कि विदेश मंत्री ने राहुल गांधी के पैंगोंग झील के किनारे चीन के पुल निर्माण पर जनवरी में दिए गए बयान को लेकर निशाना साधा. इस पर राहुल ने तंज कसा था कि कहीं पीएम इस पुल का भी उद्घाटन न करने पहुंच जाएं. राहुल गांधी ने ट्वीट में लिखा, 'हमारे देश में चीन एक कू​टनीतिक पुल तैयार करने की कोशिश कर रहा है. पीएम मोदी की चुप्पी से PLA के हौसले बुलंद है. उन्होंने कहा कि अब ये डर है कि कहीं पीएम PM इस पुल का उद्घाटन न कर डालें. 

चाबहार बंदरगाह पर भी चर्चा जारी

एस जयशंकर ने चाबहार को लेकर भी बात की. उन्होंने कहा कि बंदरगाह के निर्माण को लेकर अथक मेहनत कर रहे हैं. पाकिस्तान के रवैये में अगर खास परिवर्तन नहीं होता है, जो उन्हें उम्मीद कम है तो हमें मध्य एशिया तक पहुंच बढ़ाने के लिए रास्ता खोजना होगा. ईरान में बंदरगाह हमारे के लिए काफी अहम है. यह कठिन रहा है. ईरान पाबंदियों के आधीन रहा है. मगर हमने प्रगति की है.