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जानें कौन थे जैन मुनि तरुण सागर, जानिए उनके जीवन से जुड़ी रोचक बातें

अपने अंतिम समय में तरूण सागर पीलिया बीमारी से ग्रस्त थे.

Updated on: 27 Dec 2018, 03:37 PM

नई दिल्ली:

इस साल एक सितंबर को जैन समाज के जाने माने मुनि तरुण सागर महाराज का लंबी बीमारी के बाद देहांत हो गया था. पंच तत्व में लीन होने वाले जैन मुनि तरुण सागर की दिल्ली के मैक्स अस्पताल में बीमारी के चलते देहांत हो गया था. अपने अंतिम समय में तरूण सागर पीलिया बीमारी से ग्रस्त थे. बताया जाता है जिस कमरे में तरुण सागर को रखा गया था वहां सिर्फ उनके मुनि और शिष्य ही जाते थे. बीते समय में अपने कड़वे प्रवचनों के लिए वह बहुत चर्चित थे जैन मुनि तरुण कुमार.आज हम बताएंगे आपको जैन मुनि तरुण कुमार के जीवन से जुड़ी कुछ अहम बातें.

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जैन मुनि तरुण सागर का असल नाम पवन कुमार जैन था. उनका जन्म 26 जून 1967, ग्राम गुहजी, जिला दमोह, राज्य मध्य प्रदेश में हुआ था. इनके माता-पिता का नाम श्रीमती शांतिबाई जैन और प्रताप चन्द्र जैन था. कहा जाता है इन्होंने 8 मार्च 1981 में घर छोड़ दिया था. इनकी शिक्षा-दिक्षा छत्तीसगढ़ में हुई थी.

इनके प्रवचन की वजह से इन्हें क्रांतिकारी संत का तमगा मिला था. इन्हें 6 फरवरी 2002 को मध्य प्रदेश शासन द्वारा राजकीय अतिथि का दर्जा मिला. इसके बाद 2 मार्च 2003 को गुजरात सरकार ने उन्हें राजकीय अतिथि के सम्मान से नवाजा. तरुण सागर' ने 'कड़वे प्रवचन' के नाम से एक बुक सीरीज स्टार्ट की थी, जिसके लिए वो काफी चर्चित हुए.

जैन मुनि अपनी किताब में और प्रवचन में बहुत ही कड़वी भाषा का इस्तेमाल करते थे कुछ ऐसे ही प्रवचन की लाइनें हम आपको बता रहे हैं जिसके कारण ये अक्सर विवादों में घिरे रहे.

तुम्हारी वजह से कोई इ्ंसान दुखी रहे

अगर तुम्हारे कारण कोई इ्ंसान दुखी रहे तो समझ लो ये तुम्हारे लिए सबसे बड़ा पाप है, ऐसे काम करो कि लोग तुम्हारे जाने के बाद दुखी होकर आसूं बहाएं तभी पुण्य की प्राप्ति होगी.

गुलाब कांटों में भी हंसता है

गुलाब से लोग क्यों प्रेम करते हैं? क्योंकि गुलाब कांटों के बीच में भी हंसता है.लोगों से आह्वान करते हुए वह कहते हैं कि तुम भी ऐसे काम करो कि तुमसे नफरत करने वाले लोग भी तुमसे प्रेम करने पर विवश हो जायें.

हंसते मनुष्य हैं कुत्ते नहीं

हंसने को लेकर भी उनका कथन विवादित बन गया.क्योंकि उन्होने कहा था कि हंसने का यह गुण केवल मानुष्यों को मिला है इसलिए जब भी मौका मिले मुस्कुराइये, कुत्ता चाहकर भी मुस्कुरा नहीं सकता.

प्रेम से जीतो

इंसानों को आप दिल से जीतो तभी आप सफल हैं.तलवार के बल पर जीत तो हासिल किया जा सकता है लेकिन प्यार नहीं.

जो सहता है वो ही रहता है

अपने अंदर इंसान को सहनशक्ति पैदा करनी चाहिए क्योंकि जो सहता है वो ही रहता है, जो नहीं सहता वो टूट जाता है.

किसी को बदल नहीं सकते

परिवार में आप किसी को बदल नहीं सकते हैं लेकिन आप अपने आप को बदल सकते हैं, खुद पर आपका पूरा अधिकार है.

जीवन का सार

पूरी दुनिया को आप चमड़े से ढ़क नहीं सकते हैं लेकिन आप अगर चमड़े के जूते पहनकर चलेंगे तो दुनिया आपके जूतों से ढ़क जायेगी, यही जीवन का सार है.

कन्या भ्रूण हत्या

तरुण सागर ने कहा, जिनकी बेटी ना हो उन्हें चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं मिलना चाहिए और जिस घर में बेटी ना हो वहां शादी करनी ही नहीं चाहिए और जिस घर में बेटी ना हो उस घर से साधु-संत भिक्षा ना लें.

राजनीति और धर्म पति-पत्नी

तरुण सागर ने कहा था कि राजनीति को हम धर्म से ही कंट्रोल कर सकते हैं.धर्म पति है, राजनीति पत्नी.हर पति की ये ड्यूटी होती है कि वो अपनी पत्नी को सुरक्षा दे, हर पत्नी का धर्म होता है कि वो पति के अनुशासन को स्वीकार करे, ऐसा ही राजनीति और धर्म के भी साथ होना चाहिए क्योंकि बिना अंकुश के हर कोई खुले हाथी की तरह हो जाता है. इस बयान के बाद तरुण मुनी के खिलाफ कुछ लोगों ने विरधो भी किया था. हालांकि फिर भी वह अपने बयान पर अड़े रहे थे.

भगवाकरण नहीं है बल्कि शुद्धिकरण

तरुण सागर ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर पर भगवाकरण के आरोप का बचाव करते हुए कहा था कि उन्होंने शुद्दिकरण किया है.इससे पहले उन पर आरोप लगा था कि खट्टर ने राजनीति का भगवाकरण कर दिया है.