Electoral Bond: इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट पर बड़ा फैसला,जाने कौन है इसके पीछे
सभी के लिए एक बड़े झटके से कम नहीं है. ऐसे में आप सोच रहे होंगे कि इसके पीछे कौन है यानि ये याचिका सुप्रीम कोर्ट में किसने लगाई है. तो आज हम इन सभी सवालों की जानकारी देंगे.
नई दिल्ली:
Electoral Bond: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए सभी पार्टियों ने कमर कसना शुरू कर दिया है. इससे पहले देश की सबसे बड़ी अदालत की ओर से बड़ा और अहम फैसला सुनाया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड को अवैध घोषित कर दिया है. इसके साथ ही सभी जाननकारियों को सार्वजनिक करने का भी निर्णय सुनाया है. इसके बाद भागी-भागी स्टेट बैंक कोर्ट पहुंची और इस संबंध में जानकारी जारी के लिए कुछ समय की मांग की थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने बैंक के आग्रह को ठुकरा दिया और साथ में आदेश दिया कि 12 मार्च तक इलेक्शन कमीशन को सारी जानकारी सौंप दें.
इस याचिका के बाद पॉलिटिकल पार्टियों की नींद उड़ गई है. सभी के लिए एक बड़े झटके से कम नहीं है. ऐसे में आप सोच रहे होंगे कि इसके पीछे कौन है यानि ये याचिका सुप्रीम कोर्ट में किसने लगाई है. तो आज हम इन सभी सवालों की जानकारी देंगे. आपको बता दें कि इस याचिका के पीछे डॉ. जया ठाकुर है जो पेशे से वकील हैं. सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए इस एतिहासिक फैसले से जया ठाकुर खुश हैं. वहीं, चुनावी बॉन्ड को खत्म करने की मांग जया ठाकुर के अलावा एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी एडीआर और लेप्ट पार्टी सीपीआईएम की ओर से भी की गई थी.
कौन हैं जया ठाकुर
मीडिया से बात करते हुए जया ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के द्वारा जो आदेश भारतीय स्टेट बैंक को दिया गया है उससे वो खुश हैं. उन्होंने कहा कि मैंने ये याचिका सुप्रीम कोर्ट में अपने वकील वरुण ठाकुर के जरिए दायर की थी. कोर्ट के निर्णय पर जया ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने इस पुरे मामले को गंभीरता से सुना और फिर फैसला दिया है. गौरतलब है कि जया ठाकुर कांग्रेस पार्टी की नेता हैं. इसके साथ ही वो पेशे से एक डॉक्टर हैं. जानकारी के मुताबिक जया ठाकुर मध्य प्रदेश के सागर जिले की रहने वाली हैं. वहीं, फिलहाल मध्य प्रदेश कांग्रेस की महासचिव हैं.
पारदर्शिता में कमी
मीडिया से बात करते हुए जया ने कहा कि चुनावी बॉन्ड की शुरुआत चुनाव की फंडिंग में पारदर्शिता लाने के लिए की गई थी. लेकिन ये अब दिखाई नहीं दे रहा है. उन्होंने आगे कहा कि मुझे नहीं लगता है कि ये किसी भी पार्टी के खिलाफ है. इससे चुनावी फंडिंग में पारदर्शिता आएगी. जया ने कहा कि अगर किसी पार्टी को किसी से भी फंड मिलता है चाहे वो कॉर्पोरेट से ही क्यो नहीं मिला है. चंदे देने वाले का नाम सामने आना चाहिए.
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