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ISRO का सफल प्रक्षेपण, SSLV-D1 के साथ गए दो उपग्रह कक्षा में स्थापित 

रविवार को इसरों ने आंध प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से एक स्मॉल सैटेलाइट लॉच व्हीकल डेवलपमेंटल फ्लाइट-1 (SSLV-D1) को सुबह 9:18 पर लॉच किया

Updated on: 07 Aug 2022, 11:32 AM

highlights

  • स्मॉल सैटेलाइट लॉच व्हीकल डेवलपमेंटल फ्लाइट-1सुबह लॉच
  • SSLV का पूरा नाम स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल है
  • SSLV-D1 ने सभी चरणों में अपेक्षा के अनुरूप प्रदर्शन किया

नई दिल्ली:

स्वतंत्रता दिवस से पहले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरों ने देश को बड़ी खुशखबरी दी है. रविवार को इसरों ने आंध प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से एक स्मॉल सैटेलाइट लॉच व्हीकल डेवलपमेंटल फ्लाइट-1 (SSLV-D1) को सुबह 9:18 पर लॉच किया. इसके साथ वह पृथ्वी अवलोकन उपग्रह-02 (EOS-02) ले गया. वहीं बच्चों के द्वारा तैयार आजादीसैट भी ले जाया गया. लाॅन्चिंग के करीब 13 मिनट बाद ही एसएसएलवी ने सबसे पहले ईओएस-02 को सही कक्षा में स्थापित कर दिया है. उपग्रह को इसरो ने ही तैयार किया है. वहीं  दूसरी ओर आजादीसैट को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया गया. मगर इन दोनों उपग्रहों से इसरों का वास्ता टूट गया. 

इसरो ने लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV) से पहला प्रक्षेपण किया है. SSLV का पूरा नाम स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (Small Satellite Launch Vehicle – SSLV) है. इसका इस्तेमाल छोटे सैटेलाइट्स की लॉन्चिंग के लिए होता है. इसकी मदद से धरती की निचली कक्षा में 500 किलोग्राम से कम या 300 किलोग्राम की सैटेलाइट को भेजा जाता है।  

 

इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि SSLV-D1 ने सभी चरणों में अपेक्षा के अनुरूप प्रदर्शन किया. मिशन के अंतिम चरण में, कुछ डेटा हानि हो रही है. हम एक स्थिर कक्षा प्राप्त करने के संबंध में मिशन के अंतिम परिणाम को समाप्त करने के लिए डेटा का विश्लेषण कर रहे हैं.

रॉकेट की मदद से छोड़े जाती हैं सैटेलाइट 

आपको बता दें कि पहले के मुकाबले अब कई छोटी सैटेलाइट भेजी जा रही हैं। पहले छोटे सैटेलाइट भी स्पेसबस की मदद से भेजे जाते हैं। मगर अब छोटे सैटेलाइट की भी आसानी से लॉचिंग की जा सकती है। ये रॉकेट की मदद से छोड़े जाते हैं।