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Chandrayaan-3 की बदल गई लॉचिंग डेट, जानें ISRO ने कौन सी तारीख तय की

इसरो ने तारीखों की घोषणा करते हुए इसके प्रक्षेपण की तारीख 14 जुलाई बताई है. इससे पहले ये ​तिथि 13 जुलाई को तय की गई थी.

Updated on: 06 Jul 2023, 07:57 PM

highlights

  • चंद्रयान-3 भारत के लिए चांद पर तीसरा मिशन है
  • प्रक्षेपण हवा के बहाव के साथ कई परिस्थियों पर निभर करता है
  • लैंडर के साथ कुछ 'पे लोड' को भी रखा जाएगा

नई दिल्ली:

Chandrayaan-3: चंद्रयान-3 मिशन से भारत अंतरिक्ष में लंबी छलांग लगाने वाला है. इस  सफल बनाने के लिए इसरो के वैज्ञानिक दिन रात मेहनत में जुटे हुए हैं. इसरो ने अब नई तारीखों का ऐलान करते हुए इसके प्रक्षेपण की तारीख 14 जुलाई बताई है. इसे पहले ये तारीख 13 जुलाई को तय की गई थी. इसके प्रक्षेपण को एक दिन लेट कर दिया है. इस मिशन की मदद से चांद के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी हासिल की जा सकती है. चंद्रयान-3 भारत के लिए चांद पर तीसरा मिशन है. 

चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण 14 जुलाई को होगा 

अगर सभी परिस्थितियां अनुकूल रहीं तो 14 जुलाई को चंद्रयान-3 को प्रक्षेपित किया जा सकेगा. इसरो ने प्रक्षेपण को लेकर 13 से 19 जुलाई के बीच की समय सीमा तय की थी. इसरो (ISRO) के अंतरिक्ष विज्ञान कार्यक्रम कार्यालय की पूर्व निदेशक डॉ. एस सीता के अनुसार चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) का प्रक्षेपण हवा के बहाव के साथ कई परिस्थियों पर निभर करता है. इसे ध्यान में रखकर प्रक्षेपण को लेकर एक सप्ताह का समय रखा गया. योजना के मुताबिक सब कुछ ठीक रहने पर चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण 14 जुलाई को दोपहर 2 बजकर 35 मिनट  पर किया जाएगा.

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रॉकेट से जोड़ दिया गया है स्पेसक्राफ्ट

चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान को नए प्रक्षेपण रॉकेट एलवीएम-3 से जोड़ा गया है. इसरो के वैज्ञानिकों ने इस काम को 5 जून को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में मौजूद सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में अंजाम दिया. इसकी जांच इस साल मार्च में पूरी हो गई थी. इस जांच में प्रक्षेपण के दौरान पेश आने वाली समस्याओं के परीक्षण में चंद्रयान-3 खरा उतरा था. रामन अनुसंधान संस्थान द्वारा जारी बयान के मुताबिक चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्र की नर्म सतह पर लैंडर उतरने वाला है. इससे रोवर बाहर आ जाएगा. इसके बाद चंद्रमा की सतह पर घूमना आरंभ हो जाएगा. इसके चंद्रमा की सतह का निरीक्षण किया जाएगा. लैंडर के साथ कुछ 'पे लोड' को भी रखा जाएगा. इन उपकरणों की मदद से चंद्रमा की सतह पर विभिन्न प्रयोग किए जाएंगे.