अफजल गुरु की फांसी पर खूब हुई थी राजनीति, जानें किसके बयान पर मचा था सबसे अधिक बवाल
13 दिसंबर 2001 को संसद पर हुए आतंकी हमले के दोषी अफजल गुरु को 9 फरवरी 2013 को फांसी दिए जाने के बाद जहां देश और विदेशों में इस कदम का स्वागत किया गया, वहीं अपने ही देश में इस पर तमाम विवाद भी पैदा हो गए थे.
नई दिल्ली:
13 दिसंबर 2001 को संसद पर हुए आतंकी हमले के दोषी अफजल गुरु को 9 फरवरी 2013 को फांसी दिए जाने के बाद जहां देश और विदेशों में इस कदम का स्वागत किया गया, वहीं अपने ही देश में इस पर तमाम विवाद भी पैदा हो गए थे. नेताओं के बयानों से आए दिन वाद-विवाद की स्थिति पैदा हो जाती थी. कुछ लोग थे, जो उसकी फांसी को गलत ठहरा रहे थे और देश की जनता की संवेदना से खिलवाड़ कर रहे थे. देश के जाने-माने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में तो अफजल गुरु के समर्थन में साबरमती ढाबे के पास एक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया था, जिसका एबीवीपी (ABVP) ने विरोध करते हुए हंगामा भी किया था. कश्मीर घाटी में तो फांसी का व्यापक विरोध हुआ था. आइए देखते हैं अफजल गुरु की फांसी के बाद किसने-किसने दिए थे विवादित बयान -
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रवक्ता नईम अख्तर ने कहा था, पीडीपी अफजल गुरू को फांसी दिए जाने से निराश है. हमने उसकी दया याचिका पर किसी भी तरह का फैसला लिए जाने से पूर्व मामले की राजनीतिक संवेदनशीलता को ध्यान में रखने की अपील की थी. उमर अब्दुल्ला (जम्मू कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री) अफजल गुरु की फांसी से पल्ला नहीं झाड़ सकते. नईम अख्तर के अलावा जम्मू कश्मीर के 5 कांग्रेस विधायकों ने बयान जारी कर अफजल को फांसी दिए जाने के कदम की निंदा की थी.
कांग्रेस सांसद थरूर ने ट्वीट किया था, "मेरे ख्याल से यह घटना गलत भी थी और इसे बेहद खराब तरीके से अंजाम दिया गया. पहले परिवार को चेतावनी दी जानी चाहिए थी. परिजनों को आखिरी मुलाकात का मौका मिलना चाहिए था और अफजल का शव भी घरवालों को सौंपा जाना चाहिए था."
शशि थरूर के अलावा कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने कहा था, 'अफजल गुरु की फांसी से मुझे बहुत दुख हुआ था. तब मैं बहुत परेशान था. अफजल गुरु के खिलाफ इतने सबूत ही नहीं थे, जिनके दम पर उसे फांसी की सजा दी जाती.' अय्यर ने यहां तक कह दिया था कि अफजल गुरु के परिवार को उनके शव के अवशेष सौंप देने चाहिए. उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि अफजल गुरु के परिवार के साथ अन्याय किया गया है. मैं हमेशा से ही मानता आया हूं कि अफजल गुरु के परिवार को उनके शव के अवशेष सौंप देने चाहिए.'
रॉ के पूर्व प्रमुख और घाटी के मामलों के विशेषज्ञ एएस दौलत ने दावा किया था कि अगर अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री होते तो अफजल गुरु को फांसी नहीं होती. उन्होंने कहा, 'भले ही बीजेपी अफजल को फांसी पर लटकाने की मांग करती रही थी लेकिन यदि वाजपेयी प्रधानमंत्री होते तो कतई ऐसा कदम नहीं उठाते.'
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