PM नरेंद्र मोदी को पत्र लिख CJI रंजन गोगोई ने हाईकोर्ट के जज को हटाने को कहा
पूर्व चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की ओर से गठित किए गए पैनल ने जस्टिस शुक्ला को पद से हटाने के लिए 18 महीने पहले प्रस्ताव लाने की सिफारिश की थी. इन-हाउस पैनल ने अपनी जांच में जस्टिस शुक्ला को गंभीर न्यायिक अनियमितताओं का जिम्मेदार माना था.
highlights
- इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस एसएन आनंद से जुड़ा है मामला.
- जांच में न्यायायिक अनियमितताओं के पाए गए हैं दोषी.
- पीएम से संसद में हटाने का प्रस्ताव लाने को कहा.
नई दिल्ली.:
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज एसएन शुक्ला को पद से हटाने के लिए संसद में प्रस्ताव लाने की मांग की है. इससे पहले पूर्व चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की ओर से गठित किए गए पैनल ने जस्टिस शुक्ला को पद से हटाने के लिए 18 महीने पहले प्रस्ताव लाने की सिफारिश की थी. इन-हाउस पैनल ने अपनी जांच में जस्टिस शुक्ला को गंभीर न्यायिक अनियमितताओं का जिम्मेदार माना था.
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जनवरी 2018 में वापस ले लिए गए थे काम
इन-हाउस पैनल की रिपोर्ट के बाद जस्टिस शुक्ला से 22 जनवरी 2018 को न्यायिक कार्य वापस ले लिए गए थे. हालंकि उन्होंने फिर से न्यायिक कार्यों के आवंटन की मांग की थी, जिसे मुख्य न्यायाधीश ने खारिज कर दिया था. गौरतलब है कि इसके अलावा चीफ जस्टिस ने विगत दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दो अलग-अलग पत्रों में सुप्रीम कोर्ट में जजों की स्वीकृत संख्या बढ़ाने और हाईकोर्ट में जजों की रिटायरमेंट की उम्र 62 से 65 बढ़ाने की मांग भी की है.
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आखिरी बार 2009 में बढ़ी थी जजों की संख्या
गौरतलब है कि अभी सुप्रीम कोर्ट में 31 जजों के पद स्वीकृत हैं और इतने ही हैं भी. ऐसे में चीफ जस्टिस ने पत्र में कहा है कि 1988 में जजों की संख्या को 18 से बढ़ाकर 26 किया गया था, फिर तीन दशक बाद 2009 में यह संख्या 31 की गई. अब केसों की बढ़ते अनुपात को देखते हुए जजों की संख्या बढ़नी चाहिए. उन्होंने यह भी बताया है कि 2007 में जहां 41,078 केस लंबित थे, वहीं अब यह आंकड़ा 58,669 तक पहुंच गया है.
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25 साल से लंबित हैं 26 मामले
सरकारी आंकड़ों के अनुसार अभी देश भर के उच्च न्यायालयों में करीब 44 लाख और सुप्रीम कोर्ट में 58,700 मामले लंबित हैं. हर गुजरते साल के साथ यह आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है, क्योंकि बड़ी संख्या में नए मामले दर्ज हो रहे हैं. पत्र में लिखा कि 26 ऐसे मामले हैं, जो बीते 25 सालों से लंबित हैं. 100 ऐसे मामले हैं, जो 20 वर्षों से और 593 केस 15 सालों से लंबित हैं और 10 सालों से 4,977 केस सर्वोच्च अदालत में हैं.
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