‘नए खतरों' के बीच आर्मी चीफ एमएम नरवणे ने कहा- आक्रामकता बनाए रखनी होगी
सेंटर फॉर लैंड वॉरफेयर द्वारा आयोजित एक सेमिनार में जनरल नरवणे (Manoj Mukund Naravane) ने कहा-हमारे देश की उत्तरी सीमाओं पर पैदा हुए हालात ने हमें गंभीर रूप से सोचने के लिए मजबूर किया है.
highlights
- एक सेमीनार में बोल रहे थे जनरल, नई तरह की चुनौतियों का जिक्र
- जनरल नरवणे ने 21वीं सदी में चुनौतियों के बदलते पैटर्न पर भी चर्चा की
- 'उत्पन्न चुनौतियों का समाधान करने की आवश्यकता है'
नई दिल्ली:
देश की सीमाओं पर 'वास्तविक और वर्तमान खतरों' को देखते हुए सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे (Manoj Mukund Naravane) ने गुरुवार को कहा कि भारत के आक्रामक रुख को और मजबूत करने की जरूरत है. साथ ही भारत की सीमाओं के हालात के मद्देनजर आर्मी चीफ मनोज मुकुंद नरवणे (Manoj Mukund Naravane) ने नए खतरों को लेकर तैयार रहने को कहा है. आर्मी चीफ की यह टिप्पणी ऐसे वक्त पर आई है जब रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में कहा कि पूर्वी लद्दाख में तनाव को कम करने के लिए भारत और चीन की सेना पैंगोंग त्सो झील के उत्तर और दक्षिणी तट से हट रही है.
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'सीमाओं पर पैदा हुए हालात ने हमें सोचने के लिए मजबूर किया'
सेंटर फॉर लैंड वॉरफेयर द्वारा आयोजित एक सेमिनार में जनरल नरवणे (Manoj Mukund Naravane) ने कहा-हमारे देश की उत्तरी सीमाओं पर पैदा हुए हालात ने हमें गंभीर रूप से सोचने के लिए मजबूर किया है. हमारी सीमाओं का सही निर्धारण न होने की वजह हमारी अखंडता और संप्रभुता संरक्षण के संबंध में चुनौतियां हैं. दरअसल, सेंटर ऑर लैंड वॉरफेयर स्टडीज की तरफ से आयोजित सेमिनार शीर्षक ‘मल्टी डोमेन ऑपरेशंस: फ्यूचर ऑफ कन्फ्लिक्ट्स’ में आर्मी चीफ ने कहा- हमारी उत्तरी सीमाओं के साथ जो कुछ भी हो रहा है उसको लेकर हमें अपनी सीमा के बारे में विचार करना चाहिए.
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'चुनौतियां तीव्रता और बड़े पैमाने पर बढ़ी हैं'
सेना प्रमुख (Army Chief) ने कहा कि चुनौतियां तीव्रता और बड़े पैमाने पर बढ़ी हैं. मल्टी डोमेन ऑपरेशंस के बारे में बात करते हुए आर्मी चीफ नरवण (Army Chief Manoj Mukund Naravane) ने कहा कि भारत को गतिरोध में विरोधियों द्वारा उत्पन्न चुनौतियों का समाधान करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि टैंकों, फाइटर जेट्स और सतही लड़ाकू विमानों जैसे प्लेटफॉर्म, जो कभी 20वीं सदी के युद्ध के मैदान का मुख्य आधार थे, उन्हें नए डोमेन में उभरती युद्धक्षेत्र चुनौतियों के सामने अपेक्षाकृत कम महत्वपूर्ण आंका गया.
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