अमित शाह ने तभी चेताया था, मैं समंदर हूं, लौटकर जरूर आऊंगा
देश के पूर्व गृह और वित्त मंत्री पी चिदंबरम फिलवक्त संकट में हैं. उनका आगे क्या होगा, यह भविष्य के गर्भ में है. इसको लेकर तरह तरह की चर्चाएं हो रही हैं.
नई दिल्ली:
देश के पूर्व गृह और वित्त मंत्री पी चिदंबरम फिलवक्त संकट में हैं. उनका आगे क्या होगा, यह भविष्य के गर्भ में है. इसको लेकर तरह तरह की चर्चाएं हो रही हैं. दो दिन से सोशल मीडिया भी इस पर बहस का बड़ा अड्डा बन गया है. जब से पी चिदंबरम की गिरफ्तारी हुई है तब से इस मामले को अब के गृह मंत्री अमित शाह से जोड़कर देखा जा रहा है. जब यूपीए की सरकार हुआ करती थी और पी चिदंबरम गृहमंत्री थे, तब सीबीआई ने अमित शाह को गिरफ्तार किया था. अमित शाह कुछ दिन जेल में रहे और बाद में उन्हें उनके गृह राज्य गुजरात से बाहर भेज दिया गया था. अब इस घटना को करीब सात साल हो गए हैं और तस्वीर बदल गई है. हालांकि पी चिदंबरम पर गंभीर आरोप हैं, लेकिन कहा यह भी जा रहा है कि यह बदले की कार्रवाई है.
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बड़ी बात यह है कि गुजरात लौटने पर 2012 में उन्होंने एक शेर कहा था, जो अब याद किया जा रहा है. अमित शाह ने कहा था, मेरा पानी उतरता देख, किनारे पर घर मत बना लेना, मैं समंदर हूं, लौटकर जरूर आऊंगा. सोशल मीडिया पर तो यहां तक कहा जा रहा है कि यह शेर अमित शाह ने आज के ही दिन कहा था. यह राजनीति के शह और मात का खेल है, जिसमें कभी बाजी कांग्रेस के हाथ थी और आज भाजपा के हाथ में है.
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आइए अब हम आपको बताते हैं कि अमित शाह वाला मामला आखिर है क्या. यूपीए शासनकाल में जब पी. चिदंबरम देश के गृह मंत्री थे, उस वक्त सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर मामला जोरों पर था. इस मामले में अमित शाह पर कार्रवाई की गई थी. 25 जुलाई 2010 को सीबीआई ने अमित शाह को गिरफ्तार कर लिया था. इसके बाद अमित शाह को जेल में डाल दिया गया था. चिदंबरम 29 नवंबर, 2008 से 31 जुलाई 2012 तक देश के गृह मंत्री रहे थे. अब वक्त ने आज करवट ले ली है. सीबीआई ने पी. चिदंबरम को गिरफ्तार कर लिया है और देश के गृहमंत्री अमित शाह हैं. 25 जुलाई को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अमित शाह को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया था. वो तीन महीने तक जेल के अंदर रहे.
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इसके बाद उन्हें 2 साल तक गुजरात आने की अनुमति नहीं दी. वे 2 साल तक गुजरात से बाहर रहे. इसके बाद 29 अक्टूबर, 2010 को गुजरात उच्च न्यायालय ने अमित शाह को बेल दी. 2010 से लेकर 2012 तक अमित शाह गुजरात के बाहर ही रहे. 2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें राहत मिली. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें गुजरात जाने की इजाजत दी. बाद में इस मामले की सुनवाई मुंबई की अदालत में ही हुई. 2015 में स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने उन्हें सभी आरोपों से मुक्त कर दिया.
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