रेलवे के खाली पदों को भरे जाने की घोषणा एक और जुमला : चिदंबरम
रेलवे में चार लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार देने की केंद्र की घोषणा को एक और जुमला बताते हुए, पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने गुरुवार को कहा कि रेल मंत्रालय करीब पांच सालों से खाली पड़े पदों को लेकर 'अचानक' जाग उठा है
नई दिल्ली:
रेलवे में चार लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार देने की केंद्र की घोषणा को एक और जुमला बताते हुए, पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने गुरुवार को कहा कि रेल मंत्रालय करीब पांच सालों से खाली पड़े पदों को लेकर 'अचानक' जाग उठा है. कांग्रेस नेता ने एक ट्वीट कर कहा, "रेलवे में करीब पांच वर्ष से 2,82,976 पद रिक्त हैं और सरकार अचानक जाग उठती है और कहती है कि हम इन्हें तीन महीने में भर देंगे! एक और जुमला!"
उन्होंने कहा, "कई सरकारी विभागों की यही कहानी है. एक तरफ रिक्त पड़े पद हैं, दूसरी तरफ बेरोजगार युवा हैं."
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को कहा था कि रेलवे 2021 तक चार लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार देगी. उन्होंने यह भी कहा था कि अगले दो वर्षो में 2.3 लाख खाली पद भरे जाएंगे. देश भर में रोजगार पर सवाल उठने के बाद केंद्र सरकार ने बुधवार को दावा किया है कि रेलवे अगले कुछ सालों में रेलवे 4 लाख नई नौकरियां देने जा रहा है. अभी हाल ही में आरटीआई से खुलासा हुआ था कि पिछले कुछ सालों में रेलवे सेवानिवृत्त हो रहे कर्मचारियों की तुलना में बेहद कम नई भर्तियां कर रहा है. अब लोकसभा चुनाव से ठीक दो महीने रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि पिछले वर्ष हमने 1.50 लाख लोगों को नौकरी देने का काम शुरू किया था. इसके बावजूद आज भी रेलवे में लगभग 1.25-1.30 लाख लोगों की जरूरत है और इसके अलावा अगले 2 वर्ष का जब आकलन लेते हैं तो लगभग 1 लाख लोगों के अगले 2 दो साल में रिटायर होने का अनुमान है.
उन्होंने कहा, '2.25-2.50 लाख लोगों को और अधिक मौका मिले, और 1.50 लाख लोगों की भर्ती का काम पहले से चल रहा है. एक प्रकार से लगभग 4 लाख नई नौकरियां रेलवे अकेले देने जा रहा है. जिसमें 1.5 लाख नौकरियां देने की प्रक्रिया काफी आगे बढ़ चुकी है. लगभग दो-ढाई महीने में पूरा प्रोसेस हो जाएगा, लोग नौकरी पर आने शुरू हो जाएंगे.'
उन्होंने कहा कि आज ये भी निर्णय लिया गया है कि जो बाकी वेकैंसी हैं और जो अगले दो वर्ष में रिटायर होंगे उसके लिए पहले से प्लानिंग करके ये सिलसिला शुरू किया जाएगा.
इसके अलावा उन्होंने पहले की सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा, 'यदि पिछ्ली सरकारों ने आज की तरह रेल में निवेश किया होता तो आज जो तकलीफ है वो नहीं हुई होती. पहले राजनैतिक कारणों से लाइनों को लगाना तय होता था, इस सरकार ने जहां आवश्यकता है, उस पर केंद्रित करते हुए योजनाबद्ध तरीके से काम किया है.'
उन्होंने कहा, 'आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को आरक्षण देने वाली रेलवे पहली संस्था होगी, 10 फीसदी आरक्षण कमजोर वर्ग के लिये होंगी, शेष आरक्षण अन्य वर्ग के लिये बिना किसी छेड़छाड़ के बरकरार रखा जायेगा.'
रेलवे में रोजगार की स्थिति
3 दिन पहले ही समाचार एजेंसी IANS ने अपनी रिपोर्ट में आरटीआई से मिली जानकारी के हवाले से बताया था कि रेलवे पिछले कुछ वर्षों में नौकरियां देने में विफल रहा है, जबकि कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति से रिक्तियां बढ़ती गईं है. आंकड़ों पर गौर करें तो नवंबर 2018 तक रेलवे में ग्रुप-सी और डी के 2,66,790 पद रिक्त थे. वर्ष 2016-17 के दौरान रेलवे में कुल 13,08,323 कर्मचारी कार्यरत थे. इससे पहले 2008-09 में रेलवे में कर्मचारियों की कुल संख्या 13,86,011 थी. इस प्रकार हर साल जितने कर्मचारी सेवानिवृत्त हुए, उसके मुकाबले नई भर्तियां कम हुईं.
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