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लगातार सेल्फी लेना बनती जा रही है गंभीर समस्या, क्या है इसके साइड इफेक्ट्स?

इस आर्टिकल में, हम सेल्फी लेने की लत के बारे में विस्तृत जानकारी बताएंगे, जैसे कि इसके कारण, प्रभाव और इससे बचाव के उपाय क्या हो सकते हैं?

Updated on: 05 Mar 2024, 07:59 AM

नई दिल्ली:

क्या आपको भी है सेल्फी लेने की आदत? क्या आप भी सेल्फी के शिकार हो गए हैं? आज लोगों के बीच सेल्फी का क्रेज इतना बढ़ गया है कि हर कोई सेल्फी लेने में लगा रहता है. ऐसे में सवाल ये है कि क्या सेल्फी लेना एक बीमारी बन गई है? "सेल्फी लेने की लत" एक सामाजिक और पसंदीदा विषय है जो आजकल युवा और लोगों के बीच बहुत चर्चा में है. यह एक प्रकार का मानसिक रोग है जिसमें व्यक्ति को निरंतर अपनी तस्वीरें खींचने की आदत हो जाती है. इस आर्टिकल में, हम सेल्फी लेने की लत के बारे में विस्तृत जानकारी बताएंगे, जैसे कि इसके कारण, प्रभाव और इससे बचाव के उपाय क्या हो सकते हैं?

सेल्फी लेने की लत क्या है?
सेल्फी लेने की लत एक व्यक्ति की अत्यधिक खुद को पसंद करने या खुद की छवि को सुंदर बनाने की आदत है. यह आमतौर पर सोशल मीडिया पर अपलोड की जाने वाली तस्वीरों के माध्यम से दिखाया जाता है. सेल्फी लेने की लत को अक्सर व्यक्तिगत स्तर पर स्वाभाविक और सामाजिक स्तर पर पराधीनता के रूप में देखा जाता है.अब सवाल है कि आखिर लोगों को सेल्फी लेने की लत क्या है? सेल्फी लेने की लत का मुख्य कारण आत्म-प्रसिद्धि होता है. लोग अपनी तस्वीरों को सोशल मीडिया पर अपलोड करके अन्य लोगों के ध्यान और प्रशंसा प्राप्त करना चाहते हैं. सोशल मीडिया पर तस्वीरें अपलोड करने और उन सेल्फी पर लाइक और कमेंट पाने की लत किसी को भी ऐसा करने पर मजबूर कर देती है.

सेल्फी देती है नार्सिसिज्म को बढ़ावा
वहीं, कुछ लोग अपनी तस्वीरों को संवेदनशीलता बढ़ाने के लिए लेते हैं. वे अपनी आत्मा को अपनी सुंदरता के माध्यम से अनुभव करने का प्रयास करते हैं. साथ ही सेल्फी लेने की लत नार्सिसिज्म को बढ़ा सकती है, जिसमें व्यक्ति केवल अपने आप को ही महत्वपूर्ण मानता है और अन्य लोगों की भावनाओं को नजरअंदाज करता है. अगर आप भी सेल्फी के शिकार हो गए हैं तो आपको हम बताएंगे कि इन आदतों पर कैसे रोक लगाई जा सकती है.  

सेल्फी लेने के क्रेज को कंट्रोल करने के लिए व्यक्ति को अपनी सेल्फी की संख्या को सीमित रखना चाहिए. समय के साथ सेल्फी लेने के बजाय व्यक्ति को अन्य सकारात्मक गतिविधियों में शामिल होना चाहिए, जैसे कि व्यायाम, किताब पढ़ना, या सामाजिक संवाद. व्यक्ति को अपनी सेल्फी के प्रभावों और उसकी आदत को समझने की जरूरत है, और यदि वह इसे किसी रूग के रूप में महसूस करता है, तो उसे मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए.