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First Cell Phone: 10 घंटे में होता था चार्ज और वजन इतना कि संभाला ना जाए

आज मोबाइल हम सभी की जिंदगी का हिस्सा बन गया है. यह छोटे बच्चे से लेकर बड़े बुजुर्ग तक के हाथ में हैं और टॉर्च से लेकर घड़ी, कैल्कुलेटर और किताबों तक की जगह ले चुका है.

Updated on: 04 Apr 2023, 11:07 AM

नई दिल्ली:

आज मोबाइल हम सभी की जिंदगी का हिस्सा बन गया है. यह छोटे बच्चे से लेकर बड़े बुजुर्ग तक के हाथ में है और टॉर्च से लेकर घड़ी, कैल्कुलेटर और किताबों तक की जगह ले चुका है. आज हम जिस मोबाइल के आदी हैं और हाथ में लिए-लिए फिरते हैं वह एक समय इतना भारी था कि साथ लेकर चलना बहुत ही मुश्किल था. आपको जानकर हैरानी होगी कि 50 साल पहले बने दुनिया के पहले मोबाइल का वजन 1.1 किलो था. जरा सोचिए कि क्या आप एक किलो से ज्यादा वजन का फोन साथ लेकर घूम सकते हैं. आज इस मोबाइल को हमारी दुनिया में 50 साल पूरे हो चुके हैं. इस मौके पर जानते हैं इसका शानदार सफर.

कार फोन से निकला मोबाइल फोन का आइडिया

जिस तरह कार एक जगह से दूसरी जगह ले जाने का काम करती है उसी तरह 1947 में कार की मदद से एक दूसरे से बात भी की जा सकती थी. हालांकि यह टेक्नोलॉजी केवल अमीरों के लिए ही अवेलेबल थी. नोकिया की सब्सिडियरी अमेरिकन कंपनी बेल लैब्स ने लैंडलाइन फोन से छुटकारा पाने के लिए कार फोन नाम का एक्सपेरिमेंट किया. इसके लिए कार में एक डिवाइस लगाया गया. 36 किलो वजन वाला यह डिवाइस चलती कार में सेलुलर टेलिफोन टावर्स की मदद से बात करवाता था. टेक्नीक तो अच्छी थी लेकिन इसकी कुछ कमियां भी थीं. कार फोन से बात करने के लिए लाइन क्लियर होने का लंबा इंतजार करना पड़ता था...सेटअप की बात करें तो वह भारीभरकम और महंगा था. इस कार फोन को ज्यादा सक्सेस नहीं मिली. अपनी कमियों की वजह से यह मार्केट में पॉपुलर नहीं हो पाया लेकिन इसने एक ऐसे आइडिया को जन्म दिया जिसके बिना आज एक पल की कल्पना भी बहुत मुश्किल है.

कार फोन के बाद आया मोबाइल फोन

कार फोन का कॉन्सेप्ट चलते हुए बात करना था लेकिन सेटअप वजनदार था. इसी चलते-फिरते बात करने वाले आइडिया पर मोटोरोला के मार्टिन कूपर और उनकी टीम ने एक छोटा पोर्टेबल फोन बनाना शुरू किया. 1972 में शुरू हुए इस मिशन को अंजाम तक पहुंचाने में करीब 3 महीने लगे. जो डिवाइस तैयार हुआ उसका वजन 1.1 किलो था और नाम रखा गया DYNATAC 800XI. 

कब हुई थी पहली मोबाइल कॉल ?

मोबाइल के जरिए पहली कॉल 3 अप्रैल 1973 को की गई थी. इस कॉल के लिए भी पूरा तामझाम किया गया था क्योंकि इस डिवाइस को बनाने वाले मार्टिन कूपर चाहते थे कि असल कॉल कर लोगों को दिखाना चाहिए कि उन्होंने क्या बनाकर दिखाया है. इसके लिए 3 अप्रैल को वह न्यूयॉर्क की 6th एवेन्यू की 53rd और 54th स्ट्रीट पर बीच में आए और बेल लैब्स हेडक्वार्टर में अपने कॉम्पिटीटर इंजीनियर साथी जोएल एंगेल को कॉल लगाया.

पहली कॉल पर क्या हुई थी बातचीत?

दुनिया की इस पहली मोबाइल कॉल पर बातचीत भी काफी खास थी. कूपर की आवाज में अपने सफल एक्सपेरिमेंट की खुशी थी. मार्टिन ने फोन पर कहा, हाय जोएल...मैं कूपर बोल रहा हूं. जोएल बोले, हाय मार्टिन कूपर. इस पर मार्टिन ने कहा, मैं तुम्हें एक सेलफोन से कॉल कर रहा हूं, लेकिन असली सेलफोन से...यह पोर्टेबल और हैंडहेल्ड है. मार्टिन की बात सुनकर दूसरी तरफ जोएल और पूरी टीम सन्न रह गई.

10 साल बाद जनता के लिए लॉन्च हुआ मोबाइल

मार्टिन के इस सफल एक्सपेरिमेंट के बाद करीब 10 साल तक इस आइडिया पर काम हुआ और करीब 800 करोड़ रुपए खर्च कर 790 ग्राम का एक मोबाइल तैयार किया गया. यह मोटोरोला का DAYNATAC मोबाइल था. इस मोबालइ को दिन में 10 घंटे चार्ज करना पड़ता था और इसके बाद आप केवल 35 मिनट ही इसे इस्तेमाल कर पाते थे. इस फोन की कीमत 10 हजार डॉलर यानी करीब 8 लाख रुपए थी. इसके बाद मोबाइल की दुनिया में लगातार काम हुआ. नोकिया मार्केट में आया और साल दर साल मोबाइल के लुक, फीचर्स और पोर्टेबिलिटी पर काम होता रहा.