Section 375 :मूवी रिलीज होने से पहले जान लें आखिर क्या कहता है धारा 375
भारतीय दंड संहिता में धारा 375 में वर्णित अपराध बहुत ही संगीन अपराध माना जाता है, जिसमें कैद की सजा के साथ-साथ आजीवन कैद की भी सजा मिलती है
नई दिल्ली:
Section 375 फिल्म का ट्रेलर लॉन्च हो गया है. मूवी 13 सितंबर को रिलीज होगी. मूवी देखने से पहले आप जान लें कि धारा (Section) 375 क्या है? यह मूवी सेक्शन 375 पर आधारित है. मूवी को देखने से पहले आप पूरी तरह से जान लें कि क्या कहता है सेक्शन 375. फिल्म में मुख्य भूमिका में अक्षय खन्ना और ऋच्चा चड्ढा हैं. दोनों फिल्म में वकील की भूमिका में हैं. फिल्म का निर्देशन अजय बहल ने किया है. यह फिल्म भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 375 के दुरुपयोग पर आधारित है. जिसे भारत में बलात्कार विरोधी कानून के रूप में भी जाना जाता है.
क्या है धारा 375
यदि कोई व्यक्ति किसी महिला की इच्छा के विरूद्ध, उसकी सहमति के बिना, उसे डरा धमका कर, दिमागी रूप से कमजोर या पागल महिला को धोखा देकर और उसे शराब या नशीला पदार्थ पिला कर बेहोश की स्थिति में उसके साथ संबंध (सेक्स) बनाता है तो वो दुष्कर्म की श्रेणी में ही आता है. यदि युवती की उम्र 16 वर्ष से कम है तो उसकी सहमति या बिना सहमति से होने वाला सेक्स भी दुष्कर्म की श्रेणी में आता है. बता दें कि इस धारा के अंतर्गत यदि कोई पुरुष अपनी 15 वर्ष से कम उम्र की पत्नी के साथ सेक्स करता है तो वह भी दुष्कर्म की श्रेणी में आता है. इस स्थिति में उपयुक्त पति या आरोपी को सजा हो सकती है.
क्या है बलात्कार की परिभाषा
इस अपराध को अलग-अलग परिस्थिति और श्रेणी के हिसाब से भारतीय दंड संहिता में इसे धारा 375 (क), 375 (ख), 375 (ग), 375 (घ) के रूप में विभाजित किया गया है. भारतीय दंड संहिता की धारा 375 में केवल पुरुष द्वारा महिलाओं के साथ बलात्कार करने की घटनाओं के बारे में बताया गया है. सेक्शन 375 और सेक्शन 376 दोनों एक दूसरे के लिए ही बनाई गई है. इसमें सेक्शन 375 में बलात्कार की परिभाषा को समझाया गया है. धारा 376 में एक व्यक्ति द्वारा किसी महिला के साथ बलात्कार करने की सजा के बारे में बताया गया है.
धारा 375 में वकील की जरुरत क्यों होती है?
भारतीय दंड संहिता में धारा 375 में वर्णित अपराध बहुत ही संगीन अपराध माना जाता है, जिसमें कैद की सजा के साथ-साथ आजीवन कैद की भी सजा मिलती है. इस अपराध में कैद की सजा के साथ-साथ आर्थिक दंड का भी प्रावधान है. आरोपी को कड़ी सजा मिले इसके लिए वकील की जरूरत होती है. वकील ही उक्त आरोपी को सलाखों के पीछे भेज सकता है.
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