इस सेल्फी को लेकर सिंधिया की पत्नी ने उड़ाया था मजाक, इतने वोटों से हराकर राजघराने को दिया जवाब
कृष्ण पाल यादव को कभी ज्योतिरादित्य सिंधिया का का दाहिना हाथ कहा जाता था. इस बार वो भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर सिंधिया के खिलाफ ही मैदान में आए और जीत हासिल की.
highlights
- केपी यादव ने जीती गुना लोकसभा सीट
- ज्योतिरादित्य सिंधिया को हराकर रचा इतिहास
- सोशल मीडिया पर छाई है केपी की सेल्फी वाली तस्वीर
नई दिल्ली:
लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Election Results 2019) में लगातार NDA ने लगातार दूसरी बार पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की अगुवई में रिकॉर्ड जीत हासिल की है. इस जीत के साथ ही भारतीय जनता पार्टी (BJP) रिकॉर्ड सीटों के साथ केंद्र की सत्ता पर एक बार फिर से काबिज होने जा रही है. बीजेपी की जीत के बाद सोशल मीडिया पर बधाइयों का तांता लगा हुआ है, और साथ ही सोशल मीडिया पर एक तस्वीर भी वायरल हो रही है जिसमें गुना के भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार कृष्ण पाल यादव ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) की गाड़ी के आगे साथ सेल्फी लेते दिखाई दे रहे हैं. इस तस्वीर में जहां कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया कार में बैठे नजर आ रहे हैं तो वहीं कृष्ण पाल यादव कार के बाहर उनके साथ सेल्फी लेते हुए दिखाई दे रहे हैं. कृष्ण पाल यादव को कभी ज्योतिरादित्य सिंधिया का का दाहिना हाथ कहा जाता था. इस बार वो भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर सिंधिया के खिलाफ ही मैदान में आए और जीत हासिल की.
जानिए क्यों वायरल हुई तस्वीर
तस्वीर में गाड़ी के अंदर बैठे हुए हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया. गाड़ी के बाहर से सेल्फी ले रहे हैं केपी यादव. जब उन्हें भारतीय जनता पार्टी ने उम्मीद तब सिंधिया की पत्नी ने यह तस्वीर अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर शेयर करते हुए लिखा था, 'जो कभी महाराज के साथ सेल्फी लेने की होड़ में लगे रहते थे भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें अपना प्रत्याशी चुना है.' ये एक ऐसी पोस्ट थी कि उस समय हर कोई आत्ममुग्ध होकर इसे शेयर कर रहा था लेकिन अब जब वो एक लाख से भी ज्यादा वोटों से सिंधिया के खिलाफ चुनाव जीत गए हैं तो जनता ने इस तस्वीर को दोबारा शेयर करना शुरू कर दिया. शायद सिंधिया की पत्नी प्रियदर्शनी ने यह नहीं सोचा था कि वक्त बदलता भी है उस बदलाव का ही ये असर है कि एक तस्वीर के मायने बदल गए हैं.
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शिवराज सिंह ने की थी ये भविष्यवाणी
केपी यादव कभी लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया के सांसद प्रतिनिधि हुआ करते थे. यह मोदी लहर का असर ही था कि केपी यादव उसी शख्स को हराकर सांसद बने जिसके वो कभी जनप्रतिनिधि हुआ करते थे. साल 2019 के लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का एक बयान भी याद आता है जिसमें उन्होंने केपी यादव को विभीषण बताते हुए कहा था कि 'अबकि बार गुना में भी बीजेपी लंका फतह करेगी'
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जानिए कौन हैं केपी यादव
न्यूज वेबसाइट न्यूज़ 18 के मुताबिक के पी यादव का परिवार काफी लंबे समय से राजनीति में रहा है, वो पेशे से एमबीबीएस डॉक्टर हैं. उनके पिता रघुवीर सिंह यादव चार बार गुना ज़िला पंचायत अध्यक्ष रहे थे. केपी साल 2004 से सक्रिय राजनीति में आए और सिंधिया सांसद प्रतिनिधि बने. मध्य प्रदेश के मुंगावली विधायक महेंद्र सिंह कालूखेड़ा के निधन के बाद वहां उपचुनाव होना था और केपी को उम्मीद थी कि उन्हें टिकट मिलेगा. केपी यादव ही टिकट के दावेदार भी थे, लेकिन उन्हें टिकट नहीं दिया गया. इस उपचुनाव में बृजेन्द्र सिंह यादव को टिकट दिया गया और वो जीत भी गए. केपी यादव ने नाराज होकर पिता की पार्टी छोड़ दी और बीजेपी ज्वाइन कर ली साल 2018 के विधान सभा चुनावों में बीजेपी ने केपी सिंह को मुंगावली टिकट भी दिया लेकिन वो करीबी अंतर से चुनाव हार गए.
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इसके बाद भारतीय जनता पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में केपी यादव को उनके पुराने बॉस ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ उतारा. सबने मजाक भी उड़ाया और ये कहा कि हारा हुआ विधानसभा का प्रत्याशी लोकसभा में 4 बार के विजेता के सामने क्या करेगा. सिंधिया की पत्नी ने केपी यादव की वो सेल्फी वाली तस्वीर भी सोशल मीडिया पर शेयर कर उनका मजाक उड़ाया. लेकिन जब नतीजे आए तो केपी यादव को भी यकीन नहीं हुआ होगा कि वो इतने बड़े अंतर से जीत जाएंगे.
जानिए मध्यप्रदेश की गुना लोकसभा सीट का इतिहास
मध्य प्रदेश की गुना सीट को राज घराने के सिंधिया परिवार का राजनीतिक गढ़ माना जाता रहा है. यहां की लोकसभा सीट पर तीन पीढ़ियों से सिंधिया घराने का कब्जा रहा है. सबसे पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी विजयराजे 6 बार सिंधिया उनके बाद उनके बेटे माधवराव सिंधिया ने 4 बार उनके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी 4 बार इस सीट का प्रतिनिधित्व किया था. भारतीय जनता पार्टी के कृष्ण पाल सिंह ने अबकी बार इस सीट से ज्योतिरादित्य सिंधिया को शिकस्त दे दी है.
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