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एक गांव जिसे गोद लेकर भूले राहुल गांधी फिर भी लोग कर रहे इंतजार

लेकिन आज भी एक गांव उनका इंतजार कर रहा है, जिसे कभी उन्होंने 2014 में गोद लिया था.

Updated on: 04 May 2019, 12:39 PM

नई दिल्ली:

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लोकसभा चुनाव 2019 (Lok sabha election 2019) में जीत दर्ज कर सत्ता में आने की कवायदों में जुटे हैं. लेकिन आज भी एक गांव उनका इंतजार कर रहा है, जिसे कभी उन्होंने 2014 में गोद लिया था. दरअसल कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना' के तहत अमेठी के जगदीशपुर गांव को गोद लिया था और आज पांच साल बाद यहां के ग्रामीणों का कहना है कि वे कांग्रेस अध्यक्ष के आगमन का और विकास कार्य शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं. राहुल गांधी पिछली बार दिसंबर 2014 में जगदीशपुर आये थे तब उन्होंने गांव को गोद लिया था.

गांव में रहने वाले केसरी नंदन ने कहा, ‘राहुल गांधी केवल 2014 में एक बार आए थे. उस समय हर पेड़, खंभा और सड़क मापे गये थे मानो विकास कार्य होंगे. लेकिन तब से कुछ नहीं हुआ.' सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत संसद सदस्यों को अपने संसदीय क्षेत्र में एक गांव गोद लेकर उसका आदर्श ग्राम की तरह विकास करना था.

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इस गांव में गड्ढेदार सड़कें हैं, पाइप से पानी की आपूर्ति का कोई प्रावधान नहीं है. स्वास्थ्य योजनाएं भी न के बराबर हैं. राहुल गांधी के फिर आने का इंतजार करने की बात करने वाले ग्राम प्रधान जितेंद्र यादव हाल ही में भाजपा में शामिल हो गये. उन्होंने कहा कि कुछ महीने पहले कांग्रेस नेतृत्व द्वारा अलग -थलग किये जाने के बाद उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी. उन्होंने कहा, ‘हमारा गांव दशकों तक गांधी परिवार के साथ खड़ा रहा. हमने यहां से राहुल गांधी को बार-बार जिताने में बड़ी भूमिका निभाई है. लेकिन जब हम एक सामुदायिक केंद्र की मांग के साथ उनसे मिलने गये तो उन्होंने हमारे साथ 30 सैकेंड भी नहीं गुजारे. हमारे अनुरोध को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया.' यादव के अनुसार हताश होकर उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी.

उन्होंने कहा, ‘अगर हमारे सांसद एक गांव के लोगों की बात नहीं सुन सकते, वह पूरे समाज के लोगों की बात कैसे सुनेंगे? वह कांग्रेस अध्यक्ष हो सकते हैं लेकिन वह जनता के अध्यक्ष नहीं हुए हैं.' यादव ने आरोप लगाया कि गांधी ‘राजा' की तरह काम करते हैं लेकिन लोग अब उन्हें इस तरह नहीं लेंगे. गांव के कई नागरिकों का मानना है कि कांग्रेस अध्यक्ष यहां सांसद के नाते बहुत कुछ कर सकते थे. ग्रामीणों ने बताया कि गांव वालों को स्वच्छ पेयजल मुहैया कराने के लिए हाल ही में एक पानी की टंकी आवंटित की गयी थी लेकिन नलों में अभी तक पानी नहीं आया है.

गृहिणी प्रेमा के अनुसार, ‘राहुल गांधी को हमारे लिए कुछ करना चाहिए था. हमें उनसे बहुत उम्मीदें थीं. लेकिन उन्होंने अपनी सांसद निधि में से यहां कुछ भी खर्च नहीं किया. जंगली जानवर हमारी फसलों को बर्बाद कर रहे हैं लेकिन हमारी मदद के लिए कोई नहीं है.' राहुल गांधी से नाराजगी जताते हुए कई गांव वाले अमेठी से भाजपा उम्मीदवार और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के पास मदद की आस लेकर आ रहे हैं.

गांव के बुजुर्ग वीरेंद्र शंकर मिश्रा ने बताया कि स्मृति 2014 के लोकसभा चुनावों में हारने के बाद भी जगदीशपुर आती रहीं. उन्होंने कहा, ‘जब राहुल गांधी ने 2014 में अमेठी से जीतने के बाद भी अपने गोद लिये गांव को छोड़ दिया तब स्मृति ईरानी हमारे पास आती रहीं. पिछली बार जब राहुल गांधी की जीत का अंतर कम हो गया तो यह उनके लिए चेतावनी थी लेकिन स्पष्ट है कि उन्होंने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया.' गांव वालों ने कहा कि उन्हें भाजपा की उज्ज्वला योजना जैसे कार्यक्रमों से फायदा हुआ है.

हालांकि कांग्रेस की अमेठी इकाई के अध्यक्ष योगेंद्र मिश्रा ने राहुल गांधी के बचाव में आते हुए कहा कि सरकार ने सांसद आदर्श ग्राम योजना के लिए अलग से धन नहीं दिया था. उन्होंने कहा, ‘सरकार को इसके लिए अलग से धन देना चाहिए था और राहुल जी ने यह बात पहले ही दिन कही थी. कोई सांसद अपनी सांसद निधि का सारा धन केवल एक गांव पर कैसे खर्च कर सकता है और क्षेत्र के दूसरे गांवों को कैसे छोड़ सकता है?'

बता दें कि कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाली अमेठी सीट पर छह मई को मतदान होगा. राहुल गांधी चौथी बार यहां से लोकसभा पहुंचने के लिए प्रयास कर रहे हैं. लोकसभा चुनाव के नतीजे 23 मई को जारी होंगे.