केरल की सियासी खिचड़ी में राहुल गांधी की एंट्री तड़के से कम नहीं, जानें इस दक्षिण भारतीय राज्य के बारे में
दुनिया भर में अपने मसालों और नारियल के लिए मशहूर केरल की सियासी खिचड़ी में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की एंट्री जबरदस्त तड़के से कम नहीं है.
नई दिल्ली:
दुनिया भर में अपने मसालों और नारियल के लिए मशहूर केरल की सियासी खिचड़ी में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की एंट्री जबरदस्त तड़के से कम नहीं है. केरल के वायनाड सीट से गुरुवार को ताल ठोकने वाने राहुल गांधी एक साथ तीन प्रदेशों को फतह करना चाहते हैं. सीपीआई के इस लाल गढ़ में कांग्रेस का पंजा क्या गुल खिलाएगा ये 23 मई को पता चलेगा, फलहाल आइए समझते हैं इस राज्य का भौगोलिक और सियासी मिजाज.
यह भी पढ़ेंः वायनाड से नामांकन भरने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी वामदलों को कुछ इस तरह दिलाया भरोसा
केरल भारत के दक्षिण में बसा हुआ एक राज्य है जिसकी राजधानी तिरूअनन्तपुरम है. यहां हिन्दुओं तथा मुसलमानों के अलावा ईसाई भी बड़ी संख्या में रहते हैं. 38863 वर्ग किमी में फैला हुआ यह राज्य जनसंख्या के आधार पर भारत का 13वां सबसे बड़ा राज्य है. देश के सभी राज्यों को पीछे छोड़ते हुए केरल अभी भी साक्षरता में नंबर वन है. अच्छी जलवायु, यातायात की उचित सुविधाओं और समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं के कारण यह पर्यटकों में लोकप्रिय है. केरल के प्रमुख पड़ोसी राज्य तमिलनाडु तथा कर्नाटक हैं.
यह भी पढ़ेंः लोकसभा चुनाव से पहले अमेठी में बीजेपी के साथ 'मुस्लिम', विपक्षी दलों को बड़ा झटका
यह यूनिसेफ और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा मान्यता प्राप्त विश्व का प्रथम सौहार्द राज्य है. इसे ईश्वर का अपना घर नाम से जाना जाता है. केरल में 140 विधानसभा और 20 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र हैं. केरल के अन्य महत्वपूर्ण राजनीतिक दल कांग्रेस, माकपा, जनता दल, मुस्लिम लीग, केरल कांग्रेस हैं.
2001 से 2011 के बीच 360 नए शहर बने
सीडीएस के अनुसार केरल भारत का एकलौता राज्य है जहां से खाड़ी के देशों में पिछले 50 सालों से पलायन जारी है. केरल के लोगों का खाड़ी के देशों में एक मजबूत नेटवर्क है. यहां हर किसी का कोई न कोई चाचा या मामा रहता ही है.'' केरल में शहरीकरण की जो तेज़ रफ़्तार है उसके पीछे केरल के उन लोगों की कड़ी मेहनत है जो परिवार से दूर खाड़ी के देशों में रहकर अपने देश में पैसे भेजते हैं. सीडीएस का कहना है कि केरल में 2001 से 2011 के बीच 360 नए शहर बने हैं.
बीजेपी का थर्ड फ्रंट बनकर उभरने का लक्ष्य
केरल में बीजेपी खुद को थर्ड फ्रंट के रूप में स्थापित करना चाहती है. ऐसे में वह यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) और सीपीएम के नेतृत्व वाले (एलडीएफ) के खिलाफ आक्रामक तेवर दिखाते हुए चुनावी मैदान में उतरेगी. 20 लोकसभा सीटों वाले केरल में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ और सीपीएम के नेतृत्व वाले एलडीएफ गठबंधन ही बीते चार दशक से बारी-बारी से सत्ता पर हैं. इस चुनाव में बीजेपी अपने कार्यकर्ताओं की हत्या के मुद्दे को भी जोरशोर से उठाएगी.
यह भी पढ़ेंः क्या राहुल गांधी के केरल का 'काशी' साबित होगा वायनाड
पिछले 5 चुनावों के परिणाम
- 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 8, सीपीआई-एम ने 5 और अन्य के खाते में 7 सीटें गईं.
- 2009 के चुनाव में कांग्रेस ने 65 फीसद सीटों पर जीत हासिल कर 13 सीटें कब्जाई, सीपीआई-एम के खाते में केवल 4 व अन्य को 3 सीटें मिलीं.
- 2004 में सीपीआई-एम ने 58 फीसद सीटों पर कब्जा जमाया और उसके हिस्से में 12 सीटें आईं. सीपीआई को 3 व अन्य को 5 जगहों से विजयश्री मिली.
यह भी पढ़ेंः जानिये दक्षिण भारत की 130 सीटों पर कैसा रहा है कांग्रेस का पिछला प्रदर्शन
- 1999 में कांग्रेस ने 8 और सीपीआई-एम ने भी 8 सीटें कब्जाईं और अन्य के खाते में 4 सीटें मिलीं.
- 1998 में कांग्रेस ने 8, सीपीआई-एम ने 6 और अन्य दलों के खाते में 6 सीटें गईं
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Lok Sabha Election 2024: PM मोदी ने नामांकन के लिए क्यों चुना यह खास दिन? सामने आई चौंकाने वाली वजह
-
Guru Asta 2024: आज गुरु होंगे अस्त, इन राशियों को होगा बंपर लाभ, होगी जबरदस्त कमाई
-
Angarak Yoga 2024: मंगल के गोचर से बना अंगारक योग, इन राशियों के जीवन में छा जाएगा अंधेरा
-
Vastu Tips For Kitchen: इस दिशा में होती है रसोई तो घर वाले हमेशा रहते हैं कंगाल