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मिजोरम में ZPM को 27 सीटें, पूर्ण बहुमत पाने के बाद क्या बोले CM पद के दावेदार लालदुहोमा  

ZPM की जीत पर पार्टी के नेता और सीएम के पद के दावेदार लालदुहोमा ने कहा- वे पार्टी की जीत को लेकर बेहद खुश हैं. उन्हें इस तरह के नतीजे की ही उम्मीद थी.

Updated on: 04 Dec 2023, 08:31 PM

नई दिल्ली:

मिजोरम के 40 विधानसभा सीटों पर रिजल्ट सामने आ चुके हैं. इस बार नई पार्टी जोरम पीपुल्स मूवमेंट (ZPM) को 27 सीटें मिली हैं. उसे पूर्ण बहुमत हासिल हुआ है. इस जीत के साथ वह सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है.  सत्ताधारी मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) को 10, भाजपा को दो और कांग्रेस के खाते में एक सीट है. मिजोरम में सबसे बड़ा उलटफेर आइजोल ईस्ट-1 सीट पर देखने को मिला. यहां पर सीएम जोरामथंगा चुनाव हार चुके हैं. उन्हें ZPM के ललथनसंगा ने दो हजार से अधिक वोटों से मात दी है. CM ने राज्यपाल डॉ.हरि बाबू कंभमपति से मुलाकात कर इस्तीफा दे दिया. 

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ZPM की जीत पर पार्टी के नेता और सीएम के पद के दावेदार लालदुहोमा ने कहा- वे पार्टी की जीत को लेकर बेहद खुश हैं. उन्हें इस तरह के नतीजे की ही उम्मीद थी. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में वे राज्यपाल से मुलाकात करने वाले हैं. शपथ ग्रहण समारोह इस माह होगा. लालदुहोमा इंदिरा गांधी के सुरक्षा इंचार्ज भी रहे हैं. ZPM ने 2018 में 8 सीटों पर जीत दर्ज की थी. 

छह दलों को मिलाकर बना जोरम पीपुल्स मूवमेंट

जोरम पीपुल्स मूवमेंट पार्टी शुरुआत में छह क्षेत्रीय दलों से मिलकर तैयार हुई थी. इस गठबंधन में मिजोरम पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, जोरम नेशनलिस्ट पार्टी, जोरम एक्सोडस मूवमेंट, जोरम डिसेंट्रलाइजेशन फ्रंट, जोरम रिफॉर्मेशन फ्रंट और मिजोरम पीपुल्स जैसी पार्टियां शामिल थीं. 

2018 में ZPM ने इसी गठबंधन के साथ इलेक्शन में उतरा था. इस चुनाव में उसने आठ सीटें जीतीं. इसके बाद चुनाव आयोग (ECI) ने अधिकारिक तौर पर जुलाई 2019 में पार्टी को पंजीकृत किया. बाद में संस्थापक पार्टी मिजोरम पीपुल्स कॉन्फ्रेंस इस गठबंधन से 2019 में बाहर हो गई. बाकी बची पार्टियों ने मिलकर गठबंधन को ZPM नाम दिया.

MNF और कांग्रेस के बाद मिजोरम में तीसरी बड़ी पार्टी जोरम पीपुल्स मूवमेंट है. इसके नेता लालदुहोमा एक पूर्व IPS अधिकारी भी हैं. जब राहुल गांधी की संसद सदस्यता गई थी तब लालदुहोमा का नाम चर्चा में आया था. 

दरअसल, लालदुहोमा ने 1984 में मिजोरम से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की थी. इसके बाद उनका राज्य कांग्रेस के नेताओं से मतभेद हुआ. बाद में उन्हें अयोग्य घोषित करा गया. उन्हें 1988 में दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित किया गया. वे ऐसे पहले लोकसभा सांसद बने. 2018 में लालदुहोमा ने आइजोल पश्चिम- I और सेरछिप से निर्दलीय खड़े हुए और यहां से चुनाव जीता.