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लोकसभा चुनाव

MP Assembly Election: BJP के लिए आसान नहीं होगा उम्मीदवारों का चयन, जानें बनते बिगड़ते समीकरण

मध्य प्रदेश में में बीजेपी (BJP) और कांग्रेस (Congress) में टक्कर देखने को मिल रही है. लेकिन यहां बीजेपी के लिए एक समस्या भी नजर आ रही है.

Updated on: 08 Aug 2023, 07:17 PM

highlights

  • मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023.
  • आसान नहीं होगी बीजेपी की राह.
  • टिकट की आस में हैं सिंधिया समर्थक.

नई दिल्ली:

Madhya Pradesh Assembly Elections 2023: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में इस साल विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) होने हैं. विधानसभा चुनावों को लेकर राज्य में बीजेपी (BJP) और कांग्रेस (Congress) में टक्कर देखने को मिल रही है. लेकिन यहां बीजेपी के लिए एक समस्या भी नजर आ रही है. दरअसल, कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) कुछ दिग्गज नेताओं लिए परेशानी बनते नजर आ रहे हैं. महाराज और उनके समर्थकों की वजह से ग्वालियर-चंबल में इन नेताओं का भविष्य अधर में लटक गया है.

टिकट की आस लगाए बैठे हैं सिंधिया समर्थक

बात करें 2020 के विधानसभा उपचुनाव की तो तब पुराने बीजेपी नेताओं को साइड कर सिंधिया समर्थकों को टिकट दिया गया था. सिंधिया के इन समर्थकों में से कुछ को जीत हासिल हुई तो कुछ हार गए. अब सिंधिया के यही समर्थक एक बार फिर से 2023 के विधानसभा चुनाव में टिकट की आस लगाए बैठे हैं. सिंधिया भी अपने समर्थकों को टिकट दिलवाने के लिए जोर लगाते नजर आ रहे हैं. ऐसे में उन बीजेपी नेताओं को मनाना बीजेपी के लिए मुश्किल साबित होगा, जिन्होंने 2020 के उपचुनाव में पार्टी के कहने पर सिंधिया समर्थकों को चुनाव जिताया था. 

नाराज बीजेपी का क्या होगा?

यह कहना गलत नहीं होगा कि जबसे ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक बीजेपी में आए हैं, तभी से बीजेपी तीन खेमों में बंटी नजर आ रही है. कथित तौर पर पहला खेमा शिवराज बीजेपी का है, दूसरा खेमा महाराज बीजेपी का है और तीसरा खेमा नाराज बीजेपी का है. शिवराज बीजेपी और महाराज बीजेपी में तो कोशिश कर सामंजस्य बैठाया जा रहा है लेकिन नाराज बीजेपी का क्या होगा इसे लेकर कुछ साफ नहीं हो पा रहा है. सिंधिया के समर्थकों वाली कई विधानसभाओं में बीजेपी के बड़े नेता टिकट की आस लगाए बैठे हैं. लेकिन सिंधिया समर्थकों की वजह से ये आसान नजर नहीं आ रहा है. बीजेपी के कई नेता टिकट पाने के लिए प्रयास करते हुए नजर आ रहे हैं. तो चलिए ऐसे में नजर डालते हैं बनते बिगड़ते सियासी समीकरण पर.

ग्वालियर विधानसभा

ग्वालियर विधानसभा से बीजेपी के दिग्गज नेता और अपने बयानों से सुर्खियों में रहने वाले बजरंग दल के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष जयभान सिंह पवैया चुनाव जीतते आए हैं. साल 2020 के उपचुनाव में इसी सीट पर से बीजेपी ने सिंधिया के साथ बीजेपी में आए प्रद्युमन सिंह तोमर को टिकट देकर जयभान सिंह पवैया का टिकट काट दिया था. पार्टी के आदेश पर जयभान सिंह पवैया ने प्रद्युमन सिंह तोमर का भरपूर सहयोग किया, उन्हें जिताने में काफी योगदान भी दिया. लेकिन इस बार फिर से प्रद्युमन सिंह तोमर ग्वालियर विधानसभा में पूरी तरह एक्टिव हैं. उनकी सक्रियता को देखकर लग रहा है कि बीजेपी उन्हें एक बार फिर से अपना उम्मीदवार बना सकती है. जय भान सिंह पवैया के सामने अब सियासी संकट गहराता नजर आ रहा है. प्रद्युमन सिंह तोमर को मिला तो जयभान सिंह के सामने मुश्किल खड़ी हो जाएगी कि वो किस विधानसभा सीट से लड़ें. ऐसे में जय भान सिंह पवैया को मनाना बीजेपी के लिए मुश्किल भरा हो सकता है. 

गोहद विधानसभा सीट

गोहद विधानसभा से लाल सिंह आर्य बीजेपी का बड़ा चेहरा हैं. लाल सिंह आर्य शिवराज सरकार में मंत्री रह चुके हैं और वर्तमान में बीजेपी में अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. साल 2020 के उपचुनाव में लाल सिंह आर्य ने सिंधिया समर्थक और बीजेपी प्रत्याशी रणवीर जाटव का भरपूर सहयोग करते हुए, उन्हें चुनाव जिताने की कोशिश की थी लेकिन रणवीर जाटव कांग्रेस प्रत्याशी से हार गए थे. रणवीर जाटव एक बार फिर से टिकट की उम्मीद लगाए बैठे हैं. सिंधिया समर्थक होने की वजह से उन्हें इस बात का लाभ भी मिल सकता है. लाल सिंह आर्य भी इस बार गोहद विधानसभा सीट से अपना भाग्य आजमाने के लिए तैयारी कर चुके हैं. अगर रणवीर जाटव को बीजेपी से टिकट मिलता है तो लाल सिंह आर्य को बीजेपी कैसे संतुष्ट कर पाएगी, ये बड़ा सवाल है. 

मेहगांव विधानसभा सीट

मेहगांव विधानसभा सीट पर बीजेपी के दो बड़े नेताओं की नजर है. पहला नाम बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष मुकेश चौधरी का है जो मेहगांव विधानसभा से एक बार विधायक भी रह चुके हैं. 2020 के उपचुनाव में मुकेश चौधरी ने सिंधिया समर्थक ओपीएस भदौरिया को जिताने में पूरी ताकत लगा दी थी. इसके अलावा मेहगांव से ही विधायक रह चुके राकेश शुक्ला भी बीजेपी के टिकट पर एक बार फिर से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. दोनों बीजेपी नेता इस बार अपने लिए टिकट की कोशिश में हैं. सिंधिया एक बार फिर से ओपीएस भदौरिया को टिकट दिलाने में सफल हो जाते हैं तो बीजेपी के सामने इन दोनों ही नेताओं को मनाना किसी चुनौती से कम नहीं होगा.

दिमनी विधानसभा सीट

दिमनी विधानसभा सीट पर 2020 के उपचुनाव में सिंधिया समर्थक गिर्राज दंडोतिया ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था. गिर्राज चुनाव हार गए थे. अब एक बार फिर से गिर्राज दंडोतिया बीजेपी से दिमनी विधानसभा का टिकट लेने की जुगत में है. ऐसे में पूर्व विधायक और बीजेपी के कद्दावर नेता शिवमंगल सिंह को मनाना बीजेपी के लिए एक चुनौती है. शिवमंगल सिंह भी यहां से टिकट के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं.

मुरैना विधानसभा सीट

मुरैना विधानसभा सीट से साल 2020 के उपचुनाव में सिंधिया समर्थक रघुराज सिंह कंसाना को बीजेपी ने टिकट दिया था. बीजेपी के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह समेत अन्य नेताओं ने रघुराज सिंह कंसाना का सहयोग भी किया लेकिन वो चुनाव हार गए थे. अब अगर एक बार फिर से रघुराज सिंह कंसाना को बीजेपी 2023 के विधानसभा चुनाव में अपना प्रत्याशी बनाती है तो इस सीट से पूर्व मंत्री रुस्तम सिंह के साथ हमीर पटेल और गीता हर्षाना जैसे बीजेपी के नेताओं को पार्टी किस तरह शांत रख पाएगी.