logo-image
लोकसभा चुनाव

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का अर्थव्यवस्था की इन चुनौतियों से होगा सामना, पढ़ें पूरी खबर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने अपनी कैबिनेट में निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) को वित्त मंत्री बनाया है. वित्त मंत्री बनने के बाद निर्मला सीतारमण के सामने अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर कई चुनौतियां हैं.

Updated on: 01 Jun 2019, 11:45 AM

highlights

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्मला सीतारमण को वित्त मंत्री बनाया
  • वित्त मंत्री के सामने सुस्त अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की जिम्मेदारी
  • वित्तीय सेक्टर में नकदी संकट को दूर करने की बड़ी चुनौती

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने अपनी कैबिनेट में निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) को वित्त मंत्री (Finance Minister) बनाया है. वित्त मंत्री बनने के बाद निर्मला सीतारमण के सामने अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर कई चुनौतियां हैं. गौरतलब है कि देश के इतिहास में अबतक की सिर्फ दूसरी महिला रक्षा मंत्री रहीं निर्मला सीतारमण की फिर से मोदी सरकार की कैबिनेट में वापसी हुई है. नए वित्त मंत्री के सामने क्या चुनौतियां हैं आइये उसपर नजर डाल लेते हैं.

यह भी पढ़ें: आज ही निपटा लीजिए ये काम नहीं तो हो जाएगा लाखों का नुकसान

सुस्त अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की जिम्मेदारी
अर्थव्यवस्था के मोर्च पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को काफी काम करना पड़ेगा. वित्त वर्ष 2018-19 में GDP 6.98 फीसदी रहने का अनुमान है, जो पिछले वित्त वर्ष की GDP ग्रोथ रेट 7.2 फीसदी से कम है. मार्च में खत्म चौथी तिमाही में GDP 6.5 फीसदी रहने का अनुमान जारी किया गया था. बता दें कि जीडीपी को अर्थव्यवस्था में बेहतरी मापने का सबसे बड़ा आंकड़ा माना जाता है.

यह भी पढ़ें: अटल पेंशन योजना (APY): हर महीने 5 हजार रुपये पेंशन का सरकारी वादा

वहीं दूसरी ओर दूसरी तरफ औद्योगिक उत्पादन में भी गिरावट दर्ज की गई है. इस साल मार्च में देश का औद्योगिक उत्पादन (IIP) में पिछले साल इसी माह की तुलना में 0.1 फीसदी की गिरावट आई है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक औद्योगिक उत्पादन का यह 21 महीने का सबसे कमजोर प्रदर्शन है. पूरे वित्त वर्ष 2018-19 में औद्योगिक वृद्धि दर 3.6 फीसदी रही है, जो कि पिछले 3 साल में सबसे कम है.

व्यापार घाटा भी पांच महीने के ऊपरी स्तर पर
जानकारों के मुताबिक वित्त वर्ष के अंत यानि मार्च तक सरकारी खर्च में बढ़ोतरी हो जाती है. इस बार राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकार ने खर्चों में कटौती भी की थी. एक रिपोर्ट के मुताबिक निजी क्षेत्र की अर्थव्यवस्था भी धीमी वृद्धि दर के दौर से गुजर रही है. हालांकि नई सरकार के आने के बाद कंपनियों के प्रदर्शन में सुधार की उम्मीद है. एक्सपोर्ट की वृद्धि दर अप्रैल में 4 महीने के निचले स्तर पर आ गई है. अप्रैल में वस्तुओं का एक्सपोर्ट पिछले साल अप्रैल के मुकाबले 0.64 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 26 अरब डॉलर दर्ज किया गया है. अप्रैल में इंपोर्ट सिर्फ 4.5 फीसदी बढ़कर 41.4 अरब डॉलर दर्ज किया गया. एक्सपोर्ट कम होने और इंपोर्ट ज्यादा होने से व्यापार घाटा भी पांच महीने के ऊपरी स्तर पर पहुंच गया है.

यह भी पढ़ें: Health Insurance: हेल्थ इंश्योरेंस लेने जा रहे हैं तो इन बातों का रखें ख्याल

राजकोषीय घाटे में बढ़ोतरी
कर संग्रह कम होने से वित्त वर्ष 2018-19 (अप्रैल-मार्च) के शुरुआती 11 महीने में राजकोषीय घाटा बजटीय लक्ष्य का 134.2 फीसदी हो गया. नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीजीए) के आंकड़ों के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष के शुरुआती 11 महीने में राजकोषीय घाटा उस साल के लक्ष्य का 120.3 फीसदी था. वित्त वर्ष 2019-20 में राजकोषीय घाटा 7.04 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है जो सकल घरेलू उत्पाद का 3.4 फीसदी है. राजकोषीय घाटे को काबू में रखना और बढ़ रहे सरकारी खर्च में संतुलन बनाने की चुनौती निर्मला सीतारमण के सामने रहेगी. इसके अलावा लगातार बढ़ रहे विदेशी कर्ज को कम करना भी नए वित्त मंत्री के सामने एक बड़ी चुनौती है.

यह भी पढ़ें: इन आर्थिक नीतियों ने नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को दोबारा पहुंचाया सत्ता के दरवाजे पर, पढ़ें पूरी खबर

महंगाई से सामना
देश की खुदरा महंगाई अप्रैल में 2.92 फीसदी दर्ज की गई, जो मार्च के 2.86 फीसदी की तुलना में अधिक है. खाद्य पदार्थों के दामों में हुई बढ़ोतरी की वजह से अप्रैल में मार्च की तुलना में खुदरा महंगाई में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. आने वाले दिनों में मॉनसून अगर सही रहता है तो महंगाई के मोर्चे पर थोड़ी राहत मिल सकती है. अगर मॉनसून में कमी आती है तो महंगाई में उछाल आ सकता है ऐसे में नए वित्त मंत्री को महंगाई को काबू में लाने के लिए कई आर्थिक कदम उठाने के तैयार रहना होगा.

यह भी पढ़ें: अगर आपके पास आधार कार्ड (Aadhaar) और बैंक अकाउंट है तो यह खबर आपके लिए ही है

वित्तीय सेक्टर में नकदी का संकट
नए वित्त मंत्री के सामने एक बड़ी चुनौती वित्तीय सेक्टर में नकदी संकट को दूर करने की है. इन्सॉन्वेंसी एंड बैंकरप्शी कोड (IBC) मोदी के नेतृत्व वाली NDA की पहली सरकार का एक बड़ा आर्थ‍िक सुधार था. हालांकि सरकार ने 10 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के फंसे कर्जों का समाधान निकालने का लक्ष्य बनाया था. वहीं अब IBC के आने के बाद वित्तीय सेक्टर में नकदी का संकट खड़ा हो गया है. निर्मला सीतारमण के सामने इसका समाधान खोजने की चुनौती होगी.