दूसरा 'निर्भया' केस : छावला के दोषियों की सजा पर सुप्रीम फैसले का इंतजार
छावला किडनैपिंग, रेप और मर्डर केस को 'दूसरा निर्भया केस' कहा जाता है. उत्तराखंड की रहने वाली 19 वर्षीय पीड़िता का क्षत-विक्षत शव 16 फरवरी, 2012 को हरियाणा के रेवाड़ी जिले के रोधई गांव में एक खेत में फेंका हुआ मिला था.
highlights
- मामले में 29 मार्च को भी इसी बेंच ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था
- दिल्ली पुलिस की ओर से ASG ऐश्वर्या भाटी ने अपनी दलील पेश की
- छावला किडनैपिंग, रेप और मर्डर केस को 'दूसरा निर्भया केस' कहा जाता है
New Delhi:
दिल्ली में 14 फरवरी 2012 को हुए छावला किडनैपिंग, रेप और मर्डर मामले ( Chhawala Kidnapping Rape and Murder case) में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई के बाद जस्टिस उदय उमेश ललित, जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने तीन दोषियों की मौत की सजा पर फैसला सुरक्षित रखा. इस मामले में 29 मार्च को भी इसी बेंच ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. सजा के ऐलान के लिए 7 अप्रैल की तारीख तय की गई थी. अब आगे इस मामले में सजा का ऐलान होगा.
मामले पर सुनवाई के दौरान पुलिस की ओर से ASG ऐश्वर्या भाटी ने अपनी दलील पेश की. उन्होंने कहा कि दोषियों के वहशियाना अपराध के चलते रियायत नहीं दी जा सकती. बहरहाल सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि दोषियों की मौत की सजा का बरकरार रखा जाएगा या नहीं. वहीं तीनों दोषियों की ओर से अदालत में उम्र, पारिवारिक पृष्ठभूमि और पूर्व इतिहास को देखते हुए मौत की सजा को कम किए जाने की मांग की गई है.
मौत की सजा कम करने के विरोध में दिल्ली पुलिस
दिल्ली पुलिस ने मौत की सजा कम करने की अर्जी का विरोध किया है. दिल्ली पुलिस की ओर से ASG ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि ये अपराध सिर्फ पीड़िता के साथ नहीं, बल्कि पूरे समाज के साथ हुआ है. दोषियों को कोई रियायत नहीं दी जा सकती. क्योंकि उन्होंने ऐसा वहशियाना अपराध किया है. ये ऐसा अपराध है जिसके कारण मां-पिता बेटियों को सांझ ढले घर के बाहर नहीं रहने देते. दोषियों ने न केवल युवती से सामूहिक बलात्कार किया बल्कि उसके मृत शरीर का अपमान भी किया.
द्वारका और दिल्ली हाईकोर्ट से मौत की सजा
इससे पहले फरवरी 2014 में दिल्ली की द्वारका अदालत ने इस मामले में तीन मुख्य अभियुक्तों- रवि कुमार, राहुल और विनोद को युवती के अपहरण, रेप और मामले में दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई थी. दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के बाद सजा बरकार रखा था. हाई कोर्ट ने 26 अगस्त, 2014 को कहा था कि वे किसी ‘वहशी जानवर’ की तरह शिकार की तलाश में थे. तीनों के खिलाफ पीड़िता के अपहरण, रेप और हत्या के केस में कई धाराएं लगाई गई थीं. अदालत ने उन्हें दोषी पाया. दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को तीनों दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
बताया जाता है दूसरा निर्भया केस
इस छावला किडनैपिंग, रेप और मर्डर केस को 'दूसरा निर्भया केस' कहा जाता है. उत्तराखंड की रहने वाली 19 वर्षीय पीड़िता का क्षत-विक्षत शव 16 फरवरी, 2012 को हरियाणा के रेवाड़ी जिले के रोधई गांव में एक खेत में फेंका हुआ मिला था. उस पर कार के औजारों और अन्य चीजों से बेदर्दी से हमला किया गया था. अपराध प्रकृति में बर्बर था. क्योंकि उन्होंने पहले युवती का अपहरण किया, उसके साथ बलात्कार किया, उसकी हत्या की और उसके शव को एक खेत में फेंक दिया. अभियोजन पक्ष ने महिला के सिर और उसके शरीर के अन्य हिस्सों पर कई चोटों का भी खुलासा किया था. अपराधियों ने उसके साथ रेप के बाद आंखों में तेजाब तक डाल दिया था.
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अभियोजन पक्ष ने कहा था कि रवि कुमार ने अन्य दो आरोपियों की मदद से अपराध को अंजाम दिया क्योंकि लड़की ने रवि कुमार के दोस्ती के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था. दरिंदों को फांसी की सजा दिलाने की मांग को लेकर पिछले 10 साल से लड़की के गरीब माता-पिता लगातार लड़ाई लड़ रहे हैं.
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