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CM योगी के फर्जी हस्ताक्षर कर विज्ञापन मांगने वाला पत्रकार गिरफ्तार, छह वर्ष से था फरार

सीएम योगी के नाम की फर्जी ईमेल आईडी बनाने और कंपनियों से विज्ञापन की डिमांड करने वाला शख्स मनोज कुमार सेठ एक स्वतंत्र पत्रकार है.

Updated on: 30 Jan 2022, 01:27 PM

highlights

  • फर्जी साइन कर कई कंपनियों को ईमेल भेज विज्ञापन मांगे थे
  • आरोपी की पहचान मनोज कुमार सेठ, उम्र 41 वर्ष के रूप में हुई है
  • आरोपी पर ओडिशा में जबरन वसूली का मामला दर्ज किया जा चुका है

नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम पर फर्जी ईमेल आईडी बनाने और उनके जाली हस्ताक्षर बनाने के आरोप में एक स्वतंत्र पत्रकार मनोज कुमार सेठ को स्पेशल सेल की आईएफएसओ यूनिट ने गिरफ्तार है. दिल्ली पुलिस के अनुसार, आरोपी को भुवनेश्वर से पकड़ा गया है. ऐसा कहा जा रहा रहा है कि आरोपी ने अपने स्थानीय अखबारों के लिए पीएसयू से विज्ञापन मांगने वाले ईमेल भेजे थे. आरोपी ने सीएम योगी के लेटरहेड पर भी फर्जी साइन कर कई कंपनियों को ईमेल भेज विज्ञापन मांगे थे. सीएम योगी के नाम की फर्जी ईमेल आईडी बनाने और कंपनियों से विज्ञापन मांगने वाला शख्स मनोज कुमार सेठ एक स्वतंत्र पत्रकार है. इसने अपने कई स्थानीय अखबारों के लिए पीएसयू से विज्ञापन मांगे. मामले का खुलासा होने के बाद मनोज कुमार सेठ को भुवनेश्वर से गिरफ्तार किया गया है.

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दरअसल इस मामले का भंडाफोड़ उस समय हुआ, जब सीएम योगी के निजी सचिव ने दिल्ली पुलिस की साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराई. इस बारे में वर्ष 2016 में मामला दर्ज किया गया था. मगर कई कोशिशों के बावजूद आरोपी पुलिस की गिरफ्त में नहीं आया. अब छह वर्ष बाद आरोपी को ओडिशा के भुवनेश्वर से गिरफ्तार किया गया है. पुलिस के अनुसार आरोपी की पहचान मनोज कुमार सेठ, उम्र 41 वर्ष के रूप में हुई है. आरोपी मनोज एक स्वतंत्र पत्रकार है. इससे पहले भी आरोपी पर ओडिशा में जबरन वसूली का मामला दर्ज किया जा चुका है.

इस मामले को लेकर ईएफएसओ के पुलिस उपायुक्त केपीएस मल्होत्रा ने बताया कि  वर्ष 2016 में गोरखपुर से लोकसभा सांसद रहे योगी आदित्यनाथ के निजी सचिव राजभूषण सिंह रावत ने पुलिस को शिकायत दर्ज कराई थी. आगे उन्होंने बताया था   कि किसी ने सांसद के नाम से फर्जी ईमेल आईडी बनाकर पीएसयू कंपनियों, पॉवर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया, ओएनजीसी और गेल इंडिया को ईमेल किया. इसके साथ ही ईमेल में सांसद के फर्जी हस्ताक्षर किया हुआ एक पत्र भी मिला. इसमें विज्ञापन की जगह निधार्रित की गई थी. इसके बाद शिकायत दर्ज की गई, फिर मामले की  जांच की गई.