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सुनिए सरकार, जागिए!, नारायणमूर्ति बोले- Corona से ज्यादा लंबा Lockdown लोगों को मार देगा, क्यों? जानें यहां

इंफोसिस (Infosys) के संस्थापक सदस्य एन आर नारायणमूर्ति (N R Narayana Murthy) ने कहा है कि अगर भारत कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए लॉकडाउन जारी रखता है वायरस से होने वाली मौतों के मुकाबले भूख के कारण ज्यादा मौतें हो सकती हैं.

Updated on: 30 Apr 2020, 11:17 AM

नई दिल्ली:

Coronavirus (Covid-19): भारत में कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Epidemic) को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन (Lockdown) की वजह से भूख के कारण सबसे ज्यादा मौतें हो सकती हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक देश की बड़ी साफ्टवेयर कंपनी इंफोसिस (Infosys) के संस्थापक सदस्य एन आर नारायणमूर्ति (N R Narayana Murthy) ने कहा है कि अगर भारत कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए लॉकडाउन जारी रखता है वायरस से होने वाली मौतों के मुकाबले भूख के कारण ज्यादा मौतें हो सकती हैं.

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नारायणमूर्ति ने कहा कि देश को कोरोवायरस को नए सामान्य के रूप में स्वीकार करना चाहिए और सबसे कमजोर लोगों की सुरक्षा का ध्यान रखते हुए सक्षम लोगों के रिटर्न-टू-वर्क की सुविधा प्रदान करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि हमारे लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि भारत बहुत लंबे समय तक इस स्थिति में नहीं रह सकता है. उन्होंने आशंका जताई कि एक समय लॉकडाउन की वजह से भूख से होने वाली मौतें बहुत ज्यादा बढ़ जाएंगी. उन्होंने कहा कि विकसित देशों के मुकाबले भारत में कोविड के कुल मामलों में भारत की मृत्यु दर 0.25-0.5 फीसदी है. उन्होंने कहा कि अब तक भारत ने लॉकडाउन को लागू करके कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने में काफी अच्छा काम किया है.

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भारत में हर साल 90 लाख की विभिन्न कारणों से होती है मौत
उन्होंने कहा कि भारत में अबतक 31 हजार से ज्यादा लोग कोरोना वायरस पॉजिटिव पाए गए हैं जिनमें से संक्रमण की वजह से 1,008 लोगों की मौत हो चुकी है. बता दें कि देश में कोरोना का पहला मामला 30 जनवरी को सामने आया था. मूर्ति ने कहा कि भारत में विभिन्न कारणों से हर साल 90 लाख से अधिक मौतें होती हैं, जिनमें से एक तिहाई प्रदूषण के कारण होती है. उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में सबसे अधिक प्रदूषित है. उन्होंने कहा कि जब आप 90 लाख लोगों को इस तरह से मरते हुए देखते हैं और जब आप पिछले दो महीनों में 1,000 लोगों की मौत के साथ तुलना करते हैं तो जाहिर है कि यह उतना घबराहट नहीं है जितना हम सोच रहे हैं.

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उन्होंने कहा कि कि लगभग 190 मिलियन भारतीय अनौपचारिक (असंगठित) क्षेत्र में कार्यरत हैं या स्वरोजगार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा लॉकडाउन की वजह से अपनी आजीविका को खो चुका है और अगर लॉकडाउन जारी रहा तो और बड़ी संख्या में लोग अपनी आजीविका को खो देंगे.