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Omicron वेरिएंट का दुनियाभर की अर्थव्यवस्था पर क्या पड़ेगा असर?

OECD ने नवीनतम आर्थिक रिपोर्ट में कहा है कि दुनियाभर में प्रभावी टीकाकरण सुनिश्चित करने में विफलता समेत विभिन्न कारणों की वजह से दुनिया की आर्थिक सुधार असंतुलित हो रही है.

Updated on: 03 Dec 2021, 03:19 PM

highlights

  • OECD के द्वारा Omicron वेरिएंट को लेकर गंभीर चिंता जाहिर की गई है
  • इस साल ग्लोबल जीडीपी ग्रोथ 5.6 फीसदी और 2022 में 4.5 फीसदी रहने का अनुमान

नई दिल्ली:

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा कोरोना वायरस के Omicron वेरिएंट को खतरनाक बताए जाने के बाद से दुनियाभर में दहशत का माहौल है. दुनिया के शीर्ष वैज्ञानिकों ने Omicron वेरिएंट के व्यापक फैलाव की क्षमता और उसके ऊपर वैक्सीन (Covid vaccine) के कम असरदार होने की वजह से चेतावनी जारी की है. बता दें कि दक्षिण अफ्रीका में मिले वायरस के नए वेरिएंट की वजह से भारत समेत कई देशों को यात्रा दिशानिर्देशों को संशोधित करने के लिए मजबूर होना पड़ा है. वहीं कुछ देश दुनियाभर में संक्रमण के मामले बढ़ने पर नए प्रतिबंध लगाने का विचार कर रहे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि Omicron वेरिएंट काफी तेजी से फैल रहा है और इसे अभी ज्यादा से ज्यादा प्रभावित देशों में पता लगाने में समय लग सकता है. 

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वैज्ञानिक कोविड -19 के Omicron वेरिएंट से होने वाले प्रभाव को समझने की कोशिश कर रहे हैं. कई संगठन और विशेषज्ञ इस बात से चिंतित हैं कि यह वैश्विक व्यापार और आर्थिक सुधार को प्रभावित कर सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि नए वेरिएंट के प्रसार को रोकने में विफल रहने पर दुनियाभर में संक्रमण की संख्या में भारी बढ़ोतरी हो सकती है. दिन देशों में कोविड टीकाकरण कम हुआ है वहां पर अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या बढ़ सकती है. अग्रणी आर्थिक थिंकटैंक ऑर्गनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (OECD) ने कहा कि अगर Omicron वेरिएंट की वजह गंभीर वैश्विक मंदी आती है तो पश्चिमी सरकारें व्यवसायों और आम लोगों के लिए नए सिरे से आपातकालीन वित्तीय सहायता लाने के लिए मजबूर हो सकती हैं.

OECD के द्वारा Omicron वेरिएंट को लेकर गंभीर चिंता जाहिर की गई है. OECD ने कहा है कि लगातार बढ़ती महंगाई के बीच नए कोविड वेरिएंट से वैश्विक आर्थिक सुधार पर खराब असर पड़ सकता है. OECD का कहना है कि अगर Omicron वेरिएंट फैलता है तो यह सप्लाई चेन को काफी प्रभावित कर सकता है और उसकी वजह से लंबे समय के लिए उच्च मुद्रास्फीति और वैश्विक आर्थिक सुधार में मंदी आएगी.

Omicron का संक्रमण बढ़ा तो क्या होगा
अगर कोरोना वायरस का Omicron वेरिएंट अनुमान से अधिक खतरनाक रूप धारण कर लेता है तो दुनियाभर की विभिन्न सरकारों को कड़े प्रतिबंध लगाने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है. साथ ही इससे वस्तुओं और सेवाओं की मांग को बड़ा झटका लगेगा. इसके अलावा 2020 के कोविड शुरुआती दौर के जैसे ही हालात हो जाएंगे जब आर्थिक गतिविधियों पर अंकुश लगाए गए थे. 

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टीकाकरण कम होने पर क्या होगा
OECD ने नवीनतम आर्थिक रिपोर्ट में कहा है कि दुनियाभर में प्रभावी टीकाकरण सुनिश्चित करने में विफलता समेत विभिन्न कारणों की वजह से दुनिया की आर्थिक सुधार असंतुलित हो रही है. रिपोर्ट के मुताबिक इस साल ग्लोबल जीडीपी ग्रोथ 5.6 फीसदी और 2022 में ग्लोबल जीडीपी ग्रोथ 4.5 फीसदी रहने का अनुमान है. अमीर देशों के G20 समूह ने महामारी की शुरुआत के बाद से आपातकालीन सहायता में लगभग 10 ट्रिलियन डॉलर खर्च किए थे. हालांकि दुनियाभर में टीकाकरण सुनिश्चित करने के लिए सिर्फ 50 बिलियन डॉलर का खर्च आएगा.