logo-image

दुनिया का पहला देश बना फ्रांस, ऑर्बशन को लेकर महिलाओं को मिला संवैधानिक अधिकार

फ्रांस में अब महिलाओं को गर्भपात का संवैधानिक अधिकार मिल गया है. फ्रांस दुनिया का पहला देश बन गया है, जहां गर्भपात को वैध माना जाएगा.

Updated on: 05 Mar 2024, 07:29 AM

नई दिल्ली:

फ्रांस सरकार ने महिलाओं को लेकर बड़ा फैसला लिया है. फ्रांस में अब महिलाओं को गर्भपात का संवैधानिक अधिकार मिल गया है. फ्रांस दुनिया का पहला देश बन गया है, जहां गर्भपात को वैध माना जाएगा. आपको बता दें कि ये इतिहास सोमवार को फ्रांस की संसद में लिखा गया, जहां 1958 के संविधान में संशोधन कर महिलाओं की आजादी और अधिकारों का सम्मान किया गया.  जानकारी के मुताबिक, यह संशोधन फ्रांस के संविधान में 25वां संशोधन था. 

कई सालों में महिलाएं कर रही थी मांग?

2008 के बाद देश के संविधान में यह पहला संशोधन हुआ है. फ्रांस में महिलाएं कई सालों से मांग कर रही थीं कि उन्हें ये अधिकार मिलना चाहिए. इसे लेकर वहां की सरकार ने एक सर्वे कराया था, जिसमें 85 फीसदी लोगों ने इस कानून को बनाने का समर्थन किया था.  इस संबंध में फ्रांस के पीएम गेब्रियल अटल ने कहा कि दुनिया में एक नए युग की शुरुआत हो रही है. वहीं, देश में इस कानून को लेकर दक्षिणपंथियों ने इसका संसद में जमकर विरोध किया, लेकिन उनके विरोध के बावजूद भी ये कानून बन गया. विपक्षी सांसदों ने राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन पर चुनावी उद्देश्यों के लिए संविधान का उपयोग करने का आरोप लगाया. उनका कहना है कि यह संशोधन गलत नहीं है, लेकिन इसकी कोई जरुरत भी नहीं है.

ये भी पढ़ें- 'जो भी खरीदता वही मारा जाता...' इटली के शापित आइलैंड की खौफनाक कहानी

अब तक 9 बार हो चुका है बदलाव
आपको बता दें कि फ्रांस में गर्भपात का कानूनी अधिकार 1975 से है, तब से इस कानून में नौ बार संशोधन किया जा चुका है.यह बदलाव महिलाओं की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए किया गया ताकि महिलाओं को किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े. फ्रांस की संवैधानिक परिषद ने इस कानून पर कभी कोई सवाल नहीं खड़े किए.

फ्रांसीसी कानूनी विशेषज्ञों का मानना ​​है कि 2001 में संवैधानिक परिषद ने इसे 1789 के मानव स्वतंत्रता के अधिकार में शामिल कर लिया था, जिससे यह तकनीकी रूप से संविधान का हिस्सा बन गया. इस कानून को लेकर कई लोगों खुलकर समर्थन और स्वागत किया है. महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था फोंडेशन डेस डेम्स की कार्यकर्ता ऐनी-सेसिल मेलफोर्ट ने कहा कि यह दुनिया के लिए एक इंपॉर्टेंट मैसेज है.