बलवंत सिंह राजोआना: पूर्व मुख्यमंत्री का हत्यारा, जिसे फांसी स्वीकार है; लेकिन सरकारें...
साल 1995 के अगस्त माह का आखिरी दिन. 31 अगस्त 1995... खबर आई कि आत्मघाती हमले में पंजाब के सबसे महत्वपूर्ण नेता और पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या कर दी गई है. इस आत्मघाती धमाके में बेअंत सिंह समेत 17 लोगों की जान जाती है.
highlights
- बलवंत सिंह राजोआना की फांसी मामले में सुप्रीम कोर्ट सख्त
- केंद्र सरकार से सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब
- सजा मिलने के बाद 15 साल बाद भी नहीं हुई फांसी
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) ने बलवंत सिंह राजोआना (Balwant Singh Rajoana) की फांसी के मामले में हस्तक्षेप किया है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार ने अगले 2 महीनों में जवाब मांगा है. बलवंत सिंह राजोआना पटियाला की जेल में बंद है. उसे बेअंत सिंह हत्याकांड (Beant Singh assassination case) में मौत की सजा मिली हुई है, लेकिन उस सजा पर कभी अमल नहीं लाया जा सका है. अब इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि वो राजोआना के मामले में जल्द फैसला करे और इसके लिए 2 महीने का समय है.
क्यों मिली राजोआना को फांसी की सजा?
साल 1995 के अगस्त माह का आखिरी दिन. 31 अगस्त 1995... खबर आई कि आत्मघाती हमले में पंजाब के सबसे महत्वपूर्ण नेता और पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या कर दी गई है. इस आत्मघाती धमाके में बेअंत सिंह समेत 17 लोगों की जान जाती है. नाम आता है दिलावर सिंह का. जिसने अपने शरीर पर बम बांधकर ये धमाका किया था. इस मामले में दूसरा नाम आता है पंजाब पुलिस के कांस्टेबल बलवंत सिंह राजोआना का. जो खुद उसी मिशन पर था, जिसे दिलावर सिंह ने पूरा कर दिया था. अगर दिलावर अपने मिशन में फेल हो जाता, तो राजोआना उसे अंजाम देता. राजोआना पर दोष साबित हुआ, फांसी की सजा दी गई लेकिन उसने कभी इनकार नहीं किया. सुनवाई के दौरान राजोआना ने स्वीकार किया, 'हां, मैं इस हत्या में शामिल था. मुझे इस हत्या में शामिल होने का कोई पछतावा नहीं है. मैंने और भाई दिलावर सिंह ने इस बम को तैयार किया था.' राजोआना को 15 साल पहले 2007 में ही फांसी की सजा सुना दी गई थी. लेकिन आज तक उसे फांसी नहीं हो पाई. भले ही राजोआना इसके लिए पहले से तैयार है, लेकिन सरकारों की इच्छाशक्ति इस कदर कमजोर रही कि उसे मौत की सजा नहीं दी जा सकी.
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सरकारों ने रोक रखी है राजोआना की फांसी!
बलंवत सिंह राजोआना 26 सालों से जेल में बंद है. इसी बात की दलील देकर उसे रिहा करने की मांग की जाती रही है. यहां तक कि 9 सालों से उसकी आखिरी उम्मीद राष्ट्रपति के पास गिरवी रखी है. सुप्रीम कोर्ट मामले में हस्तक्षेप कर चुका है. अब फिर से सुप्रीम कोर्ट ने 2 महीने का समय दिया है. लेकिन देश की राजनीतिक व्यवस्था भी दबाव के साथ चलती नजर आ रही है. चाहे सरकार किसी भी पार्टी की रही हो. पंजाब में अकाली दल की सरकार ने पहली बार राजोआना की फांसी पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाया था. दरअसल, राजोआना की फांसी 31 मार्च 2012 को तय कर दी गई थी. लेकिन प्रकाश सिंह बादल की अकाली सरकार ने इसे रोकने के प्रयास किए. 28 मार्च 2012 को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका पेश कर दी. इसके बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने फांसी पर रोक लगाने का आदेश दे दिया. इसके बाद उसने कई बार खुद की फांसी पर रोक को हटवाने की कोशिश भी की है, लेकिन उसे सरकारें फांसी नहीं देना चाहती. इसके पीछे भले ही वजह कोई भी हो.
अभी कहां है बलवंत सिंह राजोआना?
बलवंत सिंह राजोआना (Balwant Singh Rajoana) अभी पटियाला सेंट्रल जेल में है. वो जेल में भूख हड़ताल कर चुका है. फांसी की सजा होने के बावजूद वो अपने काम के लिए किसी भी तरह से खुद को गलत नहीं मानता. उसने साल 2016 और 2018 में जेल में हड़ताल की थी. कि उसे फांसी दी जाए. उसकी फांसी को राजनीतिक न बनाया जाए. उसने जो कुछ भी किया, वो पंजाब के युवाओं की कुर्बानी के चलते किया. साल 2018 में उसने 5 दिन भूख हड़ताल की थी. उसे ये आश्वासन दिया गया कि उसकी इच्छा पूरी की जाएगी. जिसके बाद साल 2019 में उसकी सजा माफी की बात सामने आने लगी तो 2019 में अमित शाह ने लोकसभा में बाकायदा ये बयान दिया कि ऐसे किसी भी कैदी की सजा माफ नहीं की जाएगी. अब सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद इस मामले में सरकार क्या निर्णय लेती है, ये देखने वाली बात होगी.
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