बांदा में नसबंदी का अजीबो-गरीब मामला! ऑपरेशन के बाद भी प्रेग्नेंट हो गईं 8 महिलाएं
बांदा में नसबंदी कराने वाली आठ महिलाओं का गर्भ ठहर गया. इस हैरान करने वाले मामले को दबाने के लिए स्वास्थ्य विभाग पीड़ित महिलाओं को हजारों रुपये का हर्जाना दे रहा है.
नई दिल्ली:
Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश के बांदा में नसबंदी से जुड़ा अजीबो गरीब मामला सामने आया है, जहां आठ महिलाओं द्वारा नसबंदी कराने के बाद भी वे गर्भवती हो गईं. दरअसल गर्भनिरोधक के स्थाई समाधान के लिए बड़ी संख्या में पुरुषों एवं महिलाएं नसंबदी करवाती हैं. स्वास्थ्य विभाग के हालिया आंकड़ों पर गौर करें तो, पुरुषों के मुकाबले महिलाएं नसबंदी में ज्यादा बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं. हालांकि बावजूद इसके बांदा में आठ महिलाओं के साथ धोखा हुआ है. नसबंदी कराने के बाद भी, उनका गर्भ ठहर गया है. इसकी शिकायत पर अब स्वास्थ्य विभाग अपनी इस खामी को छिपाने में लगा हुआ है.
चिकित्सकों द्वारा हो रही लापरवाही
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, नसबंदी के बाद भी गर्भ ठहरने के मामले, स्वास्थ्य केंद्र बबेरू से तीन, बिसण्डा से दो, बड़ोखर, कमासिन और जिला अस्पताल से एक-एक डिफाल्टर केस सामने आए हैं. इससे साफ है कि, महिलाओं की नसबंदी किए जाने के दौरान चिकित्सकों द्वारा लापरवाही की गई थी. लिहाजा पीड़ित महिलाओं द्वारा फौरन इसकी शिकायत सीएमओ ऑफिस में की गई, जहां मामले को गंभीरता से लेते हुए इसकी जांच पड़ताल शुरू की गई.
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स्वास्थ्य विभाग छिपा रहा खामी...
जांच में नसबंदी के दौरान लापरवाही का ये मामला सही पाया गया, जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग की नींद खुली और अपनी इस गलती को छिपाने के लिए अथक प्रयास में लग गया. स्वास्थ्य विभाग द्वारा चिकित्सकों की लापरवाही का शिकार हुई पीड़ित महिलाओं को राहत देने के लिए, 60-60 हजार रुपये सरकारी मदद दिलाने की फाइल बनाने में जुट गया.
नसबंदी करा महिलाएं बेफिक्र हो जाती है, लेकिन...
गौरतलब है कि, मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल महिला-पुरुष और स्वास्थ्य केंद्र नरैनी, बबेरू, बिंसडा, कमासिन, महोखर, बड़ोखर, तिंदवारी और जसपुरा में महिला और पुरुष नसबंदी के लिए हर साल टारगेट निर्धारित होता है. इसी के तहत ये मामले भी पेश आया. हालांकि अक्सर देखा गया है कि, नसबंदी करा महिलाएं बेफिक्र हो जाती है, उन्हें अब गर्भवती होने की चिंता नहीं रहती, मगर इस तरह की लापरवाही उन्हें बड़ी मुसीबत में डाल सकती हैं. ऐसे में सरकार द्वारा आयोजित इन नसबंदी शिविरों से महिलाओं का भरोसा उठता जा रहा है.
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