किसान आंदोलन के समर्थन में पद्मश्री और अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित कई पूर्व खिलाड़ी लौटाएंगे पुरस्कार
पद्मश्री और अर्जुन अवॉर्ड सम्मानित सहित कई पूर्व खिलाड़ियों ने कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों का समर्थन करते हुए कहा कि दिल्ली कूच के दौरान प्रदर्शनकारियों के खिलाफ ‘बल’ प्रयोग के विरोध में वे अपना पुरस्कार लौटाएंगे.
चंडीगढ़:
पद्मश्री और अर्जुन अवॉर्ड सम्मानित सहित कई पूर्व खिलाड़ियों ने कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों का समर्थन करते हुए कहा कि दिल्ली कूच के दौरान प्रदर्शनकारियों के खिलाफ ‘बल’ प्रयोग के विरोध में वे अपना पुरस्कार लौटाएंगे. इन खिलाड़ियों में पद्मश्री और अर्जुन अवॉर्ड विजेता पहलवान करतार सिंह, अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित बास्केटबॉल खिलाड़ी सज्जन सिंह चीमा और अर्जुन अवॉर्ड से ही सम्मानित हॉकी खिलाड़ी राजबीर कौर शामिल हैं. इन खिलाड़ियों ने कहा कि पांच दिसंबर को वे दिल्ली जाएंगे और राष्ट्रपति भवन के बाहर अपने पुरस्कार रखेंगे. उन्होंने दिल्ली कूच कर रहे किसानों को रोकने के लिए केंद्र सरकार और हरियाणा सरकार द्वारा पानी की बौछार और आंसू गैस के गोले छोड़ने की निंदा की.
चीमा ने मंगलवार को कहा, ‘‘हम किसानों के बच्चे हैं और वे पिछले कई महीनों से शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं. हिंसा की एक भी घटना उस दौरान नहीं हुई.’’ उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन जब वे दिल्ली जा रहे थे तो उनके खिलाफ आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल हुआ और पानी की बौछारें छोड़ी गई. अगर हमारे बड़ों और भाइयों की पगड़ी उछाली गई, तो हम अपने अवॉर्ड और सम्मान का क्या करेंगे? हम अपने किसानों का समर्थन करते हैं. हमें ऐसे अवॉर्ड नहीं चाहिए, इसलिए उन्हें लौटा रहे हैं.’’ सिंह ने कहा कि कई पूर्व खिलाड़ी पांच दिसंबर को दिल्ली जाएंगे और अपने पुरस्कार लौटाएंगे.
पंजाब पुलिस के महानिरीक्षक पद से सेवानिवृत्त हुए सिंह ने कहा, ‘‘ अगर किसान ऐसे कानून नहीं चाहते है तो केंद्र सरकार उनपर यह क्यों लाद रही है.’’ उन्होंने कहा कि पांच दिसंबर को पूर्व खिलाड़ी दिल्ली की सीमा पर हो रहे किसानों के प्रदर्शन में भी शामिल होंगे. चीमा ने कहा कि कौर और अर्जुन अवॉर्ड (शाटफुट) विजेता बलविंदर सिंह सहित कई खिलाड़ी उनका समर्थन कर रहे हैं. उल्लेखनीय है कि पंजाब और हरियाणा के हजारों किसान दिल्ली की सीमा पर गत छह दिन दिन से केंद्र द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. उनको आशंका है कि इन कानूनों की वजह से न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली खत्म हो जाएगी और वे उद्योगपतियों के रहम पर रहने को मजबूर हो जाएंगी.
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