Himachal Political Crisis: क्या होगा विक्रमादित्य सिंह का अगला कदम? सुक्खू सरकार की राह अभी भी कठिन
Himachal Political Crisis: पिता वीरभद्र सिंह विरासत को लेकर विक्रमादित्य सिंह उठा सकते हैं बड़ा कदम। सुक्खू सरकार को हिमाचल विधानसभा के मौजूदा संख्याबल कर सकता है परेशान
नई दिल्ली:
Vikramaditya Singh: हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा चुनाव के बाद से सुक्खू सरकार पर सियासी संकट के बादल अभी टले नहीं हैं. अभी भी विक्रमादित्य सिंह का खेमा सीएम सुक्खू को बदलने को लेकर पुरजोर कोशिश कर रहा है. हाल ही में कांग्रेस के बागी पूर्व विधायकों से मिलकर आए विक्रमादित्य सिंह के अगले कदम पर सस्पेंस बना हुआ है. भाजपा में शामिल होने को लेकर विक्रमादित्य सिंह की दुविधा बनी हुई है. इस तरह से वीरभद्र सिंह की सियासी विरासत का अंत हो जाएगा. ऐसे में विक्रमादित्य के पास दूसरा विकल्प "वीरभद्र कांग्रेस" जैसी नई पार्टी का ऐलान हो सकता है. हिमाचल विधानसभा के मौजूदा संख्याबल को लेकर देखते हुए विक्रमादित्य सिंह के साथ तीन और विधायक टूटे तो सुक्खू सरकार का धाराशायी होना तय है.
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विक्रमादित्य सिंह सिंह के करीबियों से संपर्क साध रहे सीएम सुक्खू
कांग्रेस के छह पूर्व विधायकों को स्पीकर द्वारा अयोग्य घोषित किया गया है. अगर उन्हें अदालत से फौरी राहत मिलती है तो फिर सदन में अकेले विक्रमादित्य सरकार गिराने के लिए काफी होने वाले हैं. इस तरह से सीएम सुक्खू विक्रमादित्य के करीबी विधायकों को अपने पाले में करने में जुटे हुए हैं. वहीं कांग्रेस आलाकमान भी हालात पर नजर बनाए हुए है.
हिमाचल प्रदेश के मंत्री पद से अपना इस्तीफा दे दिया था
आपको बता दें कि हिमाचल प्रदेश में अपनी ही पार्टी के अंदर मोर्चा खोलने वाले कांग्रेस नेता विक्रमादित्य सिंह ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया है. उन्होंने राज्यसभा चुनाव नतीजों (28 फरवरी) के एक दिन पहले ही हिमाचल प्रदेश के मंत्री पद से अपना इस्तीफा दे दिया था. विक्रमादित्य सिंह ने सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व पर सवाल खड़े किए थे. उन्होंने विधायको के प्रति लापरवाही बरतने का आरोप लगाया. इसके साथ उन्होंने दिवंगत पिता और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के अनादर का आरोप लगाया था.
कई विधायक सुक्खू के समर्थन में नहीं
बागी विधायक सुक्खू को हटाने की मांग कर रहे हैं. बताया जा रहा है कि सरकार बहुत कमजोर हालत में है. घटनाक्रम से जुड़े सूत्र का कहना है कि कई विधायक सुक्खू के समर्थन में नहीं हैं. उन्हें हटाने की मांग पर अड़े हुए हैं. विधायकों का आरोप है कि सीएम फाइलों को ट्रांसफर करने से इनकार करते हैं. विधायक को उनसे मिलने के लिए लंबा इंतजार करना होता है. वे उनका अपमान करते हैं.
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