KM Cariappa ने अपने युद्धबंदी बेटे को छोड़ने के प्रस्ताव पर अयूब खान से कहा- सभी मेरे बेटे हैं
फील्ड मार्शल केएम करियप्पा भारतीय सेना के पहले भारतीय कमांडर इन चीफ रहे, जिन्होंने भारतीय सेना में जाति और पंथ का प्रवेश नहीं होने दिया. समावेशी भारतीय सेना की ऐसे पड़ी नींव कालांतर में और भी मजबूत होती गई है.
highlights
- 1965 भारत-पाक युद्ध के दौरान करियप्पा के बेटे को पाकिस्तान ने बनाया था युद्धबंदी
- जानकारी होने पर पाकिस्तान के तत्कालीन जनरल अयूब खान ने की रिहाई की पेशकश
- केएम करियप्पा ने बेटे की अकेली रिहाई का प्रस्ताव ठुकरा कहा था सभी जवान मेरे बेटे हैं
नई दिल्ली:
समग्र देश 28 जनवरी 2023 को भारतीय सेना के पहले भारतीय कमांडर इन चीफ फील्ड मार्शल (Field Marshal) कोडंडेरा मडप्पा करियप्पा (KM Cariappa) की 124वीं जयंती मना रहा है. जब फील्ड मार्शल केएम करियप्पा की बात आती है, तो कई किस्से इतिहास के अंध गलियारों में से झांकने लगते हैं. आजाद भारत का पहला सेना प्रमुख बनने से पहले करियप्पा ने 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध (India Pakistan War) के दौरान पश्चिमी मोर्चे पर भारतीय सेना (Indian Army) का नेतृत्व किया. उन्होंने द्रास, कारगिल और जोजिला पर फिर से कब्जा करने में प्रमुख भूमिका निभाई. करियप्पा की एक और अच्छी उपलब्धि यह थी कि उन्होंने राजनीति (Politics) को भारतीय सेना से दूर रखा. उन्होंने जाति और पंथ को दूर करके समावेशी भारत का भी परिचय दिया. इस संबंध में उन्होंने 1949 में ब्रिगेड ऑफ द गार्ड्स की स्थापना की.
'सिर्फ एक युद्धबंदी नहीं, सभी भारतीय जवान मेरे बेटे हैं'
यह किस्सा बताता है कि फील्ड मार्शल केएम करियप्पा के लिए देश और सैनिक कितने महत्वपूर्ण थे. वह 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध का आखिरी दिन था. केएम करियप्पा के बेटे और भारतीय वायु सेना में तत्कालीन स्क्वाड्रन लीडर केसी करियप्पा सीमा के पास उड़ान भर रहे थे, जब उनके विमान को मार गिराया गया. इसके बाद उन्हें पाकिस्तानी सेना ने बंदी बना लिया. उस वक्त केएम करियप्पा रिटायर हो चुके थे. पाकिस्तानी सेना की पूछताछ में केसी करियप्पा ने केवल अपना नाम, रैंक और यूनिट नंबर बताया. इसी पूछताछ के दौरान जेल प्रहरी यह पूछने के लिए उनके सेल में पहुंचे कि क्या वह केएम करियप्पा के बेटे हैं.
अयूब खान ने सबसे पहले करियप्पा के बेटे की सुरक्षित होने की जानकारी भारत तक भिजवाई
उस घटना को याद करते हुए केसी करियप्पा बताते हैं, 'मैंने अपना नाम, रैंक और नंबर ही पूछताछ के दौरान दिया था. मुझसे पूछा गया कि क्या मैं जनरल करियप्पा से संबंधित हूं. मैंने दर्द के कारण बेहोश होने का नाटक किया या शायद मैं बेहोश हो गया था. अगली बात जो मुझे याद है वह यह थी कि मैं एक जीप के पीछे लेटा हुआ था और एक ब्रिगेडियर मुझसे पूछताछ कर रहा था.' उससे बातचीत में जब पुष्टि की कि वह जनरल करियप्पा का बेटे हैं, तो यह खबर अयूब खान तक पहुंची. अयूब खान उस समय पाकिस्तान के सैन्य प्रमुख थे. अयूब खान ने रेडियो पर घोषणा करा दी कि जनरल केएम करियप्पा के बेटे केसी करियप्पा को पाकिस्तानी सेना ने पकड़ लिया है और वह हिरासत में सुरक्षित हैं.
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फिर भारत स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग से दिया था रिहाई का प्रस्ताव
इसके बाद अयूब खान ने केसी करियप्पा को रिहा करने की पेशकश की. यहां तक कि अयूब खान ने नई दिल्ली में पाकिस्तान उच्चायोग को जनरल करियप्पा से व्यक्तिगत रूप से मिलने और उन्हें उनके बेटे स्वास्थ्य के बारे में जानकारी देने का आदेश दिया. यह अलग बात है कि जनरल केएम करियप्पा ने यह कहते हुए अयूब खान के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया कि सभी युद्धबंदी जवान उनके पुत्र हैं. साथ ही उन सभी की पाकिस्तान द्वारा अच्छी तरह से देखभाल की जानी चाहिए. केसी करियप्पा ने अपनी रिहाई के वर्षों बाद खुलासा किया कि उनके पिता बेहद उच्च सिद्धांतों और उन्हें हर हाल में मानने वाले शख्स थे. ऐसे में उनके लिए उनका बेटा और अन्य सभी सैनिक एक समान थे. अंततः केसी करियप्पा को अन्य सभी जवानों के साथ रिहा कर दिया गया था. गौरतलब है कि गुलाम भारत या विभाजन से पहले अयूब खान ब्रिटिश भारतीय सेना में केएम करियप्पा के कनिष्ठ थे और उनके करीबी माने जाते थे.
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