Pulwama Attack के सूत्रधार आसिम मुनीर से भारत को रहना होगा सतर्क, समझें वजह
फरवरी 2019 में पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आत्मघाती आतंकी (Pulwama Attack) हमले के साजिशकर्ता बतौर असीम मुनीर का नाम सामने आया था. उस वक्त मुनीर पाकिस्तान की आईएसआई संस्था के महानिदेशक थे.
highlights
- पुलवामा आतंकी हमले के साजिशकर्ता रहे हैं असीम मुनीर
- इस्लामिक कट्टरता को बढ़ावा देने के लिए भी जाने जाते हैं
- भारत को अतीत से सबक लेकर मुनीर से रहना होगा सतर्क
गुरुग्राम:
लेफ्टिनेंट जनरल असीम मुनीर (Asim Munir) की अगले पाकिस्तान सेना प्रमुख बतौर नाम की घोषणा गुरुवार को कर दी गई है. असीम मुनीर निवर्तमान सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा (Qamar Javed Bajwa) का स्थान लेंगे, जो 29 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं. बतौर अगले सेना प्रमुख असीम मुनीर की नियुक्ति भारत (India) के लिए अतिरिक्त चिंता का विषय है, क्योंकि फरवरी 2019 में पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आत्मघाती आतंकी (Pulwama Attack) हमले के साजिशकर्ता बतौर असीम मुनीर का नाम सामने आया था. उस वक्त मुनीर पाकिस्तान की आईएसआई संस्था के महानिदेशक थे. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (एनएसएबी) के सदस्य और कैबिनेट सचिवालय के विशेष सचिव के रूप में सेवानिवृत्त हुए तिलक देवाशेर के अनुसार, 'पाकिस्तान में मुनीर उन लोगों में से थे, जो 2019 के पुलवामा आतंकी हमले की साजिशकर्ताओं में से एक थे.' उनके मुताबिक मुनीर ने भारत में कश्मीर (Kashmir) से जुड़े विभागों में अपनी सेवाएं दी हैं. वह इस क्षेत्र से बहुत परिचित हैं.
भारत को रहना होगा सावधान
गौरतलब है कि जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर पुलवामा में हुए आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे. इस आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच गया था. समाचार एजेंसी एएनआई को दिए साक्षात्कार में जनरल मुनीर के पाकिस्तान के नए सेना प्रमुख बनने पर देवाशेर ने कहा, 'पाकिस्तान का कोई भी सेना प्रमुख भारत के प्रति दोस्ताना नहीं रहा है. असीम मुनीर भी इस परंपरा को तोड़ने नहीं जा रहे हैं. वह भारत के प्रति कट्टर रुख अपनाते रहेंगे.' देवाशेर ने कहा, 'अगर पाकिस्तान में समस्याएं बढ़ती हैं, तो उनके पास इसका अनुभव है. भारत को तैयार रहना चाहिए कि वह सेना प्रमुख बनने जा रहे हैं और पुलवामा आतंकी हमले में उनकी क्या भूमिका थी. ऐसे में इस मसले पर हमें बहुत सावधान रहने की जरूरत है.'
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आतंकी हमलों का सहारा लेता रहा है पाकिस्तान
भारत इस घटनाक्रम पर करीब से नजर रख रहा है. नए पाक सेना प्रमुख से न सिर्फ इस्लामाबाद-नई दिल्ली संबंधों, बल्कि अपने सदाबहार सहयोगी चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रति पाकिस्तान सरकार की नीतियों को प्रभावित करने की अपेक्षा है. गौरतलब है कि पाकिस्तान को हाल ही में वैश्विक मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण निगरानी संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की निगरानी सूची से हटाया गया है. इसके अलावा पाकिस्तान एक अत्यंत अनिश्चित आर्थिक संकट का भी सामना कर रहा है. सामरिक विशेषज्ञों की मानें तो भारत संग तनाव को जिंदा रखने के लिए पाकिस्तान हमेशा से भारत के खिलाफ आतंकी हमलों का सहारा लेता रहा है. पाकिस्तान पर तीन पुस्तकें लिख चुके देवाशेर कहते हैं, 'भारत ने अतीत में जो कड़ी प्रतिक्रिया दिखाई है, उस आलोक में वे भारत के खिलाफ सीधे-सीधे कुछ भी करने का जोखिम नहीं उठा सकते. वह जान गए हैं कि अगर उनकी तरफ से कुछ किया गया, तो अब भारत भी पलटवार करेगा. ऐसे में लेफ्टिनेंट जनरल मुनीर को बहुत सावधानी से आगे देखना होगा, लेकिन हमें निश्चित रूप से बहुत सावधान रहना होगा.'
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भारत को इंतजार करो और देखो की नीति होगी अपनानी
लेफ्टिनेंट जनरल मुनीर ने मिलिट्री इंटेलिजेंस के प्रमुख और पाकिस्तान की जासूसी संस्था इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के प्रमुख के रूप में काम किया है. उन्होंने 2017 से 21 महीनों की अवधि के लिए सैन्य खुफिया प्रमुख के पद पर कार्य किया. अक्टूबर 2018 में वह आईएसआई के महानिदेशक बने, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान के कहने पर बाजवा ने उन्हें पद से हटा दिया. गौरतलब है कि इमरान खान ने इस साल की शुरुआत में सरकार से अपने निष्कासन के लिए सेना को भूमिका निभाने के लिए दोषी ठहराया था. देवाशेर के अनुसार, 'पाकिस्तान में पीएमएल (एन) सरकार के शासनकाल के दौरान सशस्त्र बलों में वरिष्ठता क्रम का पालन करे बगैर चार या पांच सेना प्रमुख नियुक्त किए गए थे. पहली बार शरीफ सरकार ने सेना के वरिष्ठतम अधिकारी को इस उम्मीद में नियुक्त किया है कि उन्होंने वरिष्ठतम को न चुनकर अतीत में गलती की है. अब वे सबसे वरिष्ठ को चुन रहे हैं. उम्मीद है कि चीजें सही रहेंगी. फिर भी हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा कि क्या शरीफ इस बार सेना प्रमुख की नियुक्ति में भाग्यशाली रहते हैं.'
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