कैसे हुआ गलवान पर चीन की करतूतों का पर्दाफाश, क्या होता है प्रोपगेंडा वीडियो
फर्जी वीडियो जारी करने से चीन की घटिया साजिश और मंसूबों की भी पोल खुल गई. चीन ने इसके आसपास ही हांगकांग में नए कानून लागू होने के बाद चुने गए सांसदों के शपथ ग्रहण का वीडियो भी जारी किया था.
highlights
- वीडियो में चीन ने अपने फौजियों का नहीं, भाड़े के कलाकारों का इस्तेमाल किया
- पूरी शूटिंग गलवान से करीब 28 किलोमीटर पीछे अक्साई चिन के इलाके में की गई
- भारतीय सैनिकों ने चीन के प्रोपगेंडा के जवाब में गलवान घाटी की असली तस्वीर दिखाई
नई दिल्ली:
गलवान घाटी को लेकर नए साल पर फैलाए गए चीन के प्रोपगेंडा वीडियो का पर्दाफाश हो गया. चीन की माइक्रो ब्लॉगिंग साइट वीबो पर कुछ यूजर्स ने इसका खुलासा किया कि एक जनवरी को जो वीडियो जारी की गई उसके लिए चीन ने अपने फौजियों नहीं बल्कि भाड़े के कलाकारों का इस्तेमाल किया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक वीबो पर लोगों ने एक्टर वू जंग (Wu Jung) की फोटो शेयर कर बताया है कि सीसीपी ने फर्जी वीडियो के लिए वू जंग और उनकी बीवी शी नन (Xie Nan) का इस्तेमाल किया.
वू जंग चीन के एक प्रसिद्ध फिल्म कलाकार हैं. उन्होंने कई फिल्मों में पीएलए सैनिक की भूमिका निभाई है. इसमें ‘द बैटल एट लेक चांगजिन’ भी शामिल है. यह चीन में बनी अब तक की सबसे महंगी फिल्म है. इसे चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के 100 साल पूरे होने पर सीसीपी द्वारा अप्रूव भी किया गया था. वहीं, उनकी पत्नी शी नन ने 2007 की एक ड्रामा सीरीज जियान जिंग तियान जिया से प्रसिद्धि पाई थी. ये दोनों पति-पत्नी चीन में टीवी होस्ट भी हैं. वीबो के यूजर्स का दावा है कि 24 दिसंबर को वू जंग, शी नान, कुछ जूनियर एक्टर्स और पीएलए अधिकारी प्रॉपगैंडा वीडियो शूट करने के लिए अक्साई चिन के लोकेशन पर गए थे.
चीन के नागरिकों ने खोली पोल
एक अंतरराष्ट्रीय वेब पोर्टल कार्बुन ट्रेसी ने दावा किया है कि नए साल के मौके पर गलवान में चीन ने झंडा फहराने का एक फर्जी वीडियो जारी किया था. वीडियो की शूटिंग में चीनी सैनिक की जगह फिल्मी कलाकार शामिल किए गए थे. साथ ही यह पूरी शूटिंग गलवान से करीब 28 किलोमीटर पीछे अक्साई चिन के इलाके में की गई थी. यह इलाका LAC पर चीन की तरफ और बफर जोन के बाहर का है. वेब पोर्टल ने वीबो यूजर्स के हवाले से दावा किया कि चीन ने इस फर्जी प्रोपगेंडा वीडियो को करीब चार घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद फिल्माया गया था. चीन के कई नागरिकों ने गलवान घाटी में शूट झंडे वाले वीडियो की प्रमाणिकता पर सवाल उठाना शुरू कर दिया था. मामले के तूल पकड़ने पर चीन की मीडिया ने ऐसे सभी अकाउंट्स को तुरंत ब्लॉक कर दिया.
Breaking: Did #CCP use #Chinese actors to stage flag ceremony at #Galwan?
— Carbun Tracy (@TracyCarbun) January 6, 2022
- Some users on Chinese social media platform Weibo have indicated that CCP used Chinese actors to stage the entire ceremony. https://t.co/czElsmUugr
सेना का जवाब, विपक्ष का बदला रुख
चीन के इस फर्जी प्रोपगेंडा वीडियो को चीन के पत्रकार शेन शिवेई और सीसीपी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने गलवान घाटी का बताते हुए शेयर किया था. करीब 40 सेकेंड की क्लिप में चीन के सैनिक एक पहाड़ी के किनारे चीन का झंडा फहराते दिखाई पड़ रहे थे. इस वीडियो के सामने आने के बाद भारत में भी खूब चर्चा हुई. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने पीएम मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पर सवाल उठाए. विपक्ष के नेताओं ने इस वीडियो को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा. वीडियो के फर्जी साबित होने पर मामला शांत हो गया और सवाल उठाने वाले नेताओं ने अपना रुख बदल लिया. भारतीय सैनिकों ने चीन के प्रोपगेंडा वीडियो के जवाब में गलवान घाटी की असली तस्वीर दिखा दी. बर्फ से ढकी चोटी पर तिरंगे के नीचे खड़े जांबाज भारतीय जवानों के हाथों में एक मिनट में 685 राउंड गोलियां दागने वाली अत्याधुनिक अमेरिकी सिग 716 राइफल की तस्वीर देखकर सबका सीना चौड़ा हो गया.
Indian Army soldiers in Galwan Valley on #NewYear
— ANI (@ANI) January 4, 2022
(Photo credit: Sources in security establishment) pic.twitter.com/GJxK0QOW48
ये भी पढ़ें - चीन की हरकतों पर भारत का करारा जवाब
क्या होता है प्रोपगेंडा वीडियो
आज के समय में जब कई तरीके से देश का हित जुड़ा हो तो सीधे टकराव न लेकर दुनिया के कई देश प्रोपेगेंडा फैलाते हैं. विरोध देश की सरकार और उसके विपक्ष को फंसाने के लिए माइंड गेम का पासा फेंकते हैं. चीन कई बार वीडियो को क्रोमा पर शूट कर फिर जारी करता रहा है. क्रोमा मतलब लोकेशन को बाद में कट-पेस्ट कर देना. चीन इस काम में काफी माहिर है. चीन की सरकारी मीडिया अक्सर अपनी सेना को लेकर झूठे दावे और भ्रम फैलाती रहती है. नए साल में जारी प्रोपगेंडा वीडियो के जरिए चीन ने यह नैरेटिव सेट करने और संदेश देने की कोशिश की कि लद्दाख सीमा पर चीन मजबूत स्थिति में है. एक के बाद एक कई वीडियो सामने आने लगे. गलवान घाटी के पास जून 2020 में टकराव के बाद दोनों देशों में सहमति भी बनी थी. इसके बावजूद वहां की फर्जी वीडियो जारी करने से चीन की घटिया साजिश और मंसूबों की भी पोल खुल गई. चीन ने इसके आसपास ही हांगकांग में नए कानून लागू होने के बाद चुने गए सांसदों के शपथ ग्रहण का वीडियो भी जारी किया था.
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