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Shardiya Navratri 2023 Day 3: नवरात्रि के तीसरे दिन यूं करें मां चंद्रघंटा की पूजा, जानिए पूजन की सम्पूर्ण जानकारी

Shardiya Navratri 2023 Day 3: 17 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन है और इस दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. यह मां दुर्गा का तीसरा अवतार है. आइए जानते हैं मां चंद्रघंटा की पूजा विधि, शुभ मूहुर्त, मंत्र और भोग के बारे में.

Updated on: 17 Oct 2023, 11:07 AM

नई दिल्ली:

Shardiya Navratri 2023 Day 3: हर साल शारदीय नवरात्रि पूरे देश में बहुत भव्यता और धूमधाम के साथ मनाई जाती है. त्योहार का प्रत्येक दिन मां दुर्गा के प्रत्येक रूप को समर्पित है. इस साल शारदीय नवरात्रि से 15 अक्टूबर से शुरू हुआ और इसका समापन 24 अक्टूबर को होगा.  इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है और भक्त व्रत रखते हैं और मां दुर्गा के स्वरूपों की पूजा-अर्चना करते हैं. 17 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन है और इस दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. यह मां दुर्गा का तीसरा अवतार है. जानिए नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा कैसे करनी चाहिए. साथ ही जानिए पूजा विधि, मंत्र भोग के बारे में.

मां चंद्रघंटा का भोग

मां चंद्रघंटा को दूध से बनी चीजें बेहद प्रिय हैं ऐसे में आप उन्हें दूध से बनी मिठाई और पेड़े चढ़ा सकते हैं. वहीं  मां चंद्रघंटा के स्वरूप की बात करें तो देवी चंद्रघंटा के मस्तक पर अर्धचंद्र है. इनके 10 हाथ हैं.  इनके हाथों में कमल और कमंडल, साथ ही त्रिशूल, गदा और खड्ग जैसे अस्त्र हैं. इनकी सवारी सिंह है. 

मां चंद्रघंटा पूजा विधि 

पूजा के लिए नवरात्रि के तीसरे दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके देवी का ध्यान करें. उसके बाद देवी चंद्रघंटा की तस्वीर स्थापित करें. उन्हें फूल, अक्षत, चंदन, कुमकुम अर्पित करें. इस बात का ध्यान रखें कि पूजा के लिए लाल और पीले फूलों का इस्तेमाल करें. फिर देवी को भोग लगाए, घी का दीपक जलाएं और आरती करें. ऐसा करने से माता प्रसन्न होती हैं.

मां चंद्रघंटा के मंत्र

पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥

या

ऊं देवी चंद्रघण्टायै नम:

मां चंद्रघंटा की आरती

जय मां चंद्रघंटा सुख धाम। पूर्ण कीजो मेरे काम।।
चंद्र समान तू शीतल दाती। चंद्र तेज किरणों में समाती।।
क्रोध को शांत बनाने वाली। मीठे बोल सिखाने वाली।।
मन की मालक मन भाती हो। चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।।
सुंदर भाव को लाने वाली। हर संकट मे बचाने वाली।।
हर बुधवार जो तुझे ध्याये। श्रद्धा सहित जो विनय सुनाय।।
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं। सन्मुख घी की ज्योत जलाएं।।
शीश झुका कहे मन की बाता। पूर्ण आस करो जगदाता।।
कांची पुर स्थान तुम्हारा। करनाटिका में मान तुम्हारा।।
नाम तेरा रटू महारानी। भक्त की रक्षा करो भवानी।।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)

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